-कैशलेस इलाज की सुविधा भी सिर्फ कार्ड बनने तक ही रही सीमित
लखनऊ। कर्मचारियों की चिकित्सा में व्यय होने वाले मद की ग्रुपिंग में वित्त विभाग उ प्र शासन द्वारा गलत रूप से फेरबदल के कारण वित्तीय वर्ष 2018-19 से कर्मचारियों के चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाखों रूपये का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
यह आरोप लगाते हुए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उ प्र के महामंत्री अतुल मिश्रा ने कहा कि अधिकांश कर्मचारी मार्च 2020 माह में भुगतान की आस लगाये थे, परन्तु बजट कम आवंटित होने, कैशलेस के नाम पर बजट की कटौती होने तथा मानक मद 01-वेतन, 03-मंहगाई भत्ता, 06-अन्य भत्ते के ग्रुप से चिकित्सा प्रतिपूर्ति सम्बन्धी मद 49-चिकित्सा व्यय को अलग कर दिये जाने के कारण भुगतान पूर्ण नहीं हो पा रहें है।
विदित हो कि पूर्व प्रचलित व्यवस्था के तहत उक्त चारों मद एक ही ग्रुप में थे, जिससे कि एक ही ग्रुप के किसी भी मद में धनराशि कम होने पर दूसरे मद की धनराशि उपयोग कर ली जाती थी, शासनादेश संख्या 13-03-1497/45-2010-1-100(4)-व में -टीजी 2 दिनांक 21 जून, 2010 में व्यय मद 01, 03, 06, 49 को एक साथ ग्रुप में रखा गया था, परन्तु पिछले वित्तिय वर्ष में शासनादेश संख्या 01/2018/बी-03-441/दस-2018-100(4)/2002-9 में टीसी 2 दिनांक 04 अक्टूबर, 2018 द्वारा ग्रुपिंग को संसोधित कर चिकित्सा मद 49 को अलग कर दिया गया साथ ही उक्त मद में जो बजट आवंटित होता था उसमें से कटौती कर कैशलेस इलाज हेतु सुरक्षित कर दिया गया ।
परिषद के प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि कर्मचारियों के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा आज तक मात्र कार्ड बन कर रह गई, प्रारम्भ भी नहीं हो पाई और शासन के इस तरह के तुगलकी फरमान से कर्मचारी को न तो कैशलेश इलाज की सुविधा मिली बल्कि जो सुविधा पूर्व से प्राप्त हो रही थी, वो भी मकड़जाल में फंसकर रुक गई ।
ग्रुपिंग के फेरबदल से वित्तीय वर्ष के अन्त में कर्मचारियों का लाखों रूपये का चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों का भुगतान रूक गया है , जिससे कर्मचारी अपने वेतन का अधिकांश हिस्सा खुद व परिवार के इलाज पर व्यय कर रहा है ।
अतुल मिश्रा ने कहा कि दूसरी तरफ शासन द्वारा राजकीय चिकित्सालयों में दवाओं के लोकल परचेज़ पर भी रोक लगा दी गई व चिकित्सा प्रतिपूर्ती का भुगतान भी नही हो रहा ऐसी दशा में कर्मचारियों मे रोष व्याप्त होना स्वभाविक है।
परिषद द्वारा उक्त समस्या के सम्बन्ध में तत्कालीन मुख्य सचिव से वार्ता भी की गई थी, जिस पर उन्होंने पूर्व की स्थिति बहाल करने का आश्वासन भी दिया था, परन्तु अभी तक कोई अपेक्षित कार्यवाही संभव नही हो पाई।
अतुल मिश्रा ने बताया कि आज परिषद ने मुख्य सचिव का ध्यानाकर्षण करने के उद्देश्य से पुनः पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि शासनादेश दिनांक 04.10.2018 में हुई ग्रुपिंग को पूर्व की भांति रखते हुए पुनः शासनादेश दिनांक 21.06.2010 के अनुरूप यथावत व्यवस्था बनाये रखे जिससे कर्मचारियों को बड़े संघर्षो के उपरांत प्राप्त हो रही सुविधाओं से वंचित न होना पड़े।
परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत व महामंत्री अतुल मिश्रा ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे स्वयं हस्तक्षेप कर कर्मचारियों की हो रही दुर्गति पर प्रभावी कार्यवाही के लिए निर्देशित करें, जिससे कर्मचारी का मनोबल न गिरे व अपने परिवार की समस्याओं का समाधान करते हुए पूर्ण मनोयोग से जनता की सेवा कर सके और देश के विकास में अग्रणी भूमिका में रहे।