भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने अनिवार्य किया हॉस्पिटल बेस्ड रजिस्ट्री प्रोग्राम
लखनऊ। कैंसर रोगी बढ़ रहे हैं मगर देश में कैंसर रोगियों के इलाज के लिए गाइड लाइन नदारद है। इस समस्या के समाधान के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने हॉस्पिटल बेस्ड कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम शुरू किया है, इससे अस्पतालों में आने वाले रोगियों का आंकड़ा उपलब्ध हो सकेगा जिससे गाइड लाइन तैयार की जा सके।
रिकॉर्ड के आधार पर तय की जायेगी इलाज की प्लानिंग
यह जानकारी शुक्रवार 28 जुलाई को संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में नेशनल सेंटर फार डिजीज इंफारमेटिक्स एंड रिसर्च के निदेशक डॉ.प्रशांत माथुर ने दी। डॉ माथुर एसजीपीजीआई में कैंसर मरीजों से संबन्धित जानकारी लेना और रिकॉर्ड रजिस्ट्री करने का प्रशिक्षण देने आये हुए हैं। डॉ.माथुर ने बताया कि कैंसर इलाज की गाइड लाइन तैयार करने के लिए कैंसर रोगियों के आंकड़ों की जरूरत है, किस प्रकार के कैंसर रोगी आ रहें हैं, किस क्षेत्र में कौन सा कैंसर बढ़ रहा है, कितने कैंसर रोगी अस्पताल पहुंचते हैं, कितने इलाज कराते हैं और कितने इलाज बीच में छोड़ देते हैं? कितने लोग इलाज का खर्च वहन कर पाते हैं और कितने बिना इलाज मर जाते हैं? आदि रिकार्ड उपलब्ध होने पर कैंसर इलाज की प्लानिंग और देश में गाइड लाइन तैयार की जायेगी।
छह माह से एकत्रित किया जा रहा है रिकॉर्ड
उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड एकत्र करने की प्रक्रिया पिछले छह माह से शुरू हो चुकी है, उत्तर प्रदेश में सरकारी व निजी में लगभग 40 कैंसर अस्पताल हैं, अभी केवल संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, इलाहाबाद का कमला नेहरू मेमोरियल और वाराणसी का बीएचयू में आने वाले कैंसर मरीजों का रिकॉर्ड उपलब्ध हो रहा है। अन्य अस्पतालों में शीघ्र ही संपर्क किया जायेगा और उन्हें कैंसर रोगियों के रिकॉर्ड एकत्र करने और उन्हें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद में सब्मिट करने को कहा जायेगा। उन्होंने बताया कि महिलाओं में ब्रेस्ट, सर्विक्स और हेड एवं नेक के कैंसर मरीजों की बढ़ती संख्या को देखकर केन्द्र सरकार ने इन तीन प्रकार के कैंसर रोगियों के स्क्रीनिंग प्रोग्राम को अनिवार्य कर दिया है। इसी प्रकार देश में आठ प्रांतों में कैंसर रोगियों के रिकॉर्ड देने का नियम पारित कर दिया गया है, उप्र में भी इस तरह की अनिवार्यता की जरूरत है।
अकेले पीजीआई में आते हैं हर साल 3000 रोगी
एसजीपीजीआई के प्रो.राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि संस्थान में हर वर्ष लगभग तीन हजार कैंसर के नये रोगी आते हैं, इनमें 40-50 फीसदी रोगी कैंसर की तीसरी या चौथी स्टेज में आते हैं, जिनका इलाज कठिन हो जाता है। अगर, शुरुआती दौर में आ जाये तो पूर्ण इलाज संभव है। उन्होंने बताया कि संस्थान में प्रो.शालीन कुमार, प्रो.पुनीता लाल, प्रो.राकेश पाण्डेय, प्रो.उत्तम सिंह और प्रो. मारिया दास, कैंसर रोगियों की जानकारी रजिस्ट्री में फीड करती हैं।