-इप्सेफ के अध्यक्ष व महामंत्री ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस एंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि महंगाई एवं कोविड-19 से आम कर्मचारियों की पीड़ा को गंभीरता से समझें और उनकी पीड़ा का हल निकालें। नेताद्वय ने भारत सरकार को आगाह किया है कि यदि कर्मचारियों की पीड़ा पर ध्यान नहीं दिया गया तो पूरे भारत में आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा। जिसके लिए शीघ्र ही इप्सेफ की बैठक अगस्त माह में आहूत की जाएगी।
श्री मिश्र ने कहा कि रोज बढ़ रही महंगाई से कर्मचारियों को अपना परिवार का खर्चा चलाना कठिन हो गया है। एक तरफ महंगाई भत्ते की किस्त का भुगतान रोकने से उनकी पारिवारिक स्थिति दयनीय हो गई है, दूसरी तरफ कोविड-19 की बीमारी के इलाज में लगे नर्सेज, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, प्रयोगशाला सहायक एवं अन्य पैरामेडिकल स्टाफ स्वयं भी संक्रमित हो रहे हैं। काफी संख्या में कर्मचारियों की मौत भी हो गई है। ऐसे में परिवार को रोटी की भी समस्या सामने है। बच्चों की देखरेख भी नहीं हो पा रही है।
खेद का विषय है कि राज्यों की सरकारें उनकी आर्थिक सहायता भी नहीं कर रही हैं। केंद्र सरकार भी मौन है। मरीजों को स्वस्थ करने में लगे कर्मचारियों की उपेक्षा से देशभर का कर्मचारी आक्रोशित हैं। बड़ी संख्या में अन्य विभागों के कर्मचारी भी इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। बहुतों की मृत्यु भी हो चुकी है। घर का खर्च नहीं चल रहा है। सरकार के कर्मचारियों की कठिनाइयों को दूर करना सरकार का दायित्व होता है।
प्रेमचंद ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि कर्मचारियों को महंगाई भत्ते की बकाया किस्त का भुगतान कराएं तथा कोविड-19 से मृत्यु के कर्मचारी के परिवार को तत्काल 50 लाख रुपये की सहायता प्रदान करें तथा उनके एक आश्रित को सरकारी नौकरी में तत्काल नियुक्त करें, जिससे कि दुखी परिवार को आर्थिक विपदा से छुटकारा मिल सके।
अतुल मिश्रा राष्ट्रीय सचिव ने भारत सरकार एवं राज्य सरकारों से अपेक्षा की है कि अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी के कारण मरीजों का इलाज संभव नहीं हो पा रहा है। मानकों के अनुसार पद सृजित नहीं हैं। काफी संख्या में पड़ रिक्त हैं उनपर नियमित नियुक्ति नहीं हो रही व पदोन्नतियों पर भी अधिकारी रुचि नहीं ले रहे। अधिकांश संख्या में कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं जिससे कर्मचारियों पर कार्य का बोझ बढ़ रहा है और जनता को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं हो रही है। इसलिए नियमित नियुक्ति प्रक्रिया को तीव्र गति दी जाए तब तक के लिए सेवानिवृत्त नर्सेज एवं अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की सेवाएं ली जाएं। जिससे कि मरीजों का समुचित इलाज हो सके।
उन्होंने कहा कि अस्पतालों के कर्मचारी बड़ी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के हालात और खराब हैं। समस्या है कि मरीजों का इलाज एवं जांच आदि कैसे हो, संभवतः अन्य राज्यों की भी यही हालात हैं।