-होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने आपातकालीन बैठक में मौजूदा हालातों पर जतायी चिंता
-सरकार से अपील, इस महामारी में सकारात्मक परिणाम वाली होम्योपैथिक दवाओं का भी करें इस्तेमाल
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचएमएआई) ने देश में चल रही मौजूदा कोविड लहर से हो रही तबाही पर चिंता जताते हुए कहा है कि आज स्थिति भयावह हो रही है। चूंकि केंद्र सरकार के संस्थान सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) लखनऊ में 1982 से 1985 तक हुई रिसर्च में वायरस के खिलाफ होम्योपैथिक दवाओं का कारगर होना पाया जा चुका है, ऐसे में सरकार को चाहिये कि कोविड मरीजों का इलाज करने में होम्योपैथी चिकित्सकों की भी सेवायें ले। होम्योपैथिक दवाओं से कोविड का उपचार करने के साथ ही इससे बचाव भी किया जा सकता है। एचएमएआई इस विषय में शीघ्र ही प्रधानमंत्री से सम्पर्क करेगा।
एचएमएआई की एक आपातकालीन वर्चुअल बैठक आज 8 मई को आयोजित की गयी, इसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के होम्योपैथिक चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ रामजी सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक का संचालन सचिव डॉ पीयूष जोशी ने किया। बैठक में गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के संस्थापक होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ गिरीश गुप्ता ने कहा कि सरकार के समक्ष मजबूती के साथ यह बताना चाहिये कि किसी भी प्रकार के वायरस से बचने और उसके उपचार के लिए होम्योपैथी में दवायें मौजूद हैं जो लक्षणों के आधार पर दी जाती हैं। उन्होंने वायरस के खिलाफ की गयी अपनी रिसर्च के बारे में बताया कि उन्होंने सीडीआरआई लखनऊ में वायरोलॉजी विभाग में 1982 से 1985 तक ‘एंटीवायरल स्क्रीनिंग ऑफ होम्योपैथिक ड्रग अगेंस्ट ह्यूमन एंड एनिमल वायरेसेस’ (Antiviral screening of Homoeopathic drugs against human and animal viruses) विषय पर रिसर्च की थी।
उन्होंने बताया कि सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी (सीसीआरएच) द्वारा प्रायोजित इस रिसर्च पेपर्स का प्रकाशन जुलाई 1985 में ब्रिटिश होम्योपैथिक जर्नल में हुआ था। उन्होंने बताया कि होम्योपैथी में वायरस के शरीर पर आक्रमण होने के बाद हर स्टेज के लिए अलग-अलग दवाएं मौजूद हैं जो वायरस के अटैक को वहीं पर रोक देती हैं और रोगी को ठीक कर देती हैं। उन्होंने बताया कि पहले जब नाक में वायरस पहुंचता है और छींकें आती हैं, उस स्तर पर, फिर गले में पहुंचने की स्टेज पर, फिर छाती में पहुंचने की स्टेज पर ब्रॉन्काइटिस पैदा करने पर, फिर फेफड़ों में पहुंचने की स्टेज पर, बलगम आने की स्टेज के लिए अलग-अलग दवायें मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि वायरस के आक्रमण से बचने की भी दवायें भी होम्योपैथिक में मौजूद हैं, ये दवायें शरीर में एंटीबॉडीज बनाती हैं, जो इम्युनिटी बढ़ाती हैं, जिससे वायरस के शरीर में प्रवेश करते ही उससे लड़ने में शरीर सक्षम होता है।
उन्होंने बताया कि कोविड में भी उन्होंने इन दवाओं का प्रयोग किया और पाया कि अस्पताल में भर्ती जिन मरीजों को एलोपैथी के साथ होम्योपैथी दवायें दी गयीं उन्हें सिर्फ ऐलोपैथी दवायें लेने वालों से ज्यादा लाभ हुआ।
डॉ भास्कर भट्ट ने कहा कि होम्योपैथी इलाज करने की अनुमति देने के लिए पॉलिटिकल विल की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने टीकाकरण को लेकर जो पहले चिकित्सा कर्मियों को लगाने का फैसला किया था, उसी का नतीजा है कि इस दूसरी लहर में टीकाकरण करा चुके चिकित्सा कर्मियों को गंभीर खतरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिये कि वह होम्योपैथिक इलाज को भी मुख्य धारा लाये।
डॉ एसएम सिंह ने कहा कि आजकल स्थिति बहुत भयावह है, मोबाइल खोलो, टीवी खोलो सभी तरफ कोविड से कराहते लोग दिखते हैं, बेड की कमी, ऑक्सीजन की कमी से लोग जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह विडम्बना है कि होम्योपैथिक दवाओं से मरीज ठीक हो सकते हैं लेकिन इस इलाज की सरकार अनुमति नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि आखिर हम कब तक इंतजार करें।
डॉ राजेश शाह ने कहा कि अभी ऐसा कोई सिस्टम नहीं है कि भर्ती मरीजों तक हम होम्योपैथिक दवायें पहुंचा सकें। यह रास्ता सरकार को ही निकालना होगा। उन्होंने कहा कि इस महामारी के समय होम्योपैथिक दवाओं का दम दिखाने का अच्छा अवसर है। उन्होंने कहा कि सरकार से इमरजेंसी एप्रूवल लेने की कोशिश करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि सरकार हमें मौका दे, हम तीन दिन में मरीज पर होम्योपैथिक दवाओं का असर दिखा सकते हैं।
डॉ श्रीवात्सन ने कहा कि कोविड से बचाव के लिए जिन व्यक्तियों को आर्सेनिक एल्बम दी गयी उनमें कोविड संक्रमण से रिकवरी का रेट 80 प्रतिशत देखा गया। उन्होंने कहा कि सरकार से मरीजों के इलाज की अनुमति मिले इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से सम्पर्क करना चाहिये। इनके अतिरिक्त डॉ केयूर मजूमदार, डॉ बिप्लब कुमार, डॉ अरुण भस्मे, डॉ अशोक कुमार दास, डॉ श्यामल मुखर्जी ने भी होम्योपैथी दवाओं के कोविड में कारगर रहने के बारे में अपने-अपने अनुभव साझा किये।
चर्चा में सभी के विचार सुनने के बाद एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ रामजी सिंह ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार तक होम्योपैथी की दवाओं की सफलता के बारे में बताते हुए इलाज की अनुमति पर सरकार से अंतिम निर्णय करने की मांग की जाये, सरकार से कहा जाये कि अनुमति के लिए हां करे या न करे, मामले को लम्बित न रखे। एसोसिएशन के सचिव डॉ पीयूश जोशी ने बैठक में भाग लेने वाले सभी चिकित्सकों का आभार जताते हुए कहा कि दो दिन में इस सम्बन्ध में पत्र तैयार कर आगे की कार्यवाही की जायेगी। इस बैठक में डॉ विमल आचार्य, डॉ धीमन्त याग्निक, डॉ पवन सिंह, डॉ वीना श्रीवास्तव ने भी हिस्सा लिया।