-नवगठित गायनी ऑन्कोलॉजी विभाग ने आठ महीनों में हासिल की विशेष उपलब्धि
सेहत टाइम्स
लखनऊ। स्त्री रोग संबंधी ऑन्कोलॉजी विभाग ने अपनी स्थापना के 8 महीनों के भीतर ही एक उपलब्धि हासिल करते हुए डिम्बग्रंथि (ओवरी) कैंसर की सर्जरी के बाद इसके पुन: कैंसर होने की संभावना को नगण्य करने के लिए HIPEC (हीटेड इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी) प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है।
विभागाध्यक्ष डॉ निशा सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रक्रिया की सफलता में एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. अभिषेक कुमार का विशेष सहयोग मिला। इसके लिए उन्होंने आभार व्यक्त किया। डॉ निशा ने बताया कि उच्च श्रेणी के सीरस डिम्बग्रंथि कैंसर से पीड़ित इस 38 वर्षीय महिला ने पिछले सप्ताह इंटरवल डिबल्किंग सर्जरी और उसके बाद इंट्राऑपरेटिव HIPEC कीमोथेरेपी करवाई। वह इस प्रक्रिया से अच्छी तरह उबर गई और पोस्टऑपरेटिव चरण में भी उसकी हालत में सुधार हो रहा है। उन्होंने HIPEC मशीन के लिए पिछले वर्ष बजट स्वीकृत करने के लिए कुलपति का आभार जताया।
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया की सफलता के लिए मैं अपने रेजिडेंट, ओटी स्टाफ और एनेस्थीसिया टीम का भी तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूँ। डॉ निशा ने बताया कि अभी तक सामान्य तौर पर डिम्ब ग्रंथि के कैंसर के उपचार में सर्जरी के साथ कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसा देखा गया है कि इस सर्जरी और कीमोथेरेपी के बाद भी कैंसर पुन:होने की संभावना ज्यादा रहती थी।
क्या है नयी हीटेड इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी प्रक्रिया
सर्जरी के बाद फिर से कैंसर न हो इसकी संभावना को लगभग समाप्त करने के दृष्टिकोण से इन नयी प्रक्रिया हीटेड इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी की शुरुआत की गयी है। उन्होंने बताया कि यह नयी प्रक्रिया HIPEC कीमोथेरेपी अभी तक होने वाली सर्जरी+आईवी कीमोथेरेपी प्रक्रिया के अतिरिक्त होगी, अभी तक सर्जरी के अलावा निश्चित समय के अंतराल पर कुल छह चक्रों में इंट्रावीनस कीमोथेरेपी (नसों से दवा देना) की जाती है। अब नयी प्रक्रिया के तहत तीन चक्रों की आईवी कीमोथेरेपी के बाद जब डिम्बग्रंथि की सर्जरी की जायेगी, उसी समय सर्जरी किये जाने वाली जगह से ही हीटेड इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी दी जायेगी और उसके बाद बचे हुए तीन चक्र की आईवी कीमोथेरेपी दी जायेगी।


