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एक दिन के आयोजन की गागर में अनेक रोगों पर जानकारी का सागर भरने की कोशिश

आईएमए की कॉन्‍फ्रेंस में विभिन्‍न रोगों के बारे में दी गयी जानकारी

 

लखनऊ। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की उत्‍तर प्रदेश शाखा का 83वां अधि‍वेशन आज शनिवार को यहां होटल फॉर्च्‍युन में सम्‍पन्‍न हुआ। इस अधिवेशन में फोकस सतत चिकित्‍सा शिक्षा (सीएमई) पर रहा। इसीलिए अनेक रोगों के विