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आर्थराइटिस रोगी हर घंटे करें सिर्फ 5 मिनट व्‍यायाम, मिलेगा ज्‍यादा आराम

-विश्‍व आर्थराइटिस दिवस पर हेल्‍थ सिटी हॉस्पिटल से जनेश्‍वर पार्क तक निकलेगी विन्‍टेज कार व साइकिल रैली

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। अर्थराइटिस के रोगियों को चाहिए कि व्यायाम जरूर करें क्योंकि व्यायाम से उपचार में बहुत मदद मिलती है और अपेक्षाकृत दवा का सेवन भी कम मात्रा में करना पड़ता है।

यह सलाह विश्व अर्थराइटिस दिवस 12 अक्टूबर के मौके पर आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊ द्वारा आयोजित की जाने वाली साइकिलथॉन विंटेज कार रैली एवं योग-जुम्‍बा डान्‍स कार्यक्रम के बारे में जानकारी देने के लिए बुलाई गई पत्रकार वार्ता में फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ संदीप गर्ग और सचिव डॉ संदीप कपूर ने संयुक्त रूप से दी।

उन्होंने कहा कि अक्सर हम से मरीज पूछते हैं एक्सरसाइज कितनी करनी चाहिए, इसका जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि‍ जागते रहने की स्थिति में हर घंटे 4 से 5 मिनट एक्सरसाइज कर लेनी चाहिए उन्होंने कहा बहुत से लोग कहते हैं कि सुबह मैंने आधा घंटा एक्सरसाइज की। इस पर उनका कहना था एक साथ इतना न करके, दिन भर में हर घंटे पर चार-पांच मिनट की एक्‍सरसाइज ज्यादा लाभदायक होगी।

साइकिल चलाना सबसे अच्‍छा व्‍यायाम क्‍यों

डॉ संदीप कपूर ने आर्थराइटिस दिवस पर साइलिक रैली के साथ विन्‍टेज कार रैली के आयोजन के उद्देश्‍य के बारे में बताते हुए उन्‍होंने कहा कि साइकिल चलाना सबसे अच्छा व्यायाम है क्योंकि साइकिलिंग से जांघों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, और जब जांघों की मांसपेशियां मजबूत होंगी तो जोड़ों पर भार कम पड़ेगा। क्योंकि आर्थराइटि‍स होने का मुख्य कारण जोड़ों पर भार का पड़ना है। उन्होंने कहा विंटेज कार यानी बूढ़ी हो चुकी कार की रैली के आयोजन के पीछे का उद्देश्‍य है कि आर्थराइटिस की बीमारी अपेक्षाकृत बुजुर्गों को ज्‍यादा होती है।

जुम्‍बा डान्‍स भी है एक प्रकार का व्‍यायाम

डॉ संदीप गर्ग ने बताया कि साइकिलिंग के अलावा जुम्बा डान्स और योग भी एक अच्छा व्यायाम है, इसीलिए इसका भी आयोजन किया जा रहा है। जुम्बा डांस से मनोरंजन के साथ-साथ अच्छा व्यायाम हो जाता है। कल होने वाले कार्यक्रम के बारे में उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी को आमंत्रित किया गया है, डॉ कपूर ने बताया कि विंटेज कार रैली और साइकिल रैली प्रातः 6 बजे हेल्थ सिटी हॉस्पिटल से शुरू होकर जनेश्वर मिश्र पार्क तक जाएगी।

99 फीसदी रोगियों को नहीं जरूरत पड़ती है घुटना बदलवाने की

डॉ कपूर ने बताया कि आर्थराइटि‍स से पीड़ित लोगों में 99 प्रतिशत रोगियों को ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती है, बशर्ते व्यायाम और डॉक्‍टर की सलाह के अनुसार दवाओं का सेवन करें, मात्र एक प्रतिशत लोगों को घुटना बदलने की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि आजकल ऐसे-ऐसे नकली घुटने आ गए हैं जिनसे एक बार रिप्लेसमेंट का लेने से 30-35 वर्षों तक फुर्सत हो जाती है।

डॉक्‍टर की सलाह जरूर मानें

डॉ गर्ग ने बताया कि यदि चिकित्‍सक घुटना बदलवाने की सलाह देता है तो उस सलाह को मानते हुए घुटना बदलवा लेना चाहिए क्योंकि ऐसा देखा गया है कि जब डॉक्‍टर ने सलाह दी उस समय मरीज ने सलाह नहीं मानी और जब उम्र बढ़ने के बाद परेशानी ज्यादा बढ़ती है तो वे डॉक्टर से घुटना बदलने को कहता है तो उस समय मरीज की स्थिति ऐसी नहीं रह जाती है उसका घुटना बदला जा सके।

डॉ कपूर ने बताया कि घुटने के इस सर्जरी को सामान्यत: घुटना प्रत्यारोपण या नी ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है लेकिन यह सही नहीं है क्योंकि प्रत्यारोपण या ट्रांसप्लांट तभी कहा जाता है जब एक व्‍यक्ति का अंग निकालकर उस अंग को दूसरे व्‍यक्ति में प्रत्‍यारोपित किया जाये घुटना बदलने की सर्जरी में नकली घुटना लगाया जाता है इसलिए उसे घुटना बदलना कहना ही सही है।

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