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अब भी न सुना तो 2 फरवरी को तय होगा कर्मचारियों की हड़ताल का दिन

-मांगों को लटकाये रहने से नाराज कर्मचारियों ने सभी मंडलों पर किया धरना-प्रदर्शन 

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ अपनी घोषणा के अनुसार आज मंगलवार को राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद, उत्‍तर प्रदेश के तत्‍वावधान में कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली, वेतन विसंगति दूर करने, भत्तों की समानता सहित मुख्य सचिव के साथ हुए समझौतों पर कार्यवाही न होने संबंधी मांगों को लेकर प्रदेश के सभी मंडलों में मंडलीय धरना देकर मंडलायुक्त के माध्यम से मुख्य मंत्री को ज्ञापन भेजा। यहां राजधानी लखनऊ में लखनऊ मण्डल अध्यक्ष रविकांत वर्मा की अध्यक्षता में मण्डल के सभी जनपदों से आये हजारों कर्मचारियों ने जीपीओ पर एकत्रित होकर धरना-प्रदर्शन किया। अगर अब भी सुनवाई नहीं हुई तो आगामी 2 फरवरी को बुलायी गयी प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जायेगी, इसमें हड़ताल का फैसला भी शामिल होगा।

परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत ने कहा पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग परिषद द्वारा लगातार किया जा रहा है, 21 नवम्बर को सभी जनपदों में मशाल जुलूस, 12 दिसम्बर को जनपदों में धरना दिया गया, लेकिन सरकार इस पर कोई निर्णय नही कर रही है। जिससे कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है ।

अधिकांश संवर्गों की वेतन विसंगति केन्द्र सरकार द्वारा दूर की जा चुकी है परन्तु समझौतो के बावजूद प्रदेश में अभी वेतन विसंगति लम्बित है। प्रदेश के विभिन्न संवर्गो की वेतन विसंगति एवं वेतन समिति की संस्तुतियों एवं शेष भत्तों पर अक्टूबर 2018 में ही मंत्रिपरिषद से निर्णय कराने का निर्णय लिया गया था जो एक वर्ष से अधिक व्यतीत हो जाने के बाद भी अभी तक लम्बित है।

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि 9 व 12 अक्टूबर के पूर्व अनेक आन्दोलनों के माध्यम से शासन व सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया था, जिसके फलस्वरूप शासन स्तर पर हुई बैठक में परिषद की प्रमुख मांगों पर अनेक समझौते/निर्णय लिये गये थे। परन्तु सरकार वादाखिलापी कर रही है। आज कर्मचारियों की कोई भी नई मांग नही है यह वही मांगे है जो सरकार देने के लिए वचनबद्ध है।

केन्द्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में 03 लाख से अधिक आउटसोर्सिंग/संविदा/ठेके पर कार्यरत कर्मचारियों हेतु स्थाई नीति बनाने, सी0एस0डी0 कैन्टीन की भॉति राज्य कर्मचारियों को भी राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के माध्यम से स्टेट जी0एस0टी0 मुक्त सामग्री क्रय की सुविधा का लाभ तथा कर्मचारी कल्याण निगम कर्मियों की बदहाली दूर करने की मांग पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया था कि कल्याण निगम के सामानों में लगने वाली जी०एस०टी० का 50 प्रतिशत भार सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। इस निर्णय के विपरीत वित्त विभाग द्वारा कल्याण निगम को बन्द करने का सुझाव दिया गया है, जिससे समझौते का क्रियान्वयन तो दूर वहां के कर्मचारियों की सेवा पर ही तलवार लटक गई है।

मंत्रीपरिषद के निर्णय के बावजूद कर्मचारियों की कैशलेस चिकित्सा अभी तक प्रारम्भ नही हो सकी जबकि पूर्व से मिल रहे चिकित्सा प्रतिपूर्ति भूगतान हेतु बजट के अनुदान की ग्रुपिंग में फेरबदल कर उसे और जटिल बना दिया गया, यहा तक कि सरकारी चिकित्सालयों में दवाओं के लोकल परचेज पर भी रोक लगा दी गयी।  निर्णयों का क्रियान्वयन न कर शासन द्वारा 50 वर्ष पूर्ण कर रहे कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त किया जा रहा है। जो नितान्त गलत है।

