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बड़े बच्‍चों की बिस्‍तर में पेशाब निकलने का कारण डायपर भी

ध्‍यान रखें, आपकी सहूलियत कहीं बच्‍चे की परेशानी का सबब न बन जाये

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। अगर बच्‍चा पांच वर्ष की आयु के बाद भी अपने कपड़ों में पेशाब कर रहा है तो चिकित्‍सक से सम्‍पर्क करना चाहिये, साथ ही यह विचार भी करें कि आखिर ऐसा क्‍यों हुआ क्‍योंकि इसका एक बड़ा कारण डायपर है।

यह बात मेजर जनरल माधुरी कानिटकर (एवीएसएम, वीएसएम, अध्यक्ष मेडिकल सेवा, नॉर्थेर्न कमांड, ऊधमपुर, जम्‍मू-कश्‍मीर) ने केजीएमयू के बाल रोग विभाग के स्‍थापना दिवस पर आयोजित डॉ पीके मिश्रा व्‍याख्‍यान में कही। उन्‍होंने बताया कि डायपर का इस्‍तेमाल विशेष मौकों पर करना तो ठीक है लेकिन अपनी सुविधा के लिए करना गलत है। उन्‍होंने कहा कि ऐसी हालत में चिकित्‍सक से सम्‍पर्क करें, कुछ दवाओं और व्‍यावहारिक जानकारियों की मदद से यह दिक्‍कत ठीक हो जाती है।

इस बारे में विभाग के प्रो सिद्धार्थ कुंवर ने बताया कि चार से छह साल के बीच बच्‍चे को पेशाब करने का तरीका बताने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिये। इसमें दवा का खास रोल नहीं है, दवा अगर दी भी जाती है तो जब तक दवा का असर रहता है तब तक तो ठीक, उसके बाद फि‍र ये वही दिक्‍कत शुरू हो जाती है। उन्‍होंने कहा कि जरूरी है बच्‍चे को इसके लिए डांटा न जाये न मजाक उड़ायें वरना यह परेशानी और बढ़‍ती रहती है, बल्कि इसके लिए आवश्‍यक है कि बच्‍चे का स्‍वाभिमान और आत्‍मविश्‍वास बनाये रखते हुए उसे समझाया और सिखाया जाये। उदाहरण के लिए उसे समझाया जाये कि तुम ठीक तो हो जाओगे क्‍योंकि क्‍या तुमने किसी बड़े व्‍यक्ति को देखा है जो कपड़े में पेशाब करता हो। बच्‍चे को समझाते हुए कहें कि अगर तुम कपड़ों में पेशाब करोगे तो तुम्‍हें ही बिस्‍तर के कपड़े उठाने होंगे, तुम्‍हें ही बदलने होंगे, धीरे-धीरे बच्‍चा इस परेशानी से बचने के लिए ध्‍यान रखना शुरू कर देगा। उन्‍होंने बताया कि इस बिहैवियरल थैरेपी से यह होता है कि बच्‍चा आसानी से आपकी बात समझ लेता है और उसका आत्‍मविश्‍वास कम न होकर बढ़ जाता है।

समारोह में केजीएमसी की प्रधानाचार्य रह चुकीं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ पीके मिश्रा, जिनके नाम पर व्‍याख्‍यान आयोजित किया गया, भी उपस्थित हुईं। विभागाध्‍यक्ष डॉ शैली अवस्‍थी ने उनका स्‍वागत कर उनका कार्यक्रम में आने के लिए आभार जताया।