-डॉ प्रीती कुमार ने फॉग्सी की सेव मदरहुड कमेटी की चेयरपर्सन की जिम्मेदारी सम्भाली
-ऑल इंडिया कांग्रेस ऑफ़ आब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी का दूसरा दिन
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सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। पोस्ट पार्टम हेमरेज यानी प्रसव के बाद ब्लीडिंग बहुत ही खतरनाक स्थिति है, यह उतनी ही खतरनाक है जैसे दुर्घटना के बाद दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के फव्वारे की माफिक ब्लीडिंग हो रही हो, इसे तुरंत रोकने के लिए बैलूनिंग तकनीक बहुत ही कारगर है।
यह जानकारी यहां आशियाना स्थित मान्यवर कांशीराम स्मृति उपवन में चल रहे ऑल इंडिया कांग्रेस ऑफ़ आब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी (एआईसीओजी 2020) के दूसरे दिन ऑर्गनाइजिंग कमेटी की ज्वॉइंट सेक्रेटरी डॉ विनीता अवस्थी ने देते हुए बताया कि आयोजन सचिव डॉ प्रीती कुमार ने आज फॉग्सी की सेफ मदरहुड कमेटी की चेयरपर्सन का चार्ज सम्भाला है, डॉ प्रीती ने मातृ सुरक्षा के कार्यों पर विस्तार से चर्चा की।
इसके तहर डॉ प्रीती ने बताया कि बताया कि बैलूनिंग की तकनीक ब्लीडिंग की समस्या को रोकने में काफी कारगर साबित हो रही है। उन्होंने बताया कि प्रसव के बाद जब ब्लीडिंग नहीं रुकती है तो बैलून को महिला के अंदर डालकर एक ब्लड को रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि ब्लीडिंग नॉर्मल और सिजेरियन दोनों डिलीवरी में हो सकती है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में इसकी भी ट्रेनिंग दी रही है ताकि ब्लीडिंग की गंभीर समस्या से निपटने में आसानी हो।
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गर्भावस्था के दौरान शुगर की नियमित जांच कराना जरूरी
डॉ. प्रीती कुमार ने बताया कि इस कमेटी का कार्य है कि ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित प्रसव कराए जाने की ट्रेनिंग दी जाए। इसमें हम नई तकनीकियों से स्टाफ को अवगत कराते हैं। उन्होंने बताया कि प्रेग्नेंसी किसी भी महिला के लिए महत्वपूर्ण समय होता है। इस समय किसी भी प्रकार की लापरवाही शिशु और माँ के लिए घातक साबित हो सकती है। इसी प्रकार प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं का शुगर स्तर बढ़ जाने की शिकायत काफी आती हैं। ऐसे में इसकी नियमित जांच कराई जानी चाहिए, जिससे कि प्रसव के समय किसी प्रकार की दिक्कत न हो। उन्होंने बताया कि प्रेग्नेंसी के समय महिला को 75 ग्राम ग्लूकोज पिलाने के बाद डायबिटीज की जांच की जाती है। उस रिपोर्ट के आधार पर ही आगे का इलाज किया जाता है। आगे के इलाज में खानपान या दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
डॉ. प्रीती कुमार ने यह भी कहा कि खान पान का विशेष ध्यान देने की जरूरत है। जंक फ़ूड का सेवन काफी मात्रा में किया जा रहा है। इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा उन्होंने कई तकनीकियों के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। आपको बता दें कि ’63वें आल इंडिया ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनोकोलोजी(एआईसीओजी 2020) ‘ का आयोजन लखनऊ आब्सटेट्रिक्स एंड गाइनोकोलॉजी सोसाइटी कर रही है। पांच दिवसीय इस प्रोग्राम का गुरुवार को दूसरा दिन था। अखिल भारतीय प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों के इस राष्ट्रीय सम्मेलन में पूरे भारत और विदेशों से 13,000 से अधिक स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।
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