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मांगें पूरी न हुईं तो यूपी के लाखों आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मी आंदोलन करने पर होंगे मजबूर

-संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ ने अपनी लंबित मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को भेजा पत्र

सेहत टाइम्स

लखनऊ. संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के चिकित्सा संस्थान, मेडिकल कॉलेज, चिकित्सालय तथा होम्योपैथी और कोविड में कार्यरत लाखों आउटसोर्स कर्मचारी पिछले कई वर्ष से सरकार के उदासीनता के शिकार हो रहे हैं। कर्मचारियों का वेतन न बढ़ना, छुट्टी की व्यवस्था न होना, कोविड कर्मचारियों की सेवा समाप्ति, स्थाई नीति न होना जैसी तमाम समस्याएं बनी हुई हैं । कर्मचारी इतनी महंगाई के बाद भी पिछले कई वर्ष से फिक्स वेतनमान पर कार्य कर रहे हैं। संघ ने कहा हैं कि मांगों पर कार्यवाही नहीं हुई तो जल्द आंदोलन की नोटिस जारी करके इको गार्डन में धरना प्रदर्शन की तिथि निर्धारित की जाएगी।

यह जानकारी देते हुए संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल तथा महामंत्री सच्चिता नन्द मिश्रा ने कहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले इन कर्मचारियों की सभी समस्याओं के निराकरण के संबंध में अपना मांग पत्र मुख्यमंत्री को भेजा है! पत्र में जिन मांगों को लिखा गया है उनमें 1. मेडिकल संस्थान केजीएमयू ,लोहिया , पीजीआई , तथा कैंसर संस्थान में वेतन बढ़ोत्तरी हेतु कमेटी की रिपोर्ट लागू हो। 2.प्रदेश के मेडिकल कॉलेज, चिकित्सालय, होम्योपैथी तथा कोविड कर्मियों के वेतन बढ़ोतरी] चतुर्थ श्रेणी को न्यूनतम वेतन रु 18000 दिया जाय, अन्य पदों का वेतन इससे अधिक हो। 3. कोविड कर्मियों का समायोजन तथा स्थाई एवं एनएचएम की भर्तियों में छूट एवं अनुभव के अनुसार वेटेज प्रदान किया जाय। 4. सभी स्वास्थ्य कर्मियों को वर्ष में आकस्मिक तथा चिकित्सकीय अवकाश प्रदान किया जाय। 5. स्वास्थ्यकर्मियों को आउटसोर्स व्यवस्था से संविदा अथवा स्थाई पदों पर समायोजन हो। सेवा प्रदाता की व्यवस्था बंद हो। 6.केजीएमयू,लोहिया तथा पीजीआई में ईएसआई की क्लिनिक खोली जाय। 7.आउटसोर्स की स्थाई नीति बने सभी विभागों में लागू हो । 8. कर्मचारियों की बायोमेट्रिक एवं ऐप पर उपस्थित बंद हो इससे कर्मचारियों का उत्पीड़न हो रहा है। 9. कोविड कर्मियों को अन्य कर्मियों की भांति दिल्ली राज्य सरकार का न्यूनतम वेतन मिले तथा 10. आउटसोर्सिंग व्यवस्था में जी एस टी की कटौती बंद हो कर्मचारियों को पूरा वेतन मिले।

प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल ने कहा की कई बार इसमें से कई मांगों पर सहमति बनी है मगर इसका कोई आदेश जारी नही हुआ महंगाई में कर्मचारी और उनका परिवार कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। महामंत्री सच्चिता नन्द मिश्रा ने कहा कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सभी कर्मचारियों ने पूरा समर्थन भाजपा कों किया था मगर आउटसोर्सिंग की कोई नियमावली नहीं बनी और नही तो एक साल में हजारों की संख्या में कोविड कर्मचारी निकाले गए, लोहिया संसथान, एसजीपीजीआई केजीएमयू में अभी तक वेतन नहीं बढ़ा, दिल्ली राज्य सरकार का न्यूनतम वेतन उप्र से दो गुना है पिछले 8 वर्ष से फिक्स वेतनमान दिया जा रहा है जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है।

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