डॉ सूर्यकांत के नेतृत्व में तीन चिकित्सकों ने ली रोगमुक्त होने तक देखभाल की जिम्मेदारी
टीबी कार्यक्रम की स्टेट टास्क फोर्स के चेयरमैन ने कहा, राज्यपाल से लेनी चाहिये प्रेरणा
सेहत टाइम्स ब्यूूूूरो
लखनऊ। राज्यपाल की प्रेरणानुसार किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में पंजीकृत एवं उपचार ले रहे 18 वर्ष तक के टीबी के मरीजों को सुगम चिकित्सकीय परामर्श तथा उनको पुष्टाहार प्रदान करने के लिए चेयरमैन, उ0प्र0 स्टेट टास्क फोर्स, आरएनटीसीपी एवं केजीएमयू के रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो सूर्य कान्त के नेतृत्व में कुल 31 मरीजों को गोद लिया गया। इसमें 10 मरीजों के पूरे इलाज एवं देखभाल की जिम्मेदारी प्रो0 सूर्यकान्त, 11 मरीजों की जिम्मेदारी डा0 आशीष नायक, सचिव, सोच फाउण्डेशन तथा 10 मरीजों की जिम्मेंदारी डा0 शक्ति भूषण चन्द, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी, आदर्श डीआरटीबी सेंटर, लखनऊ मण्डल ने ली।
आपको बता दें कि पिछले साल 2018 में 2 अक्टूबर को प्रोफेसर सूर्यकान्त के नेतृत्व में अर्जुनपुर ग्रामसभा को टीबी मुक्त लखनऊ अभियान के अंतर्गत टीबी मुक्त कराने के लिए गोद लिया गया तथा बीती 30 अप्रैल को ऐशबाग, मोतीझील, मलिन बस्ती को टीबी मुक्त बनाने के लिए गोद लिया गया। डॉ सूर्यकांत जो धन्वन्तरि सेवा संस्थान के अध्यक्ष भी हैं, ने बताया कि टीबी भारत की ही नहीं बल्कि विश्व की एक प्रमुख समस्या है ,दुनिया के 27% टीबी रोगी भारत में रहते हैं। उन्होंने बताया कि अर्जुनपुर ग्रामसभा और ऐशबाग, मोतीझील, मलिन बस्ती में लगातार जहां टीबी से ग्रस्त रोगियों की देखभाल का कार्य किया जा रहा है, वहीं नये रोगी खोजने, टीबी ग्रस्त रोगी के परिवार और अन्य लोगों को जागरूक करने तथा क्या करें, क्या न करें जैसी बातों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
जिन 31 मरीजों को मंगलवार को गोद लेने की घोषणा की गयी है उनके बारे में डॉ सूर्यकांत ने बताया कि इस कार्य में धन्वंतरि सेवा संस्थान पूरी तरह सहयोग कर रहा है, इसके तहत क्षेत्र में संस्थान के कार्यकर्ता घर-घर जाकर टीबी रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने का कार्य करेंगे, इसके साथ अभियान में लक्षण वाले रोगियों को संबंधित जांचें एवं उपचार कराने में हर संभव मदद करेंगे। डॉ सूर्यकांत ने कहा कि राज्यपाल के टीबी से ग्रस्त बच्चों को गोद लेने से लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिये।
ज्ञात हो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टीबी मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य 2025 रखा है, जो कि अन्तर्राष्ट्रीय लक्ष्यों तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के टीबी मुक्त विश्व के लक्ष्य से 5 वर्ष पहले है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मे प्रत्येक टीबी रोगी को रुपये 500 प्रतिमाह पोषण भत्ता भी देने की योजना प्रारम्भ की है। उत्तर प्रदेश में यह योजना 1 अप्रैल 2018 से लागू है तथा अब तक उत्तर प्रदेश में डायरेक्ट बेनीफिट ट्रान्सफर (डीबीटी) के माध्यम से 65 करोड़ से ज्यादा की धनराशि टीबी रोगियो के खाते मे ट्रान्सफर की जा चुकी है। टीबी मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत प्रथम चरण में देश के 10 प्रमुख शहरों को टीबी मुक्त बनाने के लिए चयनित किया गया है। जिसमें उत्तर प्रदेश के वाराणसी एवं लखनऊ जनपद सम्मलित है।