-प्रो एमके मित्रा ने व्याख्यान में चिकित्सकों को दी क्लीनिकल मेडिसिन की कला सीखने की सलाह
-संजय गांधी पीजीआई ने धूमधाम के साथ मनाया अपना 39वां स्थापना दिवस
सेहत टाइम्स
लखनऊ। प्रख्यात चिकित्सक और किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ के मेडिसिन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एम के मित्रा ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के 39वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर कहा कि हमें अपने शिक्षण को नवाचार से युक्त करना चाहिए। हमें क्लिनिकल मेडिसिन की कला को सीखना चाहिए। मरीजों के साथ 15 मिनट की बातचीत करके उसके लक्षणों के आधार पर तार्किक विश्लेषण के द्वारा हम बहुत हद तक रोग की पहचान कर सकते हैं। इसके लिए बहुत सारी और महंगी जांचों की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिए।
रोगियों की दुआओं और आशीर्वाद से बड़ी कोई उपलब्धि नहीं
अपने व्याख्यान में संस्थान के शोधकर्ताओं व विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रो मित्रा ने कहा कि चिकित्सकों का रोगियों के प्रति व्यवहार पूरी ईमानदारी, सहानुभूति एवं गरिमा से परिपूर्ण होना चाहिए क्योंकि रोगियों की दुआओं और आशीर्वाद से बड़ी कोई उपलब्धि नहीं है।
शोध ऐसा हो जो नीति बदल दे
उन्होंने संस्थान में हुए शोध कार्य की सराहना की और कहा कि हमारा शोध हमारी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकताओं की ओर इंगित होना चाहिए और शोध ऐसा हो जो सरकार की नीति में परिवर्तन ला सकें और जनसामान्य का वृहत्तर हित कर सके। भारतीय जनसंख्या में होने वाली आयोडीन की कमी को दूर करने के लिए शोध के द्वारा ही आयोडीन युक्त नमक को एक नीति के रूप में स्वीकार किया गया।
उन्होंने एक संस्थान के निदेशक के लिए आवश्यक गुणों को भी बताया और कहा कि निदेशक अपने टीम का नेतृत्व करता है और बहुत आवश्यक है कि वह रोगी सेवा, शोध, शिक्षण प्रशिक्षण सभी क्षेत्रों में अनुशासन व सौहार्द पूर्ण वातावरण प्रदान करे और इसके लिए उन्होंने संस्थान के निदेशक प्रोफ़ेसर आर के धीमन की प्रशंसा की।
सेवाओं के लिए भर्तियो में पारदर्शिता होनी चाहिए : आनंदी बेन पटेल
संस्थान द्वारा पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाये गये 39वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह की मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल व संस्थान की कुलाध्यक्ष आनंदी बेन पटेल थीं। राज्यपाल ने अत्यंत प्रेरणास्पद अभिभाषण के लिए डॉ एम के मित्रा की सराहना की। उन्होंने कहा कि समाज की आवश्यकता के अनुसार ही शोध की दिशा तय होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवाओं के लिए भर्तियो में पारदर्शिता होनी चाहिए तभी गुणी और प्रशिक्षित शिक्षक, नर्सिंग स्टाफ सेवाओं में आएंगे और उसी के अनुसार ही संस्थानों की सेवाओं में सुधार होगा। उन्होंने शोधार्थियों से आग्रह किया कि जितने भी शोध हों, उन में नवाचार को लिपिबद्ध करें, उसकी पुस्तक प्रकाशित करें और दूसरों के साथ उसे साझा करें।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन ने उपस्थित सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया और संस्थान की विगत एक वर्ष की प्रगति का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। संस्थान की संकाय अध्यक्ष (Dean) प्रोफेसर शुभा फड़के ने स्थापना दिवस समारोह के व्याख्याता प्रोफेसर मनोज कुमार मित्रा का औपचारिक परिचय दिया। उन्होंने बताया कि प्रोफेसर मित्रा 50 से अधिक वर्षों (1970 से आज तक) से शिक्षण प्रशिक्षण कार्य से जुड़े रहे हैं।
डॉक्टर, नर्स, तकनीशियन को किया गया सम्मानित
