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ट्रॉमा मृत्‍यु मुक्‍त भारत का सपना पूरा करने की ओर एक कदम

-प्रो विनोद जैन की आठवीं पुस्‍तक ट्रॉमा बचाव उपचार एवं प्रबंधनहिन्‍दी भाषा में प्रकाशित

-चिकित्‍सक से लेकर आमजन तक के लिए जानकारियां दी गयी हैं पुस्‍तक में

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। ट्रॉमा के कारण होने वाली मौतों का सर्वाधिक शिकार हमारा युवा होता है, किसी भी राष्ट्र के निर्माण में युवा शक्ति का प्रभावी योगदान होता है और युवाओं की संख्या की दृष्टि से हमारा देश विश्व में प्रथम स्थान पर है तो ऐसे में यदि हमारी युवा शक्ति का ह्रास होगा तो निश्चित ही हम आशातीत सफलता नहीं प्राप्त कर पाएंगे। इसी ह्रास को बचाने के लिए मेरे मस्तिष्‍क में हमेशा एक बात कौंधती रहती है कि क्‍या हम ट्रॉमा मृत्यु मुक्त भारत का निर्माण नहीं कर सकते हैं, जब चेचक को समाप्‍त कर दिया, पोलियो को लगभग समाप्‍त कर दिया है, ट्यूबरकुलोसिस को समाप्‍त करने का आह्वान प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी कर ही चुके हैं तो ट्रॉमा मृत्‍यु मुक्‍त भारत क्‍यों नहीं हो सकता। इन अभियानों की शुरुआत करने के लिए किसी न किसी ने पहल की ही होगी। इसी आशावादी सोच ने मुझे प्रेरित किया कि मैं ‘ट्रॉमा बचाव उपचार एवं प्रबंधन’ पुस्‍तक लिखकर छोटी सी सही एक शुरुआत करूं तो शायद कारवां बनता चला जाये। अब जबकि मेरी यह पुस्तक मूर्त रूप ले चुकी है अब मुझे विश्वास हो गया है कि एक न एक दिन ‘मेरा सपना, ट्रॉमा मृत्यु मुक्त भारत हो अपना’ की परिकल्पना साकार होगी और मैं स्थूल अथवा सूक्ष्म रूप में उस कालखंड को देख पाऊंगा।

यह विचार किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर, निदेशक, स्किल इंस्टीट्यूट व डीन पैरामेडिकल प्रो विनोद जैन ने अपनी लिखी आठवीं पुस्‍तक ‘ट्रॉमा बचाव उपचार एवं प्रबंधन’ के प्रकाशन के बारे में बात करते हुए व्‍यक्‍त किये। उन्‍होंने कहा कि आदर्श स्थिति तो यही है कि दुर्घटना न हो, लेकिन यदि दुर्घटना होती है तो उस स्थिति में व्‍यक्ति की जान बचाने से लेकर उसके पुनर्वास तक की व्‍यवस्‍था कैसे की जा सकती है, इस पर ध्‍यान देना अत्‍यन्‍त आवश्‍यक है। आपको बता दें कि यह पुस्‍तक ट्रॉमा प्रबंधन के लिए नीति निर्धारकों के लिए अत्‍यन्‍त उपयोगी सिद्ध हो सकती है क्‍योंकि इसमें व्‍यावहारिक दृष्टिकोण से छोटी-छोटी बातों को ध्‍यान में रखकर उसके ट्रॉमा प्रबंधन के बारे में सुझाव दिये गये हैं।

प्रो विनोद जैन ने बताया कि दुर्घटनाओं को रोकने,  दुर्घटना होने की स्थिति में गहन चोट से पीड़ित व्यक्ति को किस प्रकार दुर्घटना स्थल से सुरक्षित तरीके से उठाकर चिकित्सक तक पहुंचाएं, अगर रक्तस्राव हो रहा है तो उसे कैसे रोका जाए, जैसी बातों का वर्णन इस पुस्तक में किया गया है जो आमजन के लिए तो उपयोगी है ही, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ तथा चिकित्‍सकों के लिए भी उपयोगी है। प्रो जैन ने कहा कि विश्व में प्रतिवर्ष ट्रॉमा के कारण 10 से 15 लाख व्‍यक्ति काल के गाल में समा जाते हैं कथा 3 से 5 करोड़ लोग विकलांग हो जाते हैं इनमें से लगभग 50% लोग 15 से 44 वर्ष की आयु के होते हैं सड़क हादसे में होने वाली मृत्यु में लगभग 73% पुरुष होते हैं मरने वालों में अधिकांश अपने भविष्य का निर्माण कर रहे होते हैं।

उन्‍होंने कहा कि यदि आम जनता तक इसकी जानकारी होगी तो ऐसी दुर्घटनाओं के शिकार होने वालों की, न सिर्फ जान बचाया जाना संभव होगा बल्कि उनको उस चोट से होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है। डॉ जैन ने बताया कि इस पुस्तक में ट्रॉमा के मुख्य कारणों, चिकित्सालय पहुंचने से पूर्व प्राथमिक उपचार, चिकित्सकों एवं नर्सों के लिए ट्रॉमा प्रशिक्षण, एटीएलएस एवं एटीसीएल प्रशिक्षण लागू करने में आरंभिक चुनौतियां, चिकित्सालय को पूर्व सूचना एवं संबंधित तैयारी, चिकित्सालय में देखभाल, रोगी का अन्य चिकित्सालय में स्थानांतरण, पुनर्वास केंद्र की जरूरत, विशेष परिस्थितियों में विशेष सावधानियां आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी दी गई है। प्रो जैन ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि‍ हिंदी भाषा में सरल तरीके से लिखी गई यह पुस्तक समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

पुस्‍तक के प्रकाशक उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निदेशक श्रीकांत मिश्रा का कहना है कि ट्रॉमा यानी घातक चोट की घटनाएं बहुत अधिक बढ़ती जा रही हैं भारत में ट्रॉमा संबंधी दुर्घटनाओं में प्रतिवर्ष लगभग 3 प्रतिशत की वृद्धि होती है गंभीर चोट से युवा वर्ग, कामकाजी पुरुष तथा महिलाएं विशेष रूप से संकट ग्रस्त होते हैं। इससे उन्हें तो दिक्कत होती ही है उनके परिवारों में भी अप्रत्याशित संकट आ जाते हैं इस तरह की घटनाओं को जहां रोकने के लिए कदम उठाने जरूरी हैं, वहीं यह भी आवश्यक है कि ट्रॉमा से पीड़ित व्यक्ति को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए किस प्रकार प्रबंधन किया जाए। श्रीकांत मिश्रा का कहना है कि चिकित्‍सक से लेकर आमजन तक प्रबंधन के बारे में जानकारी पहुंचे इसके लिए इस पुस्तक का प्रकाशन किया जा रहा है। मैं समझता हूं डॉक्टर जैन की यह पुस्तक जन उपयोगी पुस्तक होगी और इससे लोग लाभान्वित होंगे।