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आयुष भर्ती घोटाला : पूर्व आयुष मंत्री और तत्‍कालीन एसीएस की भूमिका की जांच करेगी सीबीआई

-हाईकोर्ट के आदेश के बाद जल्‍द ही जांच अपने हाथ में ले सकती है सीबीआई

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जल्द ही ‘आयुष प्रवेश घोटाले’ की जांच अपने हाथ में ले सकती है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को केंद्रीय एजेंसी को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था। अदालत ने सीबीआई को पूर्व आयुष मंत्री और आयुष विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया।

बताते चलें कि तत्कालीन आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी के खिलाफ उनके निजी सचिव राज कुमार दिवाकर का बयान सबसे ज्यादा मुश्किलें बढ़ा सकता है। सचिव ने आरोप लगाया है कि आयुष में यूजी की मान्यता के लिए धर्म सिंह सैनी को 1 करोड़ 10 लाख और पीजी के लिए 50 लाख रुपए की घूस मिली है। सचिव का ये बयान कोर्ट में दाखिल हुआ है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में गिरफ्तार किए गए 16 अभियुक्तों में से एक के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने कहा कि पीठ ने उनके मुवक्किल डॉ रितु गर्ग की जमानत याचिका पर विचार करते हुए उक्त निर्देश जारी किया, डॉ गर्ग को एसटीएफ ने 1 मार्च को गिरफ्तार किया था। सिंह ने यह भी बताया कि डॉ गर्ग मिर्जापुर में संतोषी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के मालिक हैं। विशेष रूप से, डॉ गर्ग पर आयुर्वेद निदेशालय के अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से कम से कम 70 अयोग्य उम्मीदवारों के प्रवेश की सुविधा देने का आरोप लगाया गया था।

सिंह ने आगे कहा कि पीठ ने डॉ गर्ग की जमानत मंजूर करते हुए सीबीआई जांच का निर्देश दिया क्योंकि अदालत को लगा कि जांच गलत दिशा में जा रही है। सुनवाई के दौरान, वकील आईबी सिंह ने तर्क दिया कि कॉलेज प्रबंधन का प्रवेश प्रक्रिया से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि काउंसलिंग आयुर्वेद निदेशालय द्वारा इस उद्देश्य के लिए नियुक्त एजेंसी द्वारा की गई थी। इसलिए कोर्ट ने पूर्व आयुष मंत्री और तत्कालीन एसीएस की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया है।

इसके अतिरिक्‍त एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने नवंबर 2022 में प्रवेश प्रक्रिया में विसंगतियां सामने आने के बाद दो बार मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, लेकिन एजेंसी ने इसे नहीं लिया था क्‍योंकि यू.पी. स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) पहले से ही प्रवेश घोटाले की जांच कर रही थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारी ने आगे कहा कि एसटीएफ नवंबर 2022 से घोटाले की जांच कर रही है और 16 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है इनमें डॉ गर्ग के साथ ही  पूर्व निदेशक, आयुर्वेद, एसएन सिंह,  काउंसलिंग इंचार्ज उमाकांत यादव,  पूर्व वरिष्ठ सहायक निदेशक, आयुर्वेद, राजेश सिंह, और आयुर्वेद निदेशालय में पूर्व कनिष्ठ सहायक, कैलाश चंद्र भास्कर  व अन्य शामिल हैं।

जांच से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सीबीआई के अपने पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज करने और इस सप्ताह किसी भी समय जांच शुरू करने की संभावना है। पुलिस वाले ने कहा कि राज्य के अधिकारी और एसटीएफ केंद्रीय एजेंसी के साथ समन्वय कर रहे हैं और घोटाले से संबंधित दस्तावेज पहले ही साझा कर चुके हैं।

ज्ञात हो इसके पूर्व एसटीएफ ने तब जांच शुरू की थी जब तत्कालीन आयुर्वेद निदेशक एसएन सिंह ने लखनऊ के हजरतगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि नीट 2021-22 के प्रवेश के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग के दौरान कुछ अनियमितताएं पाई गईं। “नीट 2021-22 के लिए काउंसलिंग के दौरान, अयोग्य उम्मीदवारों को यूजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिया गया था। लखनऊ में हायर की गई एजेंसी ‘अपट्रॉन पॉवरट्रोनिक्स’ और उसके द्वारा नामित वेंडर कंपनी (V3 सॉफ्ट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड) – जिसका प्रतिनिधि कुलदीप सिंह है – का उल्लेख प्राथमिकी में किया गया था।

ऑनलाइन काउंसिलिंग का काम अपट्रॉन पॉवरट्रोनिक्स को दिया गया था क्योंकि आयुष विभाग के पास आईटी सेल नहीं है। अधिकारी ने बताया कि काउंसलिंग प्रक्रिया एक फरवरी से 19 मई 2022 के बीच तीन चरणों में हुई। अधिकारी ने बताया कि बाद में तीन स्नातक पाठ्यक्रमों में आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले प्रथम वर्ष के 891 छात्र, जिन्‍होंने प्रवेश ले लिया था, जांच के दायरे में आ गए थे।

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