-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया मेदान्ता अस्पताल का उद्घाटन
-योगी बोले, 1500 करोड़ के निवेश से अस्पताल शुरू करना बड़ी उपलब्धि
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय से डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले मेदान्ता हॉस्पिटल के संस्थापक डॉ नरेश त्रेहन ने लखनऊ शहर को विश्वस्तरीय चिकित्सा संस्थान देकर दिखा दिया है कि गुरु ऋण से कैसे उऋण हुआ जाता है। यही नहीं उत्तर प्रदेश राज्य में डेढ़ हजार करोड़ का निवेश स्वास्थ्य क्षेत्र में किसी निजी संस्थान द्वारा करना तथा 6000 लोगों को रोजगार देना जैसा कार्य भी प्रदेश के लिए कम उपलब्धि नहीं कहा जा सकता है इसके लिए डॉ नरेश त्रेहन बधाई के पात्र हैं।
यह बात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां मेदांता अस्पताल का उद्घाटन करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैसे तो यहां संजय गांधी पीजीआई, लोहिया संस्थान और केजीएमयू जैसे चिकित्सा संस्थान मौजूद हैं जो निरंतर मेहनत कर मरीजों का उपचार कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के लिए उपचार की सुविधाओं विशेषकर सुपर स्पेशलिटी सुविधा की कमी महसूस की जाती रही है। इस जरूरत को पूरा करने में मेदांता अस्पताल एक बड़ी भूमिका निभाने आया है, यह अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि अब मेदान्ता अस्पताल की संजय गांधी, लोहिया संस्थान और केजीएमयू से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी, इनमें कौन अच्छी सुविधा दे रहा है, यह जनता तय करेगी।
योगी ने कहा कि इधर देश में बहुत बड़े बड़े बदलाव हो रहे हैं यह बदलाव चिकित्सा क्षेत्र में भी हुए हैं पहले एक एम्स हुआ करता था और अब देश में 6 एम्स बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में 1947 से लेकर 2016 तक 12 मेडिकल कॉलेज बने जबकि सिर्फ 2016 से लेकर 2019 के बीच 15 मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं। इस मौके पर राज्य सरकार के मंत्री डॉ महेन्द्र सिंह भी उपस्थित रहे।
इससे पूर्व संवाददाता सम्मेलन में मेदांता अस्पताल के संस्थापक डॉ नरेश त्रेहन ने कहा कि लखनऊ में मेदान्ता अस्पताल खोलने का मेरा 50 साल पुराना सपना पूरा हुआ। उन्होंने बताया 50 साल पहले जब वह किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे थे तभी उन्होंने सोचा था कि लखनऊ को एक विश्व स्तरीय अस्पताल दूंगा। लखनऊ से अपने लगाव के बारे में उन्होंने कहा कि मेरे अंदर भी गोमती का पानी घूम रहा है।
डॉक्टर और मरीज के बीच बिगड़ते संबंधों के परिपेक्ष्य में डॉ त्रेहन ने कहा कि कोई भी डॉक्टर नहीं चाहता है कि कोई मरीज मरे, सभी डॉक्टर अपना 100 प्रतिशत देने का प्रयास करते हैं लेकिन कई बार ऐसा हो जाता है कि भगवान की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती है, उसके आगे सभी को सिर झुकाना पड़ता है, ऐसे में सिर्फ डॉक्टर को गलत समझना ठीक नहीं है, उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि उस समय जिसकी मृत्यु हुई है उसके परिजन परेशान रहते हैं क्योंकि उनका व्यक्ति भी मर गया और पैसे भी खर्च हो चुके होते हैं, परिजन परेशान होते हैं लेकिन यह सब बड़ा नेचुरल है इसलिए पत्रकारों से भी मेरी अपील है कि इस तरह की घटनाओं में दोनों पक्षों को जानकर ही किसी निर्णय पर पहुंचें।
डॉ त्रेहन ने आयुष्मान भारत योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत जैसे देश के लिए यह बहुत अच्छी योजना है, उन्होंने यह भी कहा कि उनके अस्पताल में इस योजना को लागू किया जाएगा लेकिन साथ ही यह भी कहा की वर्तमान में इसके लिए निर्धारित दरें काफी कम है और इसके लिए सरकार के साथ बात चल रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार इस पर विचार अवश्य करेगी और कम से कम इतनी धनराशि का निर्धारण हो जाए की अस्पताल का घाटा न हो।
उन्होंने बताया कि उनके अस्पताल में उन्होंने विश्वस्तरीय सुविधायें देने क कोशिश की है। उन्होंने बताया कि 12.58 एकड़ के परिसर वाले मेदान्ता अस्पताल में 1000 बेड हैं, 32 ऑपरेशन थियेटर हैं, उन्होंने कहा कि इन 1000 बेड में 350 क्रिटिकल केयर वाले बेड हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार की 30 से अधिक सुपर स्पेशियलिटी वाले अस्पताल में एम्बुलेंस से बाहर आते ही मरीज को एक छत के नीचे सारी सुविधायें मिल जायेंगी।