-विश्वव्यापी विपत्तियों के नाश के लिए मौजूद है मंत्र
-प्राणायाम, प्राणिक हीलिंग से सक्रिय करें शरीर में ऊर्जा
सेहत टाइम्स ब्यूरो

लखनऊ। आजकल देश-दुनिया में चल रहे कोरोना काल से सभी त्रस्त हैं, स्वास्थ्य को लेकर हमारे मन में भय घर कर गया है। लेकिन यह पहली बार हो रहा है, ऐसा नया नहीं है। इतिहास बताता है कि पहले भी धरती पर इस तरह की महामारियों ने अपना हमला किया है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में प्रत्येक परेशानी के हल के लिए युक्तियां सुझायी गयी हैं। मंत्रों में बहुत शक्ति होती है। अलग-अलग प्रयोजनों के लिए अलग-अलग मंत्र हैं।
यह कहना है समाजसेविका व योगिक मानसिक चिकित्सा सेवा समिति की संचालिका, प्राणिक हीलर ऊषा त्रिपाठी का। ‘सेहत टाइम्स’ को उन्होंने बताया कि हमारे धार्मिक ग्रंथों में हर प्रकार की परेशानी के लिए अलग-अलग मंत्रों के जाप के बारे में बताया गया है, जरूरत है उसे समझकर मनोयोग के साथ करने की। उन्होंने कहा कि दुर्गासप्तशती में बताया गया है कि महामारी के नाश के लिए जिस मंत्र का पाठ करना चाहिये, वह है,
जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोsस्तु ते ।।
इसी प्रकार विश्वव्यापी विपत्तियों के नाश के लिए मंत्र है
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोsखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं
त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ।।
विश्व के पाप-ताप निवारण के लिए मंत्र है
देवि प्रसीद परिपालय नोsरिभीते-
र्नित्यं यथासुरवधादधुनैव सद्य: ।
पापानि सर्वजगतां प्रशमं नयाशु
उत्पातपाकजनितांश्च महोपसर्गान्
इसी प्रकार आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मंत्र इस प्रकार है
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।।
विपत्ति नाश के लिए जपने वाला मंत्र है
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोsस्तु ते ।।
इसी प्रकार प्रात:काल में सूर्य की आराधना करना अत्यंत लाभप्रद होता है, इसके लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
ऊषा त्रिपाठी बताती हैं कि इस समय बहुत कठिन काल चल रहा है, एक छोटे न दिखायी देने वाले वायरस ने पूरी दुनिया को हिला रखा है। ऐसे में जरूरत अपने मनोबल को बनाये रखने की है, क्योंकि यह विपत्ति का समय आया है तो चला भी जायेगा, लेकिन इस विपत्ति काल में हमें धैर्य नहीं खोना है।
ऊषा त्रिपाठी बताती हैं कि प्राणिक हीलिंग पद्धति से शरीर में स्थित चक्रों को ऊर्जावान (energise) किया जाता है। इस पद्धति में व्यक्ति को बिना छुए, बिना दवा दिये (No touch no drug), प्राणिक हीलर द्वारा व्यक्ति के अंदर उर्जा दी जाती है। शरीर के अलग-अलग भागों में स्थित इन चक्रों में ऊर्जा देने से व्यक्ति की रोगों से लड़ने की शक्ति भी बढती है जो सभी प्रकार के रोगों से बचाने में सहायक हो सकती है। आजकल के कोरोना काल में सरकार द्वारा जारी किये गये सुझाव जैसे सामाजिक दूरी, मास्क, समय-समय पर हाथों की सफाई जैसी बातों को ध्यान में रखकर बताये गये मंत्रों का जप करें, योग को भी अपने जीवन का हिस्सा बनायें, प्राणायाम आपके श्वसन तंत्र को व्यवस्थित रखेगा, मंत्रों के जाप से निश्चित रूप से मन प्रसन्न रहेगा, शक्ति मिलेगी, ऊर्जा मिलेगी साथ ही मिलेगी रोगों से लड़ने की ताकत।
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