-अस्पताल के बाहर बेड की उपलब्धता की ताजा स्थिति प्रदर्शित करने के भी आदेश
-मुख्य सचिव से आदेश का अनुपालन कराकर एक सप्ताह में मांगी आख्या
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। बड़ी संख्या में कोविड मरीजों की भर्ती में बाधक बन रही मुख्य चिकित्सा अधिकारी या अन्य विभागीय अधिकारी के रेफरल लेटर की अनिवार्यता समाप्त करने और बेड की उपलब्धता की जानकारी को अस्पताल के बाहर नोटिस बोर्ड पर लगाने के आदेश उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश शासन को दिये हैं। आयोग के दो सदस्यों द्वारा इस व्यवस्था के कारण पीडि़त जनता के फोन कॉल्स के मद्देनजर इस विषय में स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य सचि၇व को इस आदेश के क्रियान्वयन तथा एक सप्ताह में अपनी आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये हैं।
आयोग के सदस्यद्वय न्यायमूर्ति केपी सिंह व ओपी दीक्षित द्वारा दिये गये इस महत्वपूर्ण आदेश में कहा गया है जनता से दूरभाष पर प्राप्त सूचनाओं में आयोग को जानकारी मिली है कि कई सरकारी/निजी अस्पतालों के बाहर नोटिस बोर्ड पर कोविड/नॉन कोविड मरीजों के लिए कितने बेड उपलब्ध हैं और उनमें कितने भरे हुए हैं, अथवा रिक्त हैं की पूरी सूचना नोटिस बोर्ड पर डिस्प्ले नहीं की जा रही है, जिसके कारण मरीज अस्पतालों में जाकर भी इधर-उधर भटक रहे हैं। आदेश में कहा गया है कि कोविड अस्पतालों पर मरीज मुख्य चिकित्सा अधिकारी अन्य विभागीय अधिकारी के रेफरल लेटर के साथ ही अस्पताल में भर्ती किए जा रहे हैं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी का रेफरल लेटर उपलब्ध न होने पर अस्पताल में बेड उपलब्ध होने के बाद भी कोविड मरीज को भर्ती नहीं किया जा रहा है जिससे उन्हें तत्काल प्रभाव से इलाज नहीं मिल पा रहा है।
आदेश में कहा गया है कि सभी कोविड अस्पतालों में ऐसे विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध हैं जो यह निर्णय ले सकते हैं कि कोविड मरीज की हालत ऐसी है कि उसे तत्काल भर्ती किया जाना आवश्यक है और इसके लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी किसी अन्य विभागीय अधिकारी के कार्यालय से रेफरल लेटर की कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। आदेश में कहा गया है कि इस रेफरल सिस्टम के कारण जरूरतमंद मरीज कोविड अस्पतालों में भर्ती नहीं हो पा रहे हैं और उनकी जान को खतरा बना हुआ है।