Monday , September 15 2025

आया जाड़ा : सूरज निकलने के बाद ही टहलें, गरम नहीं गुनगुने पानी से नहायें

-जाड़े के मौसम में होने वाली बीमारियों की रोकथाम एवं प्रबन्धन में होम्योपैथिक दवाइयाँ कारगर
-शीतकालीन बीमारियों पर बाबा हॉस्पिटल में होम्‍योपैथिक जागरूकता संगोष्‍ठी आयोजित

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। जाड़े के मौसम में होने वाली बीमारियों की रोकथाम एवं प्रबन्धन में होम्योपैथिक दवाइयाँ कारगर हैं इसलिए जनता को इनका लाभ लेना चाहिए।

यह विचार शनिवार को उ0प्र0 होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के अध्यक्ष प्रो0 (डा0) बी0एन0 सिंह ने होम्योपैथिक साइन्स कांग्रेस सोसाइटी एवं इंस्टीट्यूट आफ पैरामेडिकल साइंसेस के तत्वावधान में बाबा हास्पिटल के सभागार में शीतकालीन बीमारियाँ-कारण, बचाव एवं होम्योपैथिक प्रबन्धन विषय पर आयोजित जागरूकता संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। प्रो0 सिंह ने कहा कि होम्योपैथिक दवाइयाँ शरीर में प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न कर रोगों से बचाव करती हैं।

केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद के पूर्व सदस्य डा0 अनुरुद्ध वर्मा ने बताया कि सर्दी, जुकाम, फ्लू आदि के संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई पर ध्यान दें। गर्म तरल पदार्थ का सेवन करें तथा एंटीबायोटिक दवाइयों का प्रयोग न करें। उन्होंने सलाह दी कि इस मौसम में पर्याप्त सब्जियाँ, मौसमी फल एवं हल्का भोजन लें तथा पूरे कपड़े पहन कर ही घर से निकलें। उन्होंने बताया कि सूरज निकलने के बाद ही टहलने निकलें क्योंकि सुबह प्रदूषण ज्यादा होता है। गरम पानी के बजाय गुनगुने पानी से ही स्नान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जाड़े के मौसम में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा रहता है इसलिए ठंडक से पूरी तरह बचाव जरूरी है। इस मौसम में ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित रखना चाहिए।

वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी डा0 राकेश बाजपेई ने बताया कि इस मौसम में वायु प्रदूषण ज्यादा होता है इसलिए अस्थमा, खाँसी एवं अन्य सांस की समस्यायें ज्यादा बढ़ती हैं, इसलिए प्रदूषण, धूल-मिट्टी से बचें, अलाव न तापें तथा मास्क का प्रयोग करना चाहिए।

डा0 पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि जाड़े के मौसम में जोड़ों में दर्द जैसे- गठिया, आर्थराइटिस, पुरानी चोट में दर्द बढ़ सकता है इसलिए पर्याप्त कपड़े पहनें तथा गर्म तासीर वाला भोजन करें।

डा0 निशांत श्रीवास्तव ने बताया कि जाड़े के मौसम में त्वचा खुश्क हो जाती है, इसलिए पर्याप्त पानी पियें। एड़ियाँ फट जाती हैं इसलिए हमें मोजे पहने रहना चाहिए। त्वचा साफ-सफाई रखना बहुत जरूरी है।

डा0 विनीता द्विवेदी ने बताया कि जाड़े के इस मौसम में बच्चों में निमोनिया, टांसिलाइटिस आदि की समस्यायें ज्यादा रहती हैं। इसलिए पर्याप्त कपड़े पहनाकर इससे बचाव किया जा सकता है। संगोष्ठी को डा0 यू0बी0 त्रिपाठी, डा0 अवधेश द्विवेदी, डा0 राजीव अग्रवाल, डा0 दुर्गेश चतुर्वेदी, डा0 ए0के0 शर्मा आदि ने अपने विचार प्रकट किये।