-दोपहिया वाहन पर हेलमेट और चार पहिया वाहन पर सीट बेल्ट लगाना न भूलें
-केजीएमयू के न्यूरो सर्जरी विभाग ने विश्व सिर चोट जागरूकता दिवस पर आयोजित किया जागरूकता कार्यक्रम
सेहत टाइम्स
लखनऊ। मस्तिष्क पर लगी एक छोटी सी चोट व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को बहुत प्रभावित कर सकती है, क्योंकि मस्तिष्क हमारे पूरे शरीर को नियंत्रित रखता है, उसका संचालन करता है। मस्तिष्क की चोट के स्थायी प्रभाव इतने गंभीर हो सकते हैं कि वे किसी व्यक्ति के मूड, व्यक्तित्व, करियर और स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं, यहां तक कि व्यक्ति की मौत का कारण भी बन सकते हैं। इसलिए हर हालत में यह आवश्यक है कि दोपहिया वाहन पर बैठते समय हेलमेट और चार पहिया वाहन पर बैठते समय सीट बेल्ट का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाये। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही नहीं करनी चाहिए क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि दुर्घटना के बाद सिर्फ यही मलाल रह जाये कि काश हेलमेट पहना होता, सीट बेल्ट लगायी होती।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) लखनऊ के न्यूरो सर्जरी विभाग द्वारा आज विश्व सिर चोट जागरूकता दिवस (20 मार्च) को एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ बीके ओझा ने बताया कि इस दिन का उद्देश्य हमें यह याद दिलाना है कि अगर हम सचेत रहें तो हम दुर्घटनाओं और मस्तिष्क की चोटों को कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह दिन हेलमेट और सीट बेल्ट जैसे सुरक्षा उपकरणों के सही उपयोग की वकालत करता है, जो दुर्घटना की स्थिति में सिर को होने वाली क्षति से बचा सकता है।
डॉ.ओझा ने बताया कि वैश्विक स्तर पर हर साल 5% से अधिक लोगों को दुर्घटना के बाद या गलती से सिर टकराने के कारण मस्तिष्क में गंभीर चोट लगती है। भारत में लगभग 1.7 लाख मौतें सिर की चोट (2022 डेटा) के कारण होती हैं और यदि हम उन्होंने कहा कि गाड़ी चलाते समय सतर्क और सावधान रहें तो इनमें से कई को रोका जा सकता है। लखनऊ में, केजीएमयू सिर की चोट के रोगियों को न्यूरोट्रॉमा देखभाल प्रदान करने वाला प्रमुख सरकारी संस्थान है। हालांकि एसजीपीजीआई और आरएमएल भीअपनी न्यूरोट्रॉमा सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
डॉ. ओझा ने बताया कि पिछले साल केजीएमयू में, हमने लगभग 2800 सिर की चोट के रोगियों को भर्ती किया और लगभग 1400 को सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ी। इससे यह स्पष्ट है कि सिर की चोट के 50% रोगियों को सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने कहा कि न्यूरोसर्जन की उपलब्धता कम है और यूपी के कई शहरों में एक भी न्यूरोसर्जन नहीं है। इसे देखते हुए हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि हमें सिर की चोट से बचने के लिए हमेशा सतर्क तो रहना ही चाहिए। यहां तक कि जब सिर में चोट लगी हो और लक्षण न्यूनतम हों, और आपके पड़ोस में कोई न्यूरोसर्जन उपलब्ध न हो, तो न्यूरोसर्जन की तलाश में दूसरे शहर में न जाएं। ऐसी स्थिति में, अपने नजदीकी किसी भी एमबीबीएस या एमएस (जनरल सर्जरी) डॉक्टरों से परामर्श लेना चाहिए और यह उनके ऊपर छोड़ देना चाहिए कि क्या आपको न्यूरोसर्जन के पास भेजा जाना जरूरी है अथवा नहीं क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि वायुमार्ग, श्वास और परिसंचरण की प्राथमिक देखभाल की कमी के कारण रोगी की स्थिति खराब हो जाती है।
डॉ ओझा ने बताया कि आज के वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे कार्यक्रम में एमबीबीएस, नर्सिंग और पैरामेडिकल के लगभग 200 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। उन्हें सिर की चोट के प्रकार, सिर की चोट के विभिन्न कारणों और सिर की चोट से बचाव के तरीकों और सिर की चोट का प्राथमिक उपचार कैसे करें, इसके बारे में बताया गया। कार्यक्रम में सबसे पहले डॉ. आंचल ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए उपस्थित विशेषज्ञों से परिचय कराया। न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. बीके ओझा के साथ ही डॉ. अनिल चंद्रा, डॉ. क्षितिज, डॉ. मनीष, डॉ. सोमिल, डॉ. अंकुर और डॉ. अवधेश तथा वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य से डॉ. श्रीकांत ने छात्रों के साथ विषयों पर चर्चा में भाग लिया। डॉ अंकुर द्वारा एक प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया और उन्होंने सही उत्तर देने वाले छात्रों को चॉकलेट वितरित की। कार्यक्रम में कहा गया कि सभी के लिए सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह है कि आप इन सावधानियों का पालन करके सचेत रहकर सिर की चोट और इसके कारण होने वाली दिव्यांगता की संभावना से बच सकते हैं
सावधानियां और सलाह
-यातायात नियमों का पालन करें, सिगनल को न तोड़ें, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग न करें
-साइकिल, मोटरसाइकिल या स्कूटर पर हमेशा हेलमेट पहनें – यहां तक कि पीछे बैठे व्यक्ति के लिए भी यह जरूरी है
-कभी भी शराब या नशीली दवाओं का सेवन करके गाड़ी न चलाएं
-कमजोर दृष्टि वाले लोगों के लिए सीढ़ियों पर पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करें
-श्रमिकों के लिए सही सुरक्षा उपकरण प्रदान करें
-4 पहिया मोटर वाहन में हमेशा सीट बेल्ट पहनें
-उपयुक्त बाल सुरक्षा सीट का उपयोग करें
-सीढ़ियों और छत पर रेलिंग का प्रयोग करें
-आसपास के चालकों और वाहनों के प्रति सतर्क रहें क्योंकि कई दुर्घटनाएं दूसरों की गलतियों के कारण होती हैं