केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के डॉ डी हिमांशु ने दी सलाह
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। अक्सर देखा गया है कि डॉक्टर विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में किसी को बुखार होने पर टाइफाइड बुखार की पुष्टि के लिए दो-तीन बाद ही विडाल टेस्ट करा लेते हैं, जबकि विडाल टेस्ट कम से कम सात दिनों तक जब बुखार आता रहे, उसके बाद ही कराना चाहिये।
यह जानकारी देते हुए किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभाग के डॉ डी हिमांशु ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ के तत्वावधान में आयोजित स्टेट लेवल रिफ्रेशर कोर्स एंड सीएमई प्रोग्राम में बताया कि टाइफाइड फीवर यानी मियादी बुखार की पुष्टि के लिए चिकित्सक बुखार आने के दो-तीन दिन बाद ही विडाल टेस्ट कराने का नतीजा यह होता है कि रिपोर्ट में विडाल पॉजिटिव आने पर टाइफाइड की दवा जिसमें एंटीबायटिक भी शामिल होता है, शुरू कर देते हैं, इससे मरीज को फायदा होने के बजाय नुकसान हो जाता है।
उन्होंने बताया कि मरीज भी जब-जब बुखार लगा तो बिना बुखार नापे चले जाते हैं, और विडाल टेस्ट होता रहता है, फिर मरीज बताते रहते हैं कि मुझे तीन-चार बार टाइफाइड हो गया है, जबकि ऐसा होता नहीं है।
कैसे पहचानें टाइफाइड बुखार को
डॉ हिमांशु ने बताया कि टाइफाइड बुखार की पहचान लक्षणों के आधार पर करने के बाद एक सप्ताह बीतने के बाद ही करानी चाहिये। इसके लक्षणों में तेज बुखार आ रहा है, तीसरे-चौथे दिन बाद पेट में दर्द होता है, चकत्ते पड़ते हैं तो पहले शुरू के हफ्ते में सिर्फ ब्लड कल्चर टेस्ट होना चाहिये तथा एक सप्ताह बाद ही विडाल या टाइफीडॉट टेस्ट होना चाहिये।
उन्होंने बताया कि विडाल टेस्ट भी बहुत से लोग स्लाइड से कर देते हैं क्योंकि यह आसानी से हो जाता है, लेकिन टेस्ट करने का यह तरीका ठीक नहीं है, विडाल टेस्ट ट्यूब से होना चाहिये। ट्यूब से टेस्ट में ब्लड पहले ट्यूब में डाला जाता है और टेस्ट किया जाता है, इसके बाद फिर एक केमिकल डालकर देखा जाता है, चूंकि इस प्रक्रिया में थोड़ा टाइम लगता है, इसलिए बहुत से लोग इसे न करके स्लाइड वाला टेस्ट ही कर देते हैं, लेकिन ऐसा करना नहीं चाहिये, क्योंकि गलत डायग्नोसिस बनती है जिससे गलत इलाज हो जाता है और मरीज को नुकसान पहुंचता है।