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16वीं शताब्दी की गलती को अब तक नहीं सुधार पा रहे हम

-भारी भरकम कर भी नहीं लगा सका तम्बाकू के सेवन पर लगाम

-विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर प्रो सूर्यकान्त ने एक बार फिर लिखा पीएम को पत्र

सेहत टाइम्स

लखनऊ। 16वीं शताब्दी में अकबर के शासनकाल में पुर्तगाली पहली बार तम्बाकू ले कर भारत आये थे। जहाँगीर के शासनकाल में इसके उपभोग को नियंत्रित करने के लिए इस पर भारी मात्रा में कर लगाये गये लेकिन सदियां बीत गयीं, तम्बाकू व्यापार और उपभोग पर लेश मात्र भी अंकुश नहीं लग पाया।

यह बात आज 31 मई को केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में “विश्व तम्बाकू निषेध दिवस“ के मौके पर मरीजों व उनके परिजनों को जागरूक करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो सूर्यकान्त ने कही। प्रो सूर्यकान्त में एक बार फिर इस मौके पर लगातार आठवें वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर तम्बाकू पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की इस वर्ष की थीम – ’’ब्राइट प्रोडक्ट्स, डार्क इंटेंशन्स, अनमास्किंग दी अपील’’ अर्थात “चमकदार उत्पाद, काली नीयतः आकर्षण का पर्दाफाश“ है।

डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि तम्बाकू के धुएं से 7000 हानिकारक रसायनिक पदार्थ निकलते हैं, जिनमें निकोटीन और टार प्रमुख हैं। इसके धुएं में लगभग 150 ऐसे तत्व पाये जाते है जो की कैंसर कारक हैं। जिसके कारण 40 तरह के कैंसर हो सकते हैं। बीड़ी, सिगरेट व तम्बाकू से कैंसर के अतिरिक्त 25 तरह की अन्य बीमारियाँ भी हो सकती हैं। बीड़ी या सिगरेट का धुआं उसको पीने वाले के फेफडे़ में 30 प्रतिशत जाता है व आस-पास के वातावरण में 70 प्रतिशत रह जाता है। जिससे परिवार के लोग और उसके मित्र प्रभावित होते हैं, इसे हम परोक्ष धूम्रपान कहते हैं। इस परोक्ष धूम्रपान से यदि गर्भवती महिला प्रभावित होती है तो इसके गर्भ में पल रहे शिशु का विकास रूक सकता है तथा गर्भ के अन्दर शिशु की मृत्यु भी हो सकती है।

उन्होंने कहा कि विश्व भर में होने वाली मृत्यु में 50 प्रतिशत मौंतों का कारण तम्बाकू व धूम्रपान है। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि प्रतिवर्ष तम्बाकू एवं धूम्रपान के कुप्रभाव के कारण विश्व में लगभग 70 लाख तथा भारत में 12 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। अर्थात भारत में लगभग 3000 लोगों की मृत्यु प्रतिदिन तम्बाकू और इसके उत्पादों के स्वास्थ्य पर होने वाले खतरनाक दुष्प्रभावों के कारण होती है। डा0 सूर्यकान्त ने कार्यक्रम में उपस्थित समस्त लोगों को शपथ दिलाई कि वे तम्बाकू का सेवन नहीं करेगें और अपने आस-पास तथा रिश्तेदारों को भी तम्बाकू छोड़ने के लिए मनायेगें। सभी लोगों ने एक साथ नारा भी लगाया कि ’’तम्बाकू से है नुकसान ही नुकसान, छोड़ने के हैं फायदे ही फायदे’’। इस जागरूकता कार्यक्रम में विभाग के डा0 संतोष कुमार, डा0 अजय कुमार वर्मा, डा0 अंकित कुमार, समस्त जूनियर डाक्टर्स, स्वास्थ्य कर्मी, रोगियों के परिजन तथा सीटीवीएस विभाग से डा0 अम्ब्रीश कुमार भी उपस्थित रहे।

ज्ञात रहे सन् 2018 से लगातार “विश्व तम्बाकू निषेध दिवस“ पर डा0 सूर्यकान्त प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तम्बाकू पर पूर्ण प्रतिबन्ध की मांग करते आ रहे हैं। प्रधानमंत्री के साथ-साथ उ0प्र0 की राज्यपाल, आनन्दी बेन पटेल, उ0प्र0 के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय मंत्री स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग जे पी नड्डा, राज्यमंत्री स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के डा0 भारती प्रवीण पवार, उ0प्र0 के उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ब्रजेश पाठक तथा सुनीता शर्मा, डीजीएचएस, भारत सरकार, को भी उन्होंने पत्र भेजा। डा0 सूर्यकान्त को आशा है कि उनके द्वारा भेजे गये पत्र पर देश के हित को ध्यान में रखते हुए तम्बाकू पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जायेगा, जिससे पर्यावरण और मानव जाति को इस जानलेवा वस्तु से छुटकारा मिलेगा।

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