आज इस अवसर पर संस्थान परिवार के अनेक सदस्यों को विभिन्न श्रेणियों में चिकित्सक (DM, MCh, MD ), स्टाफ नर्स व तकनीशियन को उनके योगदान के लिए राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया। इनमें बेस्ट सीनियर रेजीडेंट (डीएम) डॉ निधि गुप्ता (नेफ्रोलॉजी), बेस्ट सीनियर रेजीडेंट (एमसीएच) डॉ सर्राह इदरीस (एंडोक्राइन सर्जरी), बेस्ट जूनियर रेजीडेंट (एमडी) डॉ योगिता खण्डेलवाल (न्यूक्लियर मेडिसिन), बेस्ट नर्सिंग स्टाफ ग्रेड-1 नीलमणि एस्थर (सीसीएम), बेस्ट नर्सिंग स्टाफ ग्रेड-2 सीनियर सुनीता पाल (एंडोक्राइनोलॉजी), बेस्ट टेक्नीशियन ग्रेड-1 राशिद अख्तर (पैथोलॉजी) तथा बेस्ट टेक्नीशियन ग्रेड-2 चंद्रेश कश्यप (एनेस्थीसियोलॉजी) को सम्मानित किया गया।
सर्वोत्कृष्ट शोध कार्यों के लिए विद्यार्थियों को पुरस्कार
इसके अतिरिक्त संस्थान में सर्वोत्कृष्ट शोध कार्यों के लिए पुरस्कार भी दिए गए। जिन्हें पुरस्कृत किया गया उनमें क्लिनिकल कैटेगरी में क्लिनिकल इम्यूनलॉजी की रिसर्च असिस्टेंट कोमल सिंह, एंडोक्राइन सर्जरी की एमसीएच डॉ स्पन्दना जे, नेफ्रोलॉजी की सीनियर रेजीडेंट डीएम डॉ निधि गुप्ता, नियोनेटोलॉजी की सीनियर रेजीडेंट डीएम डॉ नेहा दलाल, न्यूरोलॉजी के सीनियर रेजीडेंट 2 डॉ अंकित गुप्ता व न्यूक्लियर मेडिसिन के सीनियर रेजीडेंट डॉ लोकेश्वरन एमके, बेसिक कैटेगरी में एंडोक्राइनोलॉजी की यंग साइंटिस्ट फेलो डॉ सना रजा, न्यूरोलॉजी की रिसर्च फेलो डॉ अभिलाषा त्रिपाठी व गैस्ट्रोएंटरोलॉजी की पीएचडी शिखा साहू के अलावा सांत्वना पुरस्कार की कैटेगरी में हेमेटोलॉजी (एससीआरसी) की पीएचडी मनाली जैन, ट्रांस्फ्यूजन मेडिसिन की एसआर (एचएस) की वसुंधरा सिंह व मोलिकुलर मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी की पीएचडी अंजनी सिंह को रिसर्च के लिए सम्मानित किया गया।
फैकल्टी मेम्बर्स को भी किया गया शोध के लिए सम्मानित
इसके अतिरिक्त जिन फैकल्टी मेम्बर को रिसर्च के लिए सम्मानित किया गया है उनमें मेडिसिन में पीडियाट्रिक गैस्ट्रो के प्रो उज्ज्वल पोद्दार, पल्मोनरी मेडिसिन के डॉ जिया हाशिम, कार्डियोलॉजी के डॉ अंकित साहू, नियोनेटोलॉजी के डॉ अभिजीत रॉय को सम्मानित किया गया जबकि सर्जरी में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के प्रो राजन सक्सेना, एंडोक्राइन सर्जरी के डॉ सबारेतनम एम, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के डॉ राहुल व यूरोलॉजी के डॉ प्रियंक यादव को सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त प्री/पैरा/बेसिक में मॉलीक्यूलर मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी की प्रो स्वस्ति तिवारी, हेमेटोलॉजी के डॉ खलीकुर्रहमान, हेमेटोलॉजी (एससीआरसी) के डॉ सीपी चतुर्वेदी व यूरोलॉजी के डॉ नवीन कुमार गौतम को रिसर्च के लिए सम्मानित किया गया।
समारोह में उत्तर प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य राज्य मंत्री, चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, मातृ एवं बाल कल्याण, मयंकेश्वर शरण सिंह समारोह के विशिष्ट अतिथि थे। उन्होंने संस्थान के 39 वें स्थापना दिवस समारोह की सभी को बधाई दी और पुरस्कृत विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया।
प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन आलोक कुमार ने भी उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हमें पैरामेडिकल स्टाफ को संख्या में और गुणवत्ता में दोनों में ही बढ़ाने की आवश्यकता है उन्होंने कहा शोध को सामाजिक सरोकार से संबंधित होना चाहिए। संस्थान की डीन प्रो शुभा फड़के द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
फल वितरण, रक्तदान शिविर, वृक्षारोपण भी
संस्थान के स्थापना दिवस समारोह के अनेक कार्यक्रम प्रातः से ही प्रारंभ हो गए थे। अस्पताल में भर्ती रोगियों को फल और शुभकामना कार्ड वितरित किये गए। इस अवसर पर संस्थान के ब्लड बैंक द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया जिसमें संजय गांधी पीजीआई कर्मचारी महासंघ के महामंत्री धर्मेश कुमार ने भी रक्तदान किया। इसके साथ ही वृक्षारोपण कार्यक्रम भी संपन्न हुआ, जिसमें इमरजेन्सी मेडिसिन एवं गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र के आसपास लगभग 30 foxtail वृक्ष लगाए गए।