केजीएमयू में भैंगेपन विषय पर सीएमई आयोजित
लखनऊ। अगर आप अपने बच्चे की कमजोर नजर की जांच कराने जा रहे हैं तो इसे मशीन से न करायें, इस जांच को नेत्र सर्जन से दवा डलवाकर करानी चाहिये क्योंकि सही समय पर सही नम्बर का चश्मा न मिलने पर बच्चा भैंगेपन का शिकार भी हो सकता है।
यह जानकारी आज शनिवार को यहां किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के नेत्र विभाग में भैंगेपन को लेकर आयोजित एक सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) में दी गयी। इसकी जानकारी देते हुए डॉ अंकुर यादव ने बताया कि सीएमई में बताया गया कि अगर बच्चे की आंखों में थोड़ा सा भी तिरछापन हो तो इसे नजरअंदाज न करें, तुरंत बच्चों के आंखों के डॉक्टर से सम्पर्क करें, बच्चों के आंखों के डॉक्टर न मिलें तो नेत्र सर्जन से सम्पर्क करें, क्योंकि हो सकता है बच्चे को भैंगेपन की शिकायत हो, इलाज से इसे बचपन में ही सामान्य बनाया जा सकता है।


डॉ अंकुर ने बताया कि इस अवसर पर नेत्र रोग विभाग के चिकित्सकों द्वारा विभिन्न प्रकार के भेंगेपन की बीमारी पर विस्तार से चर्चा की गई। नेत्र रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ विनीता सिंह द्वारा इस बीमारी में किए जाने वाले उपचार एवं ऑपरेशन में बरती जाने वाले सावधानियों के बारे में जानकारी दी गई।
डॉ अंकुर यादव ने बताया कि सीएमई में कहा गया कि बच्चों के भैंगेपन के बारे में जानकारी होने पर आवश्यक है कि उसे बच्चों के नेत्र विशेषज्ञ को दिखाया जाये। उन्होंने बताया कि बहुत से लोग या तो ध्यान नहीं देते हैं या इसे सामान्य मानकर सोचते हैं कि उम्र बढ़ने पर ठीक हो जायेगा। उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है जितनी कम उम्र में बच्चे को स्पेशियलिस्ट के पास दिखाया जायेगा उतनी ही जल्दी इसे ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पहले एक्सरसाइज और चश्मे के नम्बर से ही ठीक करने की कोशिश की जाती है लेकिन अगर ठीक न हुआ तो इसे सर्जरी से ठीक किया जाना संभव है।
इस अवसर पर चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने केजीएमयू जैसे ख्याति प्राप्त संस्थान में नेत्र रोग विभाग को संस्थान का प्र्रमुख विभाग बताते हुए इसे संस्थान का नेत्र बताया। उक्त कार्यक्रम में मुख्य रूप से नेत्र रोग विभाग के डॉ सिद्धार्थ, डॉ अरुण शर्मा, डॉ भास्कर उपस्थित रहे।
