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रुकने लगे अगर दिल की धड़कन, तो डॉक्‍टर के पास पहुंचने तक COLS करें

लोहिया संस्‍थान में दिया गया Compression Only Life Support प्रशिक्षण

COLS के प्रति जागरूकता के लिए मुंबई से माउंट एवरेस्‍ट तक साइकिल यात्रा पर निकले चिकित्‍सक

लखनऊ। किसी व्‍यक्ति को अचानक बेहोश होने पर सबसे पहले चेक करें कि उसके दिल की धड़कन कम या रुक तो नहीं रही है ? अगर ऐसा लगे तो चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध होने तक उसकी छाती को एक मिनट में 120 बार की रफ्तार से दोनों हथेलियों को एक के ऊपर एक रखकर दोनों ह‍थेलियों से 5 सेंटीमीटर दबाव तक दबाना चाहिये। यह प्रक्रिया चिकित्‍सीय सहायता मिलने तक जारी रखनी चाहिये। ऐसा करके आप मरीज को कार्डियक अरेस्‍ट होने से बचा सकते हैं। इस प्रक्रिया को Compression Only Life Support (COLS) कहा जाता है। ऐसा करने से बेहोश हो रहे व्‍यक्ति की धड़कन फि‍र से सामान्‍य हो सकती है। COLS की जानकारी सभी को होनी चाहिये ताकि मौका पड़ने पर इस प्रक्रिया को अपनाकर व्‍यक्ति की जान बचायी जा स‍के।

 

यह जीवनदायिनी जानकारी डा0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में इडिंयन सोसाइटी ऑफ एनेस्थीसियोलॉजिस्ट की लखनऊ शाखा द्वारा गुरुवार को आयोजित Compression Only Life Support (COLS) प्रशिक्षण कार्यक्रम में दी गयी। COLS प्रकिया का प्रशिक्षण डॉ मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निश्चेतना विभाग के प्रशिक्षकों और मुंबई के चिकित्‍सक डॉ हितेन्‍द्र महाजन ने समारोह में उपस्थित लोगों को दिया। डॉ महाजन इसके प्रति जागरूकता के लिए मुंबई से माउंट एवरेस्‍ट के बेस कैम्‍प तक की साइकिल यात्रा पर निकले हैं। इसी यात्रा के दौरान डॉ महाजन गुरुवार को लखनऊ पहुंचे।

संस्‍थान में आयोजित इस प्रशिक्षण में चिकित्सा विज्ञान के छात्र/ छात्राऐं, संस्थान के कर्मचारी समुदाय द्वारा सक्रिय रूप से भाग लिया गया। विभागाध्यक्ष प्रो0 दीपक मालवीय ने इस अवसर पर कार्यक्रम के महत्व पर ध्यान आकार्षित किया एवं समस्त प्रतिभागियों से इस कार्यशाला में प्राप्त ज्ञान को प्रयोग में लाने का आग्रह किया जिससे आकस्मिक हृदय गति बन्द होने की परिस्थिति में तत्काल प्रभावी COLS क्रिया प्रारम्भ किया जा सके।

 

डॉ हितेन्‍द्र ने कहा कि यह प्रशिक्षण सामान्य जन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में प्रति एक लाख आबादी पर चार हजार से अधिक मृत्यु, हृदय गति अचानक रुकने के कारण होती हैं। ऐसे रोगियों में यदि समय पर उपचार नहीं कराया जाए तो लगभग हर मिनट दस प्रतिशत से अधिक जीवित रहने की संभावना कम होती जाती है। इनमें से केवल आधे से कम रोगियों को समय पर सही सहायता उपलब्ध हो पाती है। उन्‍होंने बताया कि आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि 70 प्रतिशत रोंगियों की हृदय गति घर पर ही रुक जाती है। अतः यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि रोगियों के नजदीकी सम्बन्धियों को COLS की जानकारी उपलब्ध हो, जो अविलम्ब अपने रोगियों को चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध होन तक वक्ष कम्‍प्रेशन को जारी रख सकते हैं तथा जीवित रहने की संभावना को 2-3 गुना बढ़ा सकते हैं।

 

डॉ हितेन्द्र महाजन ने भी संस्थान के प्रांगण में अपनी (समुद्र से आकाश Sea to Sky) साहसिक यात्रा के दौरान COLS का प्रदर्शन किया। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य आम नागरिकों में COLS के प्रति जागरूकता बढाना है। डा0 राजीव लखोटिया, जो कि निश्चेतक समाज के लखनऊ शाखा के सभापति हैं, ने भी इस आयोजन की सराहना की।

जानिये क्या है Compression Only Life Support (COLS)

यह प्रकिया पहली बार भारत में Indian Resuscitation Council द्वारा प्रारम्भ की गयी। यह अति सरल और बिना किसी यंत्र एवं न्यूनतम प्रशिक्षण से किसी के भी द्वारा किया जा सकता है। इस प्रकिया में सबसे पहले हृदय गति रूकने के लक्षण की पहचान करना सिखाया जाता है। ऐसे लक्षण होने पर तुरन्त मदद माँगा जाए (108 नम्बर पर फोन करें)। चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध होने तक COLS किया जाए।