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कोरोना से लड़ाई में आर्थिक योगदान स्‍वेच्‍छा से व सीधे दें, आयकर में छूट का भी लाभ उठायें

-पीएम-सीएम राहत कोष में सीधे जमा करने पर ही मिलेगा आयकर में छूट का लाभ 

लखनऊ। लखनऊ खण्‍ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्‍याशी डॉ महेन्‍द्र नाथ राय ने कोरोना महामारी से लड़ाई के लिए अपना सहयोग देने का फैसला स्‍वैच्छिक रूप से लेने की अपील करते हुए कहा है कि अगर शिक्षक या कोई भी नागरिक इस महामारी से लड़ने के लिए अपना योगदान देना चाहता है तो वे अपना योगदान प्रधानमंत्री या मुख्‍यमंत्री कोष में सीधे जमा करे,  किसी नेता या अन्‍य को इसका ठेकेदार न बनने दें। इस सहायता को किसी के माध्‍यम से देना आवश्‍यक नहीं है, सीधे कोष में जमा करने से आयकर में छूट का लाभ भी उन्हें मिलेगा, अगर किसी दूसरे के माध्‍यम दान देते हैं तो आयकर में छूट का लाभ उन्‍हें नहीं मिल पायेगा।

डॉ राय ने कहा कि आज पूरा देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है। प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के आह्वान पर देश के लोग प्रधानमंत्री राहत कोष एवं मुख्यमंत्री राहत कोष में अपनी तरफ से आर्थिक मदद कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि कुछ शिक्षक नेता जो स्वयं वेतन नहीं पाते हैं, या अन्‍य लोग वेतन भोगी शिक्षकों के ठेकेदार बने हुए हैं, इन लोगों ने सारे शिक्षकों के 1 दिन का वेतन राहत कोष में देने की घोषणा की।

उन्‍होंने कहा कि मेरा मानना है कि शिक्षक बुद्धिजीवी है वह देश और समाज की परिस्थितियों को समझता है, कब देश को आर्थिक सहयोग देना है कब नहीं देना है यह शिक्षक भली भांति जानता है। इसलिए शिक्षकों के वेतन का ठेकेदार बनने की आवश्यकता किसी को नहीं है। देश और समाज की दशा को देखकर सारे शिक्षक भी इस महामारी से लड़ने के लिए सरकार के साथ हैं। शिक्षक जो भी आर्थिक मदद देना चाहते हैं वह स्वेच्छा से प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दें, सीधे प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री राहत कोष में दी गई धनराशि आयकर मुक्त होगी। शिक्षक सीधे सरकार को अपनी मदद दे, किसी बिचौलिए या ठेकेदार के माध्यम से नहीं।

उन्‍होंने कहा कि बिचौलिए उनकी मदद पर अपनी छवि चमकाएंगे जबकि देने वाले को कोई लाभ नहीं मिलेगा। हमें कितना दान देना है, कितना नहीं, यह तय करने वाला कोई और नहीं हो सकता। उन्‍होंने कहा कि हो सकता है कुछ शिक्षक 500 का दान करें तो कुछ शिक्षक 5000 का और कुछ शिक्षक 50000 का दान कर सकते हैं, यह हम या कोई और नहीं तय कर सकता है कि कौन शिक्षक कितना देगा।