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लोहिया संस्‍थान में कर्मचारी की मौत के लिए मोर्चा ने ठहराया इमरजेंसी डॉक्‍टरों को जिम्‍मेदार

-अपने ही संस्‍थान की इमरजेंसी में बेड खाली होने के बाद भी नहीं किया भर्ती

-इमरजेंसी में भर्ती न करने के कारण ले जाना पड़ा था निजी अस्‍पताल, जहां हुई मौत

-कर्मचारियों ने की शोकसभा, निष्‍पक्ष जांच, परिजन को नौकरी व 50 लाख मुआवजा की मांग

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के हॉस्पिटल ब्लॉक में कार्यरत एक्‍स रे टेक्‍नीशियन की मौत के लिए संस्‍थान के इमरजेंसी में तैनात डॉक्‍टरों द्वारा भर्ती कर इलाज न देने को मानते हुए कर्मचारियों ने संस्‍थान के निदेशक से प्रकरण की निष्‍पक्ष जांच की मांग करते हुए एक माह के अंदर कर्मचारी के परिवार के एक सदस्‍य को नौकरी तथा 50 लाख रुपये मुआवजा की मांग की है। कर्मचारियों का कहना है कि अपने ही संस्‍थान का कर्मचारी होने और बेड खाली होने के बावजूद भर्ती न किया जाना अत्‍यन्‍त निंदनीय है, अगर समय पर भर्ती कर इलाज मिल गया होता तो कर्मचारी की मौत शायद न होती।

लोहिया कर्मचारी अस्तित्व बचाओ मोर्चा के अध्यक्ष डी डी त्रिपाठी द्वारा 15 अक्टूबर को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि लोहिया संस्थान के हॉस्पिटल ब्लॉक में प्रतिनियुक्ति पर तैनात टेक्नीशियन अनुराग सिंह का बीते 6 अक्टूबर को ड्यूटी पर आते समय एक्सीडेंट हो गया था। एक्स-रे में हड्डी टूटी होने की पुष्टि हुई थी, पहले कच्चा प्लास्टर उसी दिन लगा दिया गया था, इसके बाद 12 अक्टूबर को पक्का प्लास्टर लगाया गया था। विज्ञप्ति के अनुसार 13 अक्टूबर को रात्रि लगभग 11 से 12 बजे के बीच कर्मचारी को कमजोरी के साथ बुखार और पूरे बदन में दर्द की शिकायत के साथ संस्थान की इमरजेंसी में इलाज के लिए लाया गया था। अध्‍यक्ष का आरोप है कि इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों द्वारा मरीज को बेड खाली न होने की बात कहते हुए भर्ती करने से मना कर दिया गया, सिर्फ इंजेक्शन लगाकर घर जाने के लिए कह दिया गया। अध्‍यक्ष का कहना है कि जबकि उस समय अस्‍पताल में बेड खाली थे। इसके बाद परिवार के लोग विवश होकर चंदन हॉस्पिटल ले गये वहां कर्मचारी को भर्ती कराया, जहां अगले दिन 14 अक्टूबर को कर्मचारी का देहावसान हो गया।

अध्यक्ष द्वारा आरोप लगाते हुए कहा गया है कि यदि डॉक्टरों द्वारा सही समय पर अनुराग सिंह को भर्ती कर लिया गया होता व ठीक प्रकार से इलाज हो जाता तो शायद उनकी मृत्यु न होती। उन्‍होंने कहा कि यह स्थिति संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों के साथ हो रही है तो आम जनमानस का क्या होता होगा इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है। अध्यक्ष ने कहा कि साथी कर्मचारी की मेडिकल बुक संस्थान द्वारा ही जारी की गई है इसके बाद भी उनको भर्ती न किया जाना बहुत दुर्भाग्‍यपूर्ण है। अध्यक्ष ने कहा कि साथी कर्मचारी की इन परिस्थितियों में हुई मौत से हम सभी कर्मचारी बहुत दुखी और आहत हैं। आज अस्‍पताल परिसर में सभी कर्मचारियों ने शोकसभा में मृतक की आत्‍मा को शांति की कामना करते हुए अपनी श्रद्धांजलि दी। उन्‍होंने कहा कि एक माह में यदि मांगे न मानी गईं तो 15 नवंबर को मोर्चा की एक बैठक कर आगे के आंदोलन की घोषणा की जाएगी।