-एईएफआई के सदस्य डॉ एनके अरोरा ने दीं वैक्सीनेशन पर अहम जानकारियां
-यूनीसेफ ने आयोजित की एडीटर्स मीट, तीखे सवालों का सीधा जवाब
धर्मेन्द्र सक्सेना
लखनऊ। एडवर्स इवेन्ट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन (एईएफआई) के सदस्य डॉ एनके अरोरा ने कोविड से लड़ाई में वैक्सीनेशन को ही एकमात्र विकल्प बताते हुए कहा है कि यह पूरी तरह सुरक्षित है, इसको लेकर किसी प्रकार का भ्रम मन में रखने की जरूरत नहीं है, उन्होंने कहा कि यदि किसी को वैक्सीन लगी है तो उसे कोविड होने का खतरा तो है लेकिन हॉस्पिटल में भर्ती होने और जान जाने का खतरा बिल्कुल भी नहीं है, इन खतरों से वह 100 फीसदी सुरक्षित रहेगा।
डॉ अरोरा ने यह बात यूनिसेफ द्वारा आज पहली अप्रैल को जूम पर आयोजित एडिटर्स मीटिंग में कही। अनेक समाचार पत्रों, इलेक्ट्रॉनिक चैनल, न्यूज पोर्टल, न्यूज एजेंसी के सम्पादकों व प्रतिनिधि इस मीट में जुड़े, जानकारी के प्रेजेन्टेशन के बाद ओपन सेशन में पत्रकारों ने टीकाकरण को लेकर अनेक सवाल पूछे जिनका डॉ अरोरा ने जवाब दिया। डॉ अरोरा ने कहा कि कोई भी टीका हो, वह सौ प्रतिशत प्रभावी नहीं होता है, यही बात कोविड की वैक्सीन में भी है, लेकिन यह सौ फीसदी देखा गया है कि वैक्सीनेशन के बाद भी अगर कोरोना संक्रमण का असर होता है तो वह बहुत माइल्ड होता है, जिसमें न तो अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है और न ही मृत्यु का खतरा होता है, इसलिए वैक्सीनेशन लगवाना कोविड से जीवन रक्षा करने जैसा है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के दोनों डोज लेने के 15 दिन बाद व्यक्ति के अंदर प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है।
वैक्सीनेशन के बाद आधा घंटा जरूर रुकना चाहिये
डॉ अरोरा ने कहा कि टीका लगवाने के बाद वहां आधा घंटा रोके जाने के नियम को फॉलो जरूर करना चाहिये, इसी लिए टीकाकरण के कार्यक्रम को शिविर लगाकर, घरों में जाकर करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अब तक के टीकाकरण में 60 व्यक्ति ऐसे पाये गये जिन्हें टीका लगाने के बाद ऐनाफाइलैक्सिस (एलर्जी) की शिकायत हुई यानी खुजली, पल्स रेट कम होना आदि की शिकायत हुई चूंकि वह टीका लगाने के बाद आधा घंटा टीकाकरण केंद्र पर ही रहे तो उनको तुरंत उपचार दे दिया गया और सभी ठीक हो गये। उन्होंने कहा कि हम लोग एक-एक चीज की बहुत की गहराई से मॉनीटरिंग कर रहे हैं, और हमने पाया है कि टीका के चलते किसी को भी कोई नुकसान नहीं हुआ है। अगर कहीं किसी की मृत्यु, ब्लीडिंग, थक्का बनने की जो खबरें सुनी गयीं तो उनकी गहराई में भी जाकर देखा गया तो पता चला कि यह मात्र संयोग था, क्योंकि अगर टीके से ऐसा होता तो ऐसा होने वालों की संख्या ज्यादा होनी चाहिये थी, जो कि नहीं है।
कोविड वायरस का मौसम से विशेष लेना-देना नहीं
