-विश्व इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (19 मई) पर विशेष
सेहत टाइम्स
लखनऊ। आज 19 मई को विश्व इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी) दिवस मनाया जा रहा है। आईबीडी यानी आंतों में सूजन का रोग की वजह मनोदैहिक Psycho-somati यानी खानपान के साथ ही हमारी मन:स्थिति से भी जुड़ी है, इसलिए इसका उपचार भी समग्रता यानी होलिस्टिक एप्रोच के साथ किया जाना चाहिये, होम्योपैथी में इसका बहुत अच्छा इलाज संभव है, क्योंकि होम्योपैथी एकमात्र ऐसी पद्धति है जिसमें मन को दुखी करने वाले अलग-अलग कारणों की कई-कई दवाएं हैं जिनका चुनाव मरीज विशेष के स्वभाव और उसकी प्रकृति के अनुसार किया जाता है, ऐसे में जब रोगी की प्रकृति के अनुसार सटीक दवा मिलती है तो रोग स्थायी रूप से ठीक हो जाता है।
यह जानकारी विश्व इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (19 मई) के मौके पर वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक व गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) के चीफ कन्सल्टेंट डॉ गिरीश गुप्ता ने देते हुए बताया कि मन:स्थिति का शरीर पर बहुत प्रभाव पड़ता है, कोई ऐसी घटना जिससे उसे मानसिक आघात पहुंचा हो, मन में डर बैठ गया हो, विशेष प्रकार के स्वप्न जो परेशान करते हों, भ्रम की स्थिति, रोगी की पसंद-नापसंद आदि की हिस्ट्री के साथ ही शारीरिक लक्षणों को जानकर प्रत्येक मरीज के अनुकूल दवा का चुनाव किया जाता है। ऐसा नहीं है कि एक दवा सभी मरीजों को फायदा करे।

उन्होंने कहा कि शारीरिक कारणों की बात करें तो ज्यादा चिकनाई, फास्ट फूड, ज्यादा मसालेदार भोजन, तम्बाकू, सिगरेट का सेवन जैसी आदतें भी इस बीमारी का कारण बनती हैं। यह पूछने पर कि मन:स्थितियों का शरीर पर कैसे प्रभाव पड़ता है, इस पर उन्होंने बताया कि व्यक्ति के मन में जब कोई सुख या दुख या यूं कहें कि खुशी या दुखी करने वाली बात, मन को परेशान करने की बात आती है तो शरीर के अंदर अच्छे और बुरे हार्मोन्स का स्राव होता है, जो बुरे हार्मोन्स होते हैं, उनका स्राव शरीर के आंतरिक अंग को प्रभावित करता है तथा वहां विकार (गांठ, सूजन) जैसी स्थितियां पैदा कर देता है।
उन्होंने कहा कि इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज IBD जैसी ही एक और बीमारी इरीटेबिल बाउल सिंड्रोम IBS है, इसमें भी आंतें प्रभावित होती है, लेकिन दोनों बीमारियों में महत्वपूर्ण अंतर हैं। IBD आंतों में सूजन पैदा करती है, और यह संक्रामक है जबकि IBS आंतों के काम करने के तरीके में बदलाव से जुड़ी है, और यह संक्रामक नहीं है। होम्योपैथिक में दोनों ही बीमारियों का इलाज होलिस्टिक एप्रोच के साथ चुनी गयी दवा से सम्भव है।
