Friday , March 29 2024

आईएमए का बड़ा ऐलान, 11 दिसम्‍बर से ठप करेंगे गैर इमरजेंसी व गैर कोविड चिकित्‍सा सेवायें

-आयुर्वेदिक चिकित्‍सकों को सर्जरी के अधिकार के खिलाफ 8 दिसम्‍बर को दो घंटे का सांकेतिक आंदोलन भी

डॉ अशोक राय, डॉ जयंत शर्मा

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आयुर्वेदिक चिकित्सकों को विशेष प्रशिक्षण के बाद सर्जरी करने की अनुमति देने के सरकार के फैसले पर आपत्ति जताते हुए आगामी 8 दिसंबर को 2 घंटे का देशव्यापी सांकेतिक आंदोलन तथा 11 दिसंबर से इमरजेंसी और कोविड सेवाओं को छोड़कर शेष सभी चिकित्सा व्यवस्था बंद करने का ऐलान किया है। ज्ञात हो सरकार द्वारा बीती 21 नवम्‍बर को जारी अधिसूचना में यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि आयुर्वेद के सर्जरी में पीजी करने वाले छात्रों को आंख, नाक, कान, गले के साथ ही जनरल सर्जरी के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके साथ ही इन छात्रों को स्तन की गांठों, अल्सर, मूत्रमार्ग के रोगों, पेट से बाहरी तत्वों की निकासी, ग्लुकोमा, मोतियाबिंद हटाने और कई सर्जरी करने का अधिकार होगा।

यूपी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अशोक राय और प्रदेश सचिव डॉ जयंत शर्मा ने इस बारे में एक बयान जारी कर कहा है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन मेडिकल शिक्षा में खिचड़ी तंत्र लाने का पूर्ण विरोध करती है तथा सरकार से अनुरोध करती है कि इस प्रकार की शिक्षा से चिकित्सकों की गुणवत्ता काफी कम हो जाएगी उन्होंने कहा कि आई एम ए के सभी चिकित्सक इसके विरोध में किए जा रहे आंदोलन में हिस्सा लेंगे।

उन्होंने कहा कि भारतीय दवा को देश में वैज्ञानिक तरीके से विकसित किया जा सकता है। मॉडर्न मेडिसिन में खिचड़ी तंत्र लाने से पूरी विद्या का ह्रास होगा और भविष्य में देश को उच्च स्तरीय इलाज मिलने में बहुत कठिनाई होगी। बयान में कहा गया है की भारतीय चिकित्सक पूरे विश्व में श्रेष्ठ चिकित्सक साबित हुए हैं तथा विदेशों में 60% चिकित्सक भारतीय हैं। यही नहीं पिछले दिनों एक भारतीय चिकित्सक ने ही पहला फेफड़े का प्रत्यारोपण करने में सफलता पाई है। उन्होंने कहा है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन हर विद्या को स्वतंत्र रूप से विकसित करने की पक्षधर है, हमारी भारत सरकार से मांग है कि मॉडर्न मेडिसिन की चिकित्सा में गुणवत्ता पूर्वक प्रणाली लागू हो। हमें डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता पर भी ध्यान देना है।

बयान में कहा गया है कि 1800 शताब्दी के अंत में अंग्रेजों द्वारा एलोपैथी की शुरुआत की गई उस समय कलकत्‍ता (कोलकाता), मद्रास (चेन्‍नई) एवं बम्‍बई (मुंबई) में मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए स्वतंत्र भारत में थ्री टायर स्वास्थ्य तंत्र विकसित किया गया। चिकित्‍सकों ने कहा है कि 1950 में लाइफ एक्सपेक्टेंसी 25.21 वर्ष थी जो कि अब 2020 में 69.73 साल हो गयी है, यह मॉडर्न मेडिसिन से ही संभव हो सका है। मेडिकल टूरिज्म इन सालों में बड़ा है।

बयान में कहा गया है कि एलोपैथिक की चिकित्सा शिक्षा एक गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा होती है जिसमें चिकित्सक को अच्छा हुनर दिया जाता है एवं हर छोटी से छोटी विद्या को विज्ञान सम्मत तरीके से विकसित किया जाता है, साथ ही ऐलोपैथी पूरी तरह से रिसर्च पर आधारित है और इसमें हर मर्ज का इलाज आधुनिक तरीके से किया जाता है यह विद्या हर महामारी के नियंत्रण में सक्रिय भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा है कि देश में कोई नई दवा आनी हो या नई तकनीक विकसित करनी हो या बीमारी को रोकने के लिए वैक्सीन तैयार करनी हो मॉडर्न मेडिसिन की रिसर्च से ही यह संभव हो पाता है कोविड में अभी जो वैक्सीन आ रही है, उसमें मॉडर्न मेडिसिन के चिकित्सकों का ही योगदान है।