-संजय गाँधी पीजीआई ने किया दुर्लभ रोग दिवस-2024 का आयोजन
सेहत टाइम्स
लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिकल जेनेटिक्स विभाग ने आज 24 फरवरी को इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के यूपी चैप्टर और लखनऊ एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के साथ दुर्लभ रोग दिवस – 2024 का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यूपी की निदेशक पिंकी जोवेल ने किया। उन्होंने कार्यक्रम में शामिल हुए दुर्लभ रोग ग्रस्त बच्चों से भी बात की। बच्चों के लिए ड्राइंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
मेडिकल जेनेटिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो शुभा फड़के ने बताया कि पिछले दशक में, निदान तकनीक में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और इन दुर्लभ बीमारियों के लिए अब कई नए उपचार उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि हम ‘ATGC’ के माध्यम से आनुवंशिक विकारों के लिए व्यापक देखभाल के मिशन को प्राप्त कर रहे हैं। इस फॉर्मूले के बारे में उन्होंने बताया कि ATGC यानि A- Antenatal & Neonatal Screening प्रसवपूर्व एवं नवजात जांच, T- Testing &Treatment परीक्षण एवं उपचार, G- Genetic Counseling आनुवंशिक परामर्श और C- Care & Surveillance देखभाल एवं निगरानी।
उन्होंने बताया कि कुछ नए उपचारों की लागत अत्यधिक है और सामान्यतया रोगियों की वित्तीय पहुंच से परे है। इस समय भारत सरकार ने राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति-2021 लॉन्च की है और पूरे भारत में सात उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए, संजय गांधी पी जी आई उनमें से एक है। उत्कृष्टता केंद्र के रूप में, सरकार ने दुर्लभ बीमारियों वाले रोगियों के इलाज के लिए एस जी पी जी आई को शुरुआत में 6.4 करोड़ रुपये दिए हैं। इस नीति के तहत, गौचर रोग और स्पाइनल मस्कुलर रोग के रोगियों को अब मुफ्त इलाज मिल रहा है। कई अन्य बीमारियों से ग्रस्त रोगी जैसे विल्सन रोग, टायरोसिनेमिया, ग्रोथ हार्मोन की कमी, इम्यूनोडेफिशिएंसी विकार आदि के लिए जल्द ही मुफ्त दवाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि 3 वर्षों तक चलने वाले एनएचएम वित्त पोषित नवजात स्क्रीनिंग कार्यक्रम के तहत, लखनऊ के 7 अस्पतालों, बाराबंकी और रायबरेली के जिला अस्पतालों के 65000 शिशुओं को लाभ हुआ है। उनमें से ढाई सौ शिशुओं को जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म, जन्मजात अधिवृक्क हाइपरप्लासिया, बायोटिनिडेज़ की कमी, जी 6पीडी की कमी और गैलेक्टोसिमिया सहित पांच विकारों में से किसी एक के लिए पूर्व-लक्षण निदान किया गया था और उनके उपचार को उनके जिलों में प्रबंधित किया गया। नवजात शिशु की जांच और उपचार से बच्चों में मानसिक विकलांगता को रोका जा सकता है।