सातवें वेतनमान के अनुरूप भत्तों को देय तिथि से न देने के विरोध में कार्य बहिष्कार शुरू
नर्सों व कर्मचारियों के पूर्ण कार्य बहिष्कार से इमरजेंसी व आईसीयू सेवायें भी प्रभावित
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। यहां गोमती नगर स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में सातवें वेतन के अनुरूप मिलने वाले भत्ते को पुरानी तिथि से न देने के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टर्स और कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं, हड़ताल के चलते अस्पताल की चिकित्सा सेवाएं चरमरा गई हैं। ज्ञात हुआ है कि सोमवार देर शाम भी प्रमुख सचिव को स्थितियों से अवगत कराते हुए इस बारे में बात की गयी लेकिन कोशिश बेनतीजा रही।
ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन नयी दिल्ली के उपाध्यक्ष तथा लोहिया संस्थान नर्सेज संघ लखनऊ के अध्यक्ष अमित शर्मा ने यह कहा कि लोहिया संस्थान के चिकित्सकों तथा कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के भत्ते 1 जुलाई 2017 से दिए जाने हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा पता चला है कि शासन में यह तैयारी चल रही है कि इन भत्तों को वर्तमान समय से दिया जाए, आपको बता दें कि ऐसी स्थिति में 2 साल की वृद्धि का लाभ संस्थान के चिकित्सकों और कर्मचारियों को नहीं मिलेगा।
इसी बात को लेकर कर्मचारियों ने पूर्ण कार्य बहिष्कार का ऐलान करते हुए सोमवार अपराहन 2:00 बजे से कार्य बहिष्कार पर चले गए हैं। संस्थान की फैकल्टी एसोसिएशन ने भी सातवें वेतन आयोग के अनुरूप भत्ते न दिए जाने पर आक्रोश जताया है। इन चिकित्सकों ने एक आपात बैठक करके हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया। बैठक में सचिव डॉ पीके दास ने बताया कि संस्थान की फैकल्टी को सातवें वेतनमान के भत्तों को एसजीपीजीआई के अनुरूप 1 जुलाई 2017 से देने का आश्वासन दिया गया था, जो कि अभी पूर्ण नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यह भी पता चला है कि इसको तत्काल प्रभाव से लागू किए जाने की योजना है, जो कि पूर्व में के सरकार द्वारा जारी शासनादेश एवं प्रमुख सचिव द्वारा दिए गए मौखिक आश्वासन के विपरीत है। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर राजन भटनागर व सचिव डॉ पीके दास की ओर से निर्देशक को यह जानकारी दी गई है कि तत्काल प्रभाव से सभी फैकल्टी कार्य बहिष्कार पर जा रही है, हालांकि फैकल्टी द्वारा इमरजेंसी और आईसीयू की सुविधा को कार्य बहिष्कार से अलग रखा गया है, लेकिन नर्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित शर्मा ने बताया कि हम लोग और अन्य कर्मचारी इमरजेंसी सेवा भी नहीं देंगे। ऐसी स्थिति में अकेले फैकल्टी के भरोसे मरीज का उपचार होना अत्यंत कठिन कार्य है।