-विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर) पर चिकित्सक की कलम से
‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ का आयोजन प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को विश्व में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता लाने और मानसिक स्वास्थ्य के प्रयासों को संगठित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष किया जाता है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को लेकर इस वर्ष 2020 का थीम “सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य” है। इस दिवस पर मानसिक रोगों के बारे में विभिन्न प्रकार के आयोजन किये जायेंगे। इस दिवस का महत्व और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि मानसिक रोगों की स्थिति का अनुमान इस तथ्य लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में करोड़ों लोग मानसिक बीमारियों की गिरफ्त में हैं।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति बहुत चिंताजनक है क्योंकि देश का हर 10वां व्यक्ति किसी न किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित है । देश में प्रतिवर्ष लगभग 2 लाख लोग आत्महत्या कर लेते हैं। तनाव, चिंता, अनिद्रा, सिजोफ्रेनिया से लाखों लोग प्रभावित हैं। कोविड -19 के इस संक्रमण काल के दौरान ज्यादातर लोग मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं और समाज व परिवार में जागरूकता के अभाव में मनोरोग चिकित्सकों से परामर्श का लाभ नहीं ले पाते हैं। भारत में मात्र 25312 मानसिक चिकित्सक ही उपलब्ध है तथा मात्र 49 बच्चों के मानसिक चिकित्सक उपलब्ध हैं जो मानकों से बहुत कम हैं। देश मे मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बहुत ही दयनीय है। देश की 136 करोड़ आबादी पर मात्र 136 मानसिक हॉस्पिटल ही उपलब्ध हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि यदि स्थिति में सुधार न हुआ तो भारत 2030 तक मानसिक रोगों का इपीडिमिक देश बन जायेगा। मानसिक स्वास्थ्य की जागरूकता की कमी तथा चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण लोग उपचार नहीं करा पा रहें हैं और इतनी प्रगति के बाद भी बाबा, ओझा, झाड़फूंक के चक्कर मेँ पड़े रहते हैं।
मानसिक बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। वर्तमान समय में लॉक डाउन की वजह से स्कूली बच्चों पर ध्यान देने की बहुत जरूरत है क्यंकि वह भी अनेक मासिक समस्याओं डिप्रेशन, चिंता ,गुस्सा, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा आदि से परेशान हैं ।
लक्षण क्या हैं:
मानसिक रोग कई प्रकार के होते हैं, इनमें डिमेंशिया, डिस्लेक्सिया, डिप्रेशन, तनाव, ठंडापन, कमजोर याददाश्त, बायपोलर डिसआर्डर, अल्जाइमर रोग, भावनाओं की बीमारी आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त अत्यधिक भयावहता होना, थकान और सोने की समस्याएं होना, वास्तविकता से अलग हटना, दैनिक समस्याओं से सामना करने में असमर्थ होना, समस्याओं और लोगों के बारे में समझने में समस्या होना, शराब व नशीली दवाओं का सेवन, हद से ज्यादा क्रोधित होना आदि मानसिक बीमारी के लक्षण हैं।
क्या करें:
यदि किसी को मानसिक बीमारी है तो उसे तनाव को नियंत्रित करना होगा, नियमित चिकित्सा पर ध्यान देना होगा, पर्याप्त नींद लेनी होगी। समस्या से ग्रसित व्यक्ति पौष्टिक आहार लें व नियमित व्यायाम करें। घर एवं समाज के लोगों को इनकी उपेक्षा के बजाय उनका साथ देना चाहिए सौहार्दपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। उनका मनोचिकित्सक से उपचार कराना चाहिए। सरकार को मानसिक रोगोँ के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए अभियान चलाना चाहिए। सबसे अधिक आवश्यकता इस बात की है कि सरकार मानसिक रोगों की चिकित्सा की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराए तभी मानसिक स्वास्थ्य एवं स्वस्थ समाज की संकल्पना संभव हो सकती है।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति का भी सहयोग लिया जाना चाहिए क्योंकि उसमें मानसिक रोगोँ के उपचार की बहुत कारगर दवाइयाँ उपलब्ध हैं और सबसे बडी विशेषता यह है कि वह शरीर पर किसी प्रकार का दुष्परिणाम नहीं उत्पन्न करती हैं।
-डॉ अनुरुद्ध वर्मा, पूर्व सदस्य, केंद्रीय होम्योपैथी परिषद एवं वरिष्ठ चिकित्सक मो. 9415075558