-केजीएमयू के न्यूरो सर्जरी विभाग में भी उपलब्ध है एपिलिप्सी सर्जरी की सुविधा
सेहत टाइम्स
लखनऊ। मिर्गी के दौरे जो दवाओं से ठीक नहीं होते हैं, उनके लिए सर्जरी ही विकल्प है, इसलिए लोगों में इस बात की जागरूकता आवश्यक है। मिर्गी से ग्रस्त लोगों के लिए सलाह है कि यदि दवा करने के बाद भी दौरों में कमी नहीं आ रही है तो वे अच्छे सेंटर्स पर जायें और डॉक्टर को दिखाकर पूछें कि क्या मेरी मिर्गी सर्जरी से ठीक हो सकती है। सेंटर के डॉक्टरों को चाहिये कि अगर वह स्वयं सर्जरी कर सकते हैं तो करें वरना ऐसे उच्च सेंटर पर मरीज को भेज दें जहां यह सर्जरी हो सके, जिससे मरीज मिर्गी की सर्जरी कराकर आगे की परेशानियों से बच सकें। आगे की परेशानियों में मेमोरी लॉस से लेकर मृत्यु तक शामिल है। मिर्गी के दौरे में जितने वर्ष बीतते जायेंगे प्रति वर्ष 0.5 प्रतिशत की दर से मृत्यु का जोखिम बढ़ता जाता है।
यह सलाह केजीएमयू के न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो बीके ओझा ने देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश में इस सर्जरी को आगे बढ़ाने के लिए केजीएमयू सहित दूसरे संस्थानों में एपिलिप्सी सेंटर खोलने की योजना है। वर्तमान में भी केजीएमयू में एपिलिप्सी सर्जरी की जा रही हैं, इस सर्जरी को आगे वृहद रूप देते हुए उत्तर प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी किये जाने की आवश्यकता है।
जागरूकता की है कमी
न्यूरो सर्जरी विभाग के स्थापना दिवस के अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो बीके ओझा ने पत्रकारों को बताया कि इस सर्जरी को एपिलिप्सी सर्जरी कहते हैं, उन्होंने कहा कि स्थापना दिवस पर आये इस सर्जरी के देश के प्रख्यात सर्जन एम्स दिल्ली के प्रो पी शरद चंद्रा ने अपने एक घंटे के लेक्चर में एपिलिप्सी सर्जरी का जो पाठ हमें पढ़ाया उससे ऐसा लगता है मानों ऐपिलिप्सी सर्जरी की पूरी किताब का रिवीजन हो गया। उन्होंने बताया कि काफी कॉमन समझी जाने वाली मिर्गी की बीमारी में 25 प्रतिशत केस का कारण शुरुआत में ही दिख जाता है जिसे मिर्गी को दवाओं से ही ठीक किया जा सकता है। जबकि 75 प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं जिनमें कोई कारण नहीं निकलता है, ऐसे लोगों में कुछ की मिर्गी दवाओं से ठीक हो जाती है लेकिन दवा से ठीक न होने वाली मिर्गी वाले केस को अगर गहन अध्ययन कर देखा जाये तो कुछ न कुछ कारण निकल आता है जिसे हम सर्जरी से हटाकर मिर्गी को रोक सकते हैं। ऐसे लोग भारत ही नहीं पूरे विश्व में हैं लेकिन जागरूकता न होने की वजह से सर्जरी नहीं करा पाते हैं।
पत्रकार वार्ता में मौजूद प्रो शरद चंद्रा ने बताया कि पूरे विश्व में 50 मिलियन लोगों को मिर्गी की बीमारी है, भारत में 12 मिलियन लोग मिर्गी की बीमारी से ग्रस्त हैं। इनमें 75 प्रतिशत केस दवाओं से ठीक हो सकते हैं लेकिन 25 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो ड्रग रेसिस्टेंट हैं, यानी उन्हें चाहें कितनी दवाएं दे दी जायें, वे ठीक नहीं होंगे, ऐसे लोगों की सर्जरी जरूरी है। यानी भारत में मिर्गी से ग्रस्त तीन से चार मिलियन लोग ऐसे हैं जो दवाओं से ठीक नहीं हो सकते हैं, उन्हें एपिलिप्सी सर्जरी की आवश्यकता है। इसे हमारे देश में विकसित करना बहुत जरूरी है।
शरीर के अंदर शॉर्ट सर्किट का परिणाम है मिर्गी का दौरा
उन्होंने बताया कि ब्रेन हमारा कम्प्यूटर के सीपीयू की तरह है, वहां तारों में जब शॉर्ट सर्किट होता है तो मिर्गी के दौरे आते हैं। शॉर्ट सर्किट होने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें हेड इंजरी, संक्रमण, जन्म से कमी जैसे कारण शामिल हैं। ऐसे में अगर दवा से मिर्गी ठीक हो गयी तो अच्छा है लेकिन यदि नहीं हुई तो हमें कई तरीकों से चिनि्हत करना पड़ता है कि शॉर्ट सर्किट कहां हो रहा है, फिर वहीं पर सर्जरी की जाती है। सर्जरी में या तो उस हिस्से को काट दिया जाता है या फिर वहां की तारों को काटकर अलग कर दिया जाता है जिससे दूसरे तारों में कनेक्ट न हो सके।