-केजीएमयू के इंटर्न और यूजी छात्रों ने महसूस किया इस जरूरत को, कलाम जयंती पर किया 25 यूनिट रक्तदान
-रक्तदाताओं को डरने की जरूरत नहीं, महामारी के दौर में भी पूरी तरह सुरक्षित है रक्तदान : डॉ तूलिका चन्द्रा
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। कोरोना काल का असर अन्य क्षेत्रों की तरह किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के ब्लड बैंक पर भी हुआ है। ब्लड बैंक में ब्लड की उपलब्धता में भारी कमी आयी है, इसकी वजह यह है कि नये डोनर की उपलब्धता कम हुई है जबकि कोरोना के मरीजों में भी रक्त चढ़ाये जाने से खपत पहले से बढ़ गयी है। ऐसे में स्वेच्छा के साथ किया गया रक्तदान ही इस कमी को पूरा कर सकता है। यह बात ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष व ब्लड बैंक प्रभारी डॉ तूलिका चन्द्रा ने केजीएमयू के इंटर्न और यूजी के छात्रों द्वारा ब्लड डोनेशन किये जाने की जानकारी देते हुए कही।
डॉ तूलिका चन्द्रा ने बताया कि पिछले दिनों 15 अक्टूबर को पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती के मौके पर केजीएमयू के ब्लड बैंक में आयोजित एक रक्तदान शिविर में संस्थान के इंटर्न तथा अंडरग्रेजुएशन के छात्रों ने 25 यूनिट रक्तदान किया। उन्होंने बताया कि इन सभी दानवीरों को कुलपति ले.ज. डॉ बिपिन पुरी द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर उनकी सराहना की गयी। डॉ तूलिका ने इन दानवीरों की सराहना करते हुए बताया कि कोरोना महामारी के इस दौर में हो रही रक्त की कमी को इन इंटर्न्स और यूजी छात्रों ने महसूस करते हुए इस कदम को उठाकर जहां कमी को पूरा करने में सहयोग दिया है वहीं दूसरों को भी यह मैसेज देने की कोशिश की है कि महामारी जैसे संकटकाल में भी रक्तदान करना पूरी तरह सुरक्षित है, यहां सभी प्रकार के प्रोटोकाल का पालन करके ही रक्तदान लिया जाता है। लोग आगे बढ़ कर दूसरों का जीवन बचाने वाले रक्त का दान कर सकते हैं, और इस मानवीय अमूल्य कार्य में अपना सहयोग दे सकते हैं।
डॉ तूलिका बताती हैं कि वास्तव में रक्तदान अमूल्य ही है क्योंकि रक्त का निर्माण कितनी भी दौलत खर्च करके भी नहीं जा सकता है, यह शरीर में ही प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है, इसीलिए रक्तदान को महादान कहा गया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि वैसे तो सभी ग्रुप के रक्त की कमी है लेकिन विशेष रूप से ए पॉजिटिव, एबी पॉजिटिव और निगेटिव ग्रुप के रक्त की ज्यादा कमी है। उन्होंने अपील की है कि इस पुनीत कार्य में स्वैच्छिक संगठन, व्यक्ति, संस्थान अपना योगदान दें जिससे इमरजेंसी की स्थिति में मरीज की जान बचायी जा सके। उन्होंने कहा कि दरअसल जरूरत पड़ने पर मरीज की जान बचाने के लिए हमें तुरंत ही ब्लड उपलब्ध कराना होता है, बदले में मरीज के परिजन, परिचित का ब्लड लेने का प्रोसेस चलता रहता है। कभी ऐसा भी होता है कि मरीज के साथ कोई ऐसा नहीं होता है जिसका ब्लड लिया जा सके, ऐसे में उसे बिना डोनर रक्त उपलब्ध कराना हमारी मजबूरी हो जाती है।