परिषद की मांग पर वेतन विसंगति एवं वेतन समिति की संस्तुतियॉ व शेष बचे भत्तों पर मंत्रिपरिषद से अनुमोदन लिये जाने, पूर्व विनियमित कर्मचारियों की पूर्व की अर्हकारी सेवाएं को जोड़ते हुए पेंशन निर्धारित करने, डिप्लोमा इंजीनियर्स की भॉति ग्रेड वेतन 4600/- को इग्नोर करके 4800/- के ग्रेड वेतन के समान मैट्रिक्स लेवल अनुमन्य करने, उपार्जित अवकाश में 300 दिन के संचय की सीमा को समाप्त करने, राजस्व संवर्ग सींच पर्यवेक्षक, जिलेदार सेवा नियमावली, एवं तकनीकी पर्यवेक्षक नलकूप सेवानियमावली, अधीनस्थ वन सेवा नियमावली प्रख्यापित करने, सभी संवर्गो का पुनर्गठन, जिनकी सेवा नियमावली प्रख्यापित नही हैं, उसे प्रख्यापित कराने का निर्णय लिया गया था।

निर्णय के बाद परिषद लगातार शासन का ध्यान आकृष्ट करता रहा है। शासन द्वारा संविदा/आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति का निर्माण फरवरी 2019 में पूर्ण कर लिया गया लेकिन अभी तक मंत्रिपरिषद से पारित नही कराया गया। इसी प्रकार समझौतों पर कार्यवाही तो नही हो सकी बल्कि उसके स्थान पर राज्य कर्मचारियों पर अभी तक प्राप्त हो रहे छः भत्ते समाप्त कर जले पर नमक छिड़कने जैसा कार्य किया गया।

अनेक ऐसे संवर्ग है जिनमें छठे वेतन आयोग की वेतन विसंगतियां व्याप्त है, वित्त विभाग द्वारा एक माह में परीक्षण कर कार्यवाही कराने का निर्देश दिया गया था परन्तु अभी तक उसपर कोई कार्यवाही सम्पन्न नही हुई है। केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति भत्तों की समानता, मोटर साईकिल भत्ता एवं मकान किराए भत्तें के संशोधन के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नही की गयी, जिससे केन्द्रीय एवं राज्य कर्मचारियों को प्राप्त हो रहे भत्तों में बड़ा अन्तर आ गया है।

डिप्लोमा इंजीनियर के भांति सभी राज्य कर्मचारियों को रू0 4600/- ग्रेड पे को इग्नोर करते हुए रू0 4800/- के समतुल्य मैट्रिक्स लेवल वेतनमान प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा पुनः परीक्षण किये जाने का निर्णय लिया गया था। प्रदेश में सीधी भर्ती अधिकतम आयु 40 वर्ष के दृष्टिगत ए0सी0पी0 में 08, 16 एवं 24 वर्ष की सेवा पर तीन पदोन्नति वेतनमान दिये जाने के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा अभी तक परीक्षण कर कोई प्रस्ताव नही बनाया गया। उपार्जित अवकाश के संचय की तीन सौ दिन की सीलिंग समाप्त कर सेवा निवृत्ति पर 600 दिनों का नकदीकरण दिये जाने के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा परीक्षण कर प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने का निर्णय लिया गया था, जिसपर एक वर्ष के पश्चात भी कोई कार्यवाही नही की गयी है। इस बींच कई कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उन्हे आर्थिक नुकसान हो रहा है।

कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वी0पी0 मिश्र ने सभा को सम्बोधित करते हुये कहा कि मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव द्वारा कई बार समयबद्ध सार्थक निर्णय के बाद भी मांगों पर निर्णय नहीं हो पा रहे है, जिससे प्रदेश का कर्मचारी नाराज एवं आक्रोशित हैं। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुयी बैठकों में लिये गये सार्थक निर्णय की पत्रावलियों पर केवल आपत्ति लगाकर इधर-उधर वापस की जा रही हैं। संवर्ग का ढांचा पुनर्गठन एवं कई विभागो में विनियमितीकरण करने की पत्रावलियां घूम रहीं है। आउटसोर्सिंग/संविदा कर्मचारियों की नियमावली बनाने की नीति अधर पर है। गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए कैशलेस इलाज का क्रियान्वयन लम्बित है। इसबीच अनेकों सेवानिवृत्त कर्मचारी इलाज की व्यय-धन न होने के कारण कालातीत हो गये। श्री मिश्र ने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री जी बैठक कर कर्मचारियों की समस्याओं का शीघ्र निदान करे अन्यथा कर्मचारी बड़े आन्दोलन के लिए बाध्य होगा।

