-कर्मचारी-शिक्षक संयुक्त मोर्चा की बैठक में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील
सेहत टाइम्स
लखनऊ। कर्मचारी-शिक्षक संयुक्त मोर्चा, उप्र के अध्यक्ष वीपी मिश्र की अध्यक्षता में एक अति आवश्यक बैठक आहूत की गयी जिसमें ‘सरकारी कर्मचारियों के मान्यता प्राप्त सेवा संघों के पदाधिकारियों के स्थानान्तरण’ पर किये गये परिवर्तन पर कर्मचारी सेवा संघों द्वारा भारी आक्रोश व्यक्त करते हुए जारी वार्षिक स्थानान्तरण नीति 2023-24 के प्रस्तर-12 को तत्काल निरस्त किये जाने की मुख्यमंत्री से अपील की गयी।
एक विज्ञप्ति के माध्यम से यह जानकारी देते हुए मोर्चे के महासचिव शशि कुमार मिश्र ने बताया कि बैठक में मोर्चें के सभी घटक संगठनों के पदाधिकारियों ने एक स्वर से सरकार की कर्मचारी विरोध नीतियों पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि विगत 3 दशक से अधिक समय से यह प्रावधानित है कि सरकारी सेवकों के मान्यता प्राप्त सेवा संघ के अध्यक्ष/सचिव, जिनमें जिला शाखाओं के अध्यक्ष एवं सचिव भी सम्मिलित हैं, के स्थानांतरण, उनके द्वारा संगठन में पदधारित करने की तिथि से 2 वर्ष तक न किए जाएं। यदि स्थानांतरण किया जाना अपरिहार्य हो तो स्थानांतरण के लिए प्राधिकृत अधिकारियों से एक स्तर उच्च अधिकारी का पूर्वानुमोदन प्राप्त किया जाए। जिला शाखाओं के पदाधिकारियों के स्थानांतरण प्रकरणों पर जिलाधिकारी की पूर्व अनुमति प्राप्त की जाए।
उन्होंने बताया कि यह अत्यंत खेद का विषय है कि वर्तमान स्थानांतरण नीति 2023-24 में पूर्व की परंपरा को तोड़ते हुए कहा गया है कि सरकारी सेवकों के मान्यता प्राप्त सेवा संघ के प्रदेश/मंडल/जिला स्तर के अध्यक्ष एवं सचिव के स्थानांतरण उनके द्वारा संगठन के पदधारित करने की तिथि से 2 वर्ष तक न किए जाएं। किन्तु लापरवाह/भ्रष्टाचार/अपरिहार्य परिस्थितियों में सक्षम स्तर से अनुमोदनोपरांत यथोवश्यकता स्थानांतरण किया जा सकेगा। जिन कार्मिकों का नीति में अधिकतम कार्यकाल (3 वर्ष/7 वर्ष) परिभाषित है, वह कार्मिक यदि 2 वर्ष से अधिक समय के लिए अध्यक्ष/सचिव के पद पर निर्वाचित होता रहता है तो उसे स्थानांतरण नीति में यह छूट अधिकतम कार्यकाल समाप्त होने के सत्र से अधिकतम 2 वर्ष तक ही मिल सकेगी।
समूह ‘ग’ तथा समूह ‘घ’ श्रेणी के कार्मिक यदि 2 वर्षों से अधिक समय के लिए अध्यक्ष/सचिव के पद पर निर्वाचित होता रहता है तो उन्हें यह सुविधा उनके किसी जनपद के कार्यकाल की अवधि के आधार पर इस नीति के अनुसार स्थानांतरण परिधि में आने वाले सत्र से अधिकतम 2 वर्ष तक मिल सकेगी। जिन पदाधिकारियों के स्थानांतरण समयावधि के पूर्व किए जाने हो, उनके संबंध में विभागीय मंत्री से भी विचार-विमर्श करके कार्यवाही की जाए। उल्लेखनीय है कि पूर्व की परंपराओं में फेरबदल कर कर्मचारियों के लिए लोकतंत्र पर प्रहार है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि सर्वविदित है कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि सरकार, शासन व कर्मचारी के मध्य सेतु का कार्य करते हैं। ऐसी दशा में संघों को कमजोर करने की साजिश, कदापि उचित नहीं है। मोर्चें के सभी घटक संगठनों के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस प्रकरण पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए स्थानांतरण नीति 2023-24 प्रस्तर-12 में सरकारी संवर्गों के मान्यता प्राप्त संघों के प्रदेश/मंडल/जिला अध्यक्ष एवं सचिवों को पूर्व की भांति स्थानांतरण से मुक्त रखने के लिए निर्देशित करें।
आज की बैठक में प्रमुख रूप से सुरेश कुमार रावत अध्यक्ष, अतुल मिश्र महामंत्री राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उ प्र, सतीश कुमार पाण्डेय अध्यक्ष, राम राज दूबे महामंत्री राज्य कर्मचारी महासंघ, अवधेश कुमार सिंह (विकास प्रा0), भारत सिंह यादव (उ0प्र0चतु0श्रे0कर्म0महा0), संदीप बडोला (डी0पी0ए0), राम कुमार धानुक(जवाहर-इन्दिरा भवन), राकेश यादव, संजय शुक्ला (ल0वि0विद्य0कर्म0परि0), राजीव तिवारी, राम मनोहर कुशवाहा, जी0एम0 सिंह, अनुराग मिश्र, शोभनाथ, अनिल कुमार, मृत्युंजय मिश्र, अमित कुमार शुक्ला, प्रवीन नाथ द्विवेदी (स्वास्थ्य विभाग), सै0 कैसर रज़ा, अमरेन्द्र दीक्षित(स्थानीय निकाय) आदि कर्मचारी प्रतिनिधि उपस्थित हुए। इसके साथ आज की बैठक में यह भी सुनिश्चित किया गया कि 22 जून को प्रदेश के अन्य कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ पुनः बैठक कर प्रश्नगत जारी स्थानान्तरण नीति में मोर्चे एवं सेवा संघों की मांग के अनुसार उक्त नीति में परिवर्तन/निरस्त न करने की स्थिति में वृहद आन्दोलन की घोषणा की जायेगी, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी प्रदेश सरकार/शासन की होगी।