दीपावली के मौके पर प्रदूषण भरे माहौल को लेकर दी विशेषज्ञों ने कई सलाह
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। व्यायाम करना अच्छी आदत है, लेकिन अगर आप श्वास के रोगी हैं तो फिर दीपावली और उसके करीब एक सप्ताह के बाद तक व्यायाम घर के अंदर कर लें, ऐसा इसलिए दीपावली के मौके पर जलाये जाने वाले पटाखों से वातावरण श्वास के रोगियों के लिए खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है।
यह जानकारी दीपावली के मौके पर शनिवार को डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग द्वारा श्वांस रोगियों, वरिष्ठ नागरिको, बच्चों एंव गर्भवती महिलाओं को जागरूक करने के लिए देने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था। विभागाध्यक्ष प्रो वेद प्रकाश के साथ ही केजीएमयू पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके प्रो राजेन्द्र प्रसाद तथा प्रो आरएएस कुशवाहा ने इस मौके पर इस विषय पर विभिन्न जानकारियां दीं। प्रेस वार्ता का मुख्य उद्देश्य लोगों को दीपावली के अवसर पर, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और मिलावटी खा़द्य पदार्थ के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव एवं उनसे बचाव के बारे में बताना था।
देखें वीडियो डॉ वेद प्रकाश ने क्या कहा
उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण पूरे विश्व की समस्या बन गयी है। हर 10 में से 9 लोग प्रदूषित वायु में रह रहे हैं। हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मृत्यु वायुप्रदूषण की वजह से होती है।
दिवाली मिठाइयों, प्रकाश एवं पटाखों का त्योहार है। दिवाली का पर्व खुशियां लेकर आता है वहीं पर यह पर्व श्वांस रोगियों के लिए परेशानी का कारण बन जाता है। बदलते हुए मौसम, वायु प्रदूषण, मिलावटी खानें एवं बढ़े हुए पराग कणों के कारण दिवाली के समय अस्पतालों में रोगियों की संख्या बढ जाती है। प्रायः यह देखा गया है कि पटाखों से उठनें वाले धुएं से अस्थमा, एलर्जी एवं सी0ओ0पी0डी0 के मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। दमा और सी0ओ0पी0डी0 बीमारियों से पीडित मरीजों में सांस फूलना, छाती में जकड़न, खांसी एवं सीटी बजना जैसे लक्षण बढ़ जाते हैं।
देखें वीडियो श्वास रोगियों के बारे में डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने क्या कहा
क्या सावधानियाँ बरतें
-श्वास के मरीजों को पटाखों एवं धुएं से दूर रहना चाहिए।
-घर के बाहर व्यायाम करने कि बजाए घर के अन्दर करें।
-गर्भवती महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों को घर के अन्दर रखें।
-खिड़की दरवाजे बन्द रखें।
-घर के बाहर जाना जरूरी हो तो मुंह पे मास्क या रूमाल बाधें, आंखों पर चश्मा लगायें और खुलें में ज्यादा देर तक काम करने से बचें।
-दवाइयां और इनेहलर समय से इस्तेमाल करें।
-डॉक्टर द्वारा अस्थमा एक्शन प्लान के बारे में जानेंं।
-ताजे फल सब्जियां और घर में बनी मिठाइयों का इस्तेमाल करें।
-स्वास्थ्य बिगडनें पर अपने चिकित्सक से मदद लें।
देखें वीडियो दीपावली पर श्वास रोगियों के लिए डॉ आरएएस कुशवाहा ने क्या कहा
खाद्यपदार्थों में मिलावट एक बड़ी परेशानी
प्रो वेद प्रकाश ने बताया कि हमारे देश में मिठाइयां घर में बनती थी जिसमें पड़ने वाले सामग्री के बारे में पूरी तरह से जानकारी होती थी। बढती हुई आय के साथ लोगों में बाहर के खाने एवं मिठाइयों का प्रचलन बढा है। बाहर के ठेलों मिठाई की दुकानों पर घटिया क्वालिटी के सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। इनका मुख्य उद्देश्य प्लेटों को भरना होता है न कि पोषण प्रदान करना। मिलावटी खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होता है। खानें में मिलावट जानकर या अनजाने में हो सकती है। दिवाली के अवसर पर मुख्यतः दूध में पानी एवं खानें वाले रंग एवं मसालों में मिलावट की जाती है।
–खाने के तेल में मिलावट से कैंसर,
-हल्दी में लेड क्रोमेट से खून की कमी पक्षाघात और महिलाओं मे गर्भ में पल रहे बच्चों को क्षति,
-पानी में लेड के मिलने से फूड मिलने से नींद न आना खून की कमी कब्ज एवं दिमाग पर दुष्प्रभाव,
-पानी एवं पेय पदार्थों में कोबाल्ट के मिलावट से दिल की बीमारियाँ,
-कॉपर,टिन एवं जिंक के मिलावट से उल्टी एवं दस्त,
-मछलियों में मर्करी की वजह से दिमाग को क्षति एवं मृत्यु तक हो सकती है।
-खाद्य पदार्थों में रंगों की मिलावट से एलर्जी लिवर का नुकसान बाँझपन, कैंसर एवं गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चों पर दुष्प्रभाव होता है।
फूड एडल्ट्रेशन से बचने के लिए क्या करें
मिलावट कम मात्रा में भी शरीर को बहुत नुकसान पहुचा सकती। अतः-
-भरोसे मंद दुकानों से ही खाद्य सामग्री का क्रय करें।
-घर में बनी हुई मिठाइयों एवं भोजन का सेवन करें।
-सामान खरीदतें समय पैकिंग को एवं एक्पायरी डेट की जांच करें।
-अपने आस-पास बिमार पडने वाले रोगियों की जानकारी रखें।
-निम्न गुणवत्ता वाले दुकानों एवं प्रतिस्ठानों की जानकारी रखें।
-अपने आस-पास लोगों को मिलावट के बारे में जागरूक करें।