सभा को संबोधित करते हुए कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के महामंत्री शशि कुमार मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों की मांग वेतन विसंगति, संवर्ग पुनर्गठन, केंद्र की भांति सभी भत्ते देने, आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों के नियमावली का प्रकरण, स्थानीय निकाय, राजकीय निगम, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, माध्यमिक शिक्षक संघ, शिक्षणेत्तर कर्मचारी, विकास प्राधिकरण कर्मचारियों की मांगों पर प्रदेश सरकार चुप्पी साधे बैठी है।

परिषद के हाईकमान ने आज की बैठक में निर्णय लिया कि 2 फरवरी, को प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आहूत की गई है, जिसमें परिषद से संबद्ध संगठनों के अध्यक्ष, महामंत्री, प्रान्तीय, मण्डलीय, जनपद शाखा के पदाधिकारी शिरकत करेंगे उसी दिन परिषद द्वारा एक बड़े आन्दोलन की रूपरेखा तैयार कर निर्णय लिया जायेगा, जिसमें हड़ताल भी शामिल है।

परिषद ने मुख्य मंत्री को ज्ञापन भेजकर  मांग की है कि समझौतो का क्रियान्वयन कराने का निर्देश जारी करें साथ ही कर्मचारियों के उत्पीड़न को रोके।

धरने का संचालन मंडलीय मंत्री राजेश चौधरी ने किया, धरने को परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र मिश्र, संगठन प्रमुख डा० के०के० सचान, अशोक कुमार महामंत्री नर्सेज़ संघ, फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष, सुनील यादव, डा० पी० के० सिंह अध्यक्ष सांख्यिकी सेवा संघ वन विभाग, आशीष पान्डे, महामंत्री वन विभाग मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ, राजकीय निगम कर्मचारी महासंघ मनोज मिश्रा महामंत्री घनश्‍याम यादव नगर निगम के महामंत्री कैसर रजा, माध्यमिक शिक्षक संघ के महामंत्री नन्द किशोर मिश्रा, सहायक वन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मो० नदीम महामंत्री अमित श्रीवास्तव सिंचाई संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र तिवारी, महामंत्री अवधेश मिश्रा, राजस्व अधिकारी संघ के अध्यक्ष विजय किशोर मिश्रा, महामंत्री नीरज चतुर्वेदी, ट्यूबवेल टेक्निकल कर्मचारी संघ उ०प्र० के अध्यक्ष उमेश राव महामंत्री रजनेश माथुर, वाणिज्य कर मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल दीप, महामंत्री जे० पी० मौर्य, बेसिक हेल्थ वर्कर एसोसिएशन के अध्यक्ष धनन्जय तिवारी, महामंत्री एस० एस० शुक्ला, मातृ शिशु कल्याण महिला कर्मचारी संघ की अध्यक्षा मीरा पासवान, के०जी०एम०यू० कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह, महामंत्री प्रदीप गंगवार, आर०एम०एल० आयुर्विज्ञान संस्थान कर्मचारी संघ के महामंत्री सच्चितानन्द मिश्रा, एन०एच०एम० कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मयंक सिंह, सर्वेश पाटिल अध्यक्ष आप्टोमेट्रिस्ट एसोसिएशन, आर०के०पी० सिंह महामंत्री एक्स-रे टेक्नीशियन एसोसिएशन, बी०एन० मिश्रा महामंत्री समाज कल्याण मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन, सीतापुर के जिलाध्यक्ष आलोक मिश्र, मंत्री विनय सिंह, सुभाष श्रीवास्तव जिलाध्यक्ष, लखीमपुर के जिलाध्यक्ष महंत सिंह, मंत्री परमानन्द, रायबरेली के अध्यक्ष राजेश सिंह, हरदोई के अध्यक्ष जे०एन० तिवारी, उन्नाव के संयोजक एस०पी० सिंह, सुनील यादव एल०टी० एसो०, अजय पान्डे, कमल श्रीवास्तव, डेण्टल हाइजेनिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री राजीव तिवारी, प्रोवेंशियल फिजियोथेरेपिस्ट एसो0 के महामंत्री अनिल कुमार, अवधेश सिंह अध्यक्ष विकास प्राधीकरण, डा0 आर0एम0एल0 अस्तित्व बचाओ मोर्चा के अध्यक्ष डी0डी0 त्रिपाठी, राम मनोहर कुशवाहा, आदि ने संबोधित किया ।