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जब तक जारी है माहवारी, तब तक बरतें गर्भनिरोधक की होशियारी

गर्भ निरोधक के अस्‍थायी साधनों के प्रति अभी भी बहुत मिथक हैं लोगों के मन में

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। यह सोचना कि अरे अब तो 40 वर्ष से ज्‍यादा की उम्र हो गयी हमारी, अब क्‍या बच्‍चे होंगे, लेकिन यह सही नहीं है जब तक महिला के शरीर में आखिरी अंडाणु भी फटता है, तब तक गर्भ ठहरने की संभावनायें समाप्‍त नहीं होती हैं, इसलिए पति-पत्‍नी को चाहिये कि वे गर्भ ठहरने के प्रति लापरवाह न बनें बल्कि माहवारी बंद होने के एक साल बाद तक सतर्क रहते हुए गर्भनिरोधक साधनों का इस्‍तेमाल अवश्‍य करें।

यह जानकारी रविवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ द्वारा आयोजिेत स्‍टेट लेवल रिफ्रेशर कोर्स एंड सीएमई प्रोग्राम में सीनियर गायनीकोलॉजिस्‍ट डॉ वारिजा सेठ ने गर्भनिरोधक साधन अपनाने के प्रति लोगों में मिथक और उनके लिए क्‍या उचित है, इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस समय अनेक गर्भ‍ निरोधक साधनों के बावजूद इसके प्रति लोगों में जागरूकता की कमी है। उन्‍होंने कहा कि जैसे कि कॉपर टी को लेकर बहुत सी महिलाएं यह सोचती हैं कि यह तो पेट में, आंतों में चढ़ जायेगी। जबकि ऐसा नहीं है। लोगों में यह भी भ्रांति भी है कि नसबंदी कराने से पुरुषों का पुरुषत्‍व खत्‍म हो जाता है, महिलाओं का मोटापा बढ़ जाता है जबकि ऐसा कुछ नहीं है।

उन्‍होंने बताया कि गर्भ रोकने को लेकर टेम्‍परेरी उपाय की स्‍वीकार्यता कम है, ज्‍यादातर लोग अभी भी नसबंदी को ही विकल्‍प मानते हैं 57 प्रतिशत महिलाएं नसबंदी कराती हैं जबकि पुरुष नसबंदी में यह आंकड़ा 1 प्रतिशत से भी कम है। डॉ वारिजा ने बताया कि आज भी पति-पत्‍नी यह सोचते हैं कि अगर गर्भ ठहर गया तो गर्भपात करा लेंगे, जबकि होना यह चाहिये कि गर्भ ठहरने के प्रति सावधानी बरती जाये।