बच्चों–किशोरों के लिए ‘क्या खाना उचित और क्या खाना अनुचित’ के बारे में जानकारी दी डॉ पियाली भट्टाचार्य ने
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। घर हो या बाहर हफ्ते में एक बार से ज्यादा जंक फूड का सेवन बच्चों को नहीं करना चाहिये, माताओं को चाहिये कि अगर स्कूल में मिड डे मील का प्रावधान नहीं है तो वे स्कूल के लिए लंच घर से ही अवश्य बना कर दें। दो साल तक की उम्र के बच्चों को डिब्बाबंद जूस बिल्कुल नहीं देने चाहिये।
यह सुझाव संजय गांधी पीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ पियाली भट्टाचार्य ने रविवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ के तत्वावधान में आयोजित स्टेट लेवल रिफ्रेशर कोर्स एंड सीएमई प्रोग्राम में अपने सम्बोधन में दिये। बच्चों और किशोरों को क्या खाना चाहिये और क्या नहीं खाना चाहिये, विषय में बताते हुए डॉ पियाली ने कहा कि आज का बच्चा ही देश का भविष्य है, और देश के भविष्य को स्वस्थ रखना हम सब की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि रहन-सहन के साथ ही खानपान का स्वस्थ शरीर के लिए विशेष महत्व है, इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि बच्चों को हम ऐसी चीजें खाने को प्रोत्साहित करें जो उन्हें स्वस्थ और बलवान बनाये रखने में सहायक हों।
डॉ पियाली ने कहा कि घर पर बने खाने में या तो चीनी का बिल्कुल नहीं या बहुत कम इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा तिक बच्चों को पानी के साथ ही दूध बटर मिल्क, नारियल पानी और फलों के जूस इत्यादि दें। ध्यान रखें स्कूल जाते समय पानी की बोतल अवश्य दें, क्योंकि प्रदूषित पानी बहुत सी बीमारियों की जड़ है। उन्होंने बताया कि बीमारी के दौरान विशेषकर दवा खाने के दौरान फलों का जूस नही देना चाहिये तथा कैफीन युक्त एनर्जी ड्रिंक बच्चों और किशोरों को बिल्कुल ना दें।
उन्होंने कहा कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों को चाय या कॉफी नहीं देनी चाहिये। उन्होंने कहा कि बच्चों की खाने की आधी प्लेट में सब्जियां और फल होने चाहिए, (आलू सब्जी में न गिनें) जबकि एक चौथाई प्लेट में साबित अनाज जैसे गेहूं, जौ, ओट्स, ब्राउन राइस से बने पदार्थ होने चाहिये। डॉ पियाली ने बताया कि इसी प्रकार प्रोटीन की शक्ति के लिए मछली, अंडा, बीन्स, अखरोट दिये जा सकते हैं।
उन्होंने सलाह दी कि हमेशा वनस्पति तेलों जैसे जैतून, मक्का, सोया, कैनोला, सूरजमुखी, मूंगफली के तेलों का प्रयोग खाना पकाने के लिए करें। उन्होंने कहा कि विशेषकर हाइड्रोजन तेल से बचें।