-हेल्थसिटी विस्तार हॉस्पिटल के एंडोक्राइन सर्जन डॉ नवनीत त्रिपाठी ने कहा खून में कैल्शियम की मात्रा ज्यादा निकले तो हो जायें सावधान
सेहत टाइम्स
लखनऊ। बाराबंकी से आयी लड़की की उम्र मात्र 25 वर्ष थी, लेकिन बार-बार उसकी किडनी में पथरियां बन रही थीं, हड्डियों में दर्द बना हुआ था, गोमती नगर विस्तार स्थित हेल्थ सिटी विस्तार हॉस्पिटल पहुंची इस लड़की को एंडोक्राइन सर्जन ने देखा, उसकी हिस्ट्री ली। खून की जांच करायी तो पता चला कि लड़की के रक्त में कैल्शियम का स्तर काफी बढ़ा हुआ था, बस इसके बाद ही डायग्नोज करने की दिशा को पैराथायरॉयड ग्रंथि पर फोकस किया तो पता चला कि लड़की पैराथायरॉयड ग्रंथि के टयूमर से ग्रस्त है। घरवालों को पता चला तो उनकी आंखों के आगे घोर निराशा के बादल छाने लगे, लेकिन सर्जन ने ढांढ़स बंधाया और सर्जरी की सलाह देते हुए कहा कि आप लोग चिंता न करें, सर्जरी के बाद लड़की स्वस्थ हो जायेगी। ज्ञात हो मटर के आकार के पैराथायरॉयड ग्रंथि में बहुत छोटे-छोटे ट्यूमर हो जाते हैं, जिन्हें पूरी तरह से निकालना एक चुनौतीपूर्ण जटिल कार्य है। लेकिन यह जटिल कार्य हेल्थसिटी विस्तार में हुआ, और आज मरीज स्वास्थ्य लाभ कर रही है और अच्छा फील कर रही है।

यह सर्जरी करने वाले अस्पताल के ब्रेस्ट एंड एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के चीफ कन्सल्टेंट डॉ नवनीत त्रिपाठी ने इस बीमारी और की गयी सर्जरी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए ‘सेहत टाइम्स’ को बताया कि थायरॉयड ग्रंथि के चारों ओर चार पैराथायरॉयड ग्रंथियां होती हैं, मटर के दानों के आकार की इन ग्रंथियों के बारे में जागरूकता आवश्यक है, रक्त की जांच में अगर किसी व्यक्ति का कैल्शियम लेवल नॉर्मल रेंज से बढ़ा आ रहा है, तो यह एक अलार्मिंग स्टेज है, इसे इग्नोर न करें और एक बार एंडोक्राइन सर्जन या एंडोक्रानोलॉजिस्ट से मिल लें और यह सुनिश्चित कर लें कि कहीं उनकी पैराथायरॉयड ग्रंथि में कोई समस्या तो नहीं है, क्योंकि यह पैराथायरॉयड एडिनोमा हो सकता है।
उन्होंने बताया कि बाराबंकी से लगभग 25 वर्षीय लड़की आयी थी इसको पैराथायरायड ग्लैंंड में ट्यूमर था, जिसे मेडिकल टर्म में पैराथायरॉयड एडिनोमा कहा जाता है। इस स्थिति में एक हार्मोन पीटीएच की मात्रा बढ़ जाती है, यह हार्मोन आगे चलकर हड्डी से सारा कैल्शियम निकाल कर खून में ले आता है, कैल्शियम का लेवल हाई होने से किडनी में पथरी बनने लगती है, कैल्शियम निकलने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे फ्रैक्चर हो जाते हैं। मन:स्थिति में बदलाव हो जाते हैं, डिप्रेशन होता है, कभी-कभी पैंक्रियाज में सूजन हो जाती है, कुल मिलाकर यह हार्मोन हमारी पूरी बॉडी को डिस्टर्ब कर देता है, और मरीज के जीवन की गुणवत्ता समाप्त हो जाती है। उन्होंने बताया कि अगर समय रहते यह बीमारी पकड़ में आ जाती है तो दवाओं और सर्जरी से उपचार होना संभव है, इस उपचार में हार्मोंन की कंडीशन को हम लोग जड़ से ठीक कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इस लड़की के पैराथायरॉयड एडिनोमा को डायग्नोज करने के बाद मैंने और एंडोक्राइनोलॉजी के डॉ अरुण पाण्डेय ने लड़की का ट्रीटमेंट प्लान किया। डॉ नवनीत ने बताया कि दरअसल यह सर्जरी बहुत चुनौतीपूर्ण होते हैं, क्योंकि पैराथायरॉयड में पाये जाने वाले ये ट्यूमर बहुत छोटे और फाइन होते हैं, जिसकी वजह से यह अत्यन्त ध्यान देना पड़ता है कि ट्यूमर पूरी तरह से निकल जायें, वरना अगर थोड़ा सा भी अंश रह गया तो यह फिर से पैदा हो जाता है। उन्होंने बताया कि लड़की की सर्जरी सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गयी। लड़की की सर्जरी के बाद कैल्शियम लेवल और पीटीएच लेवल नॉर्मल हो गये, साथ ही मरीज ने खुद भी महसूस किया और कहा कि वह बहुत आराम महसूस कर रही है।