एक सवाल के जवाब में डॉ अरोरा ने इन दिनों एक नामी डॉक्टर द्वारा वैक्सीन लगाये जाने को लेकर वायरल हो रहे उनके वीडियो के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके द्वारा कही गयी बात का कोई वैज्ञानिक आधार या तथ्य नहीं है। एक अन्य प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि कोविड-19 वायरस का मौसम से कोई विशेष लेना-देना सामने नहीं आया है। डॉ अरोरा ने इस पर सहमति जतायी कि किये जा रहे टेस्ट में आरटीपीसीआर और एंटीजन टेस्ट की संख्या अलग-अलग बतायी जानी चाहिये। साथ ही उन्होंने जहां केस कम आ रहे हैं वहां कम टेस्टिंग की संभावना से भी इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले की जनसंख्या के हिसाब से टेस्टिंग होनी चाहिये। उन्होंने दूसरी लहर के लिए लोगों द्वारा मास्क न लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग और हाथों की सफाई न किये जाने जैसी लापरवाही को एक बड़ा कारण बताया।
सचिवालय में लगे जांच शिविर में लापरवाही
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि आरटीपीसीआर रिपोर्ट 4 से 6 घंटे में और नैट टेस्ट से रिपोर्ट आधे घंटे में दी जा सकती है। उनसे बताया गया कि उत्तर प्रदेश सचिवालय में आजकल की जा रही कोरोना टेस्टिंग में सैम्पल लेने वाले व्यक्ति द्वारा सबकी सैम्पलिंग में एक ही ग्लब्स का प्रयोग किया जा रहा है, यही नहीं जब उससे कहा गया तो स्वास्थ्य कर्मी ने सफाई देते हुए कहा कि वह ग्लब्स पहने हुए हाथ को बार-बार सैनिटाइज कर रहा है। इस पर डॉ अरोरा ने कहा कि सैनिटाइजेशन का अहम रोल है, थोड़ी सी भी लापरवाही संक्रमण दे सकती है। उन्होंने कहा कि यह व्यवहारगत बात है, और व्यवहार में न होने से ही अस्पतालों में फैलने वाले इन्फेक्शन का भी यही कारण है।
स्वास्थ्य कर्मियों की उदासीनता
सेहत टाइम्स द्वारा पूछे गये सवाल कि तीन लाख से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स ने दूसरा डोज नहीं लगवाया है, तो ऐसे में टीकाकरण के प्रति जागरूकता को लेकर जहां आम जनता में मैसेज अच्छा नहीं जाता, वहीं पहले डोज लगे हुए अगर ज्यादा समय हो गया है तो अब फिर से पहले डोज से प्रक्रिया शुरू करनी होगी, के जवाब में उन्होंने स्वीकार किया कि हेल्थ वर्कर्स द्वारा दूसरा डोज लगवाने में उदासीनता दिखाना उसी तरह है कि मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त, उन्हें गम्भीरता दिखानी चाहिये। डॉ अरोरा ने कहा कि जहां तक पहले डोज के बाद दूसरे डोज के बीच बताये गये समय से ज्यादा समय बीतने की बात है तो अब भी दूसरा डोज लगवाया जा सकता है, जब जागे तभी सवेरा।
इससे पूर्व मीटिंग का संचालन करते हुए यूनीसेफ की कैप स्पेशियलिस्ट गीताली त्रिवेदी ने कोविड प्रोटोकॉल को लेकर कई जानकारियां दीं। इसके अलावा यूनीसेफ के चीफ ऑफ फील्ड ऑफिस रूथ लियनो ने कोविड काल में मीडिया द्वारा किये जा रहे सहयोग की सराहना की। यूनीसेफ की हेल्थ स्पेशियलिस्ट डॉ कनुप्रिया सिंघल ने वैक्सीनेशन अपडेट्स की जानकारी दी। अंत में यूनीसेफ के प्रोग्राम मैनेजर डॉ अमित मेहरोत्रा ने मीटिंग में भाग लेने वाले लोगों के प्रति अपना धन्यवाद ज्ञापित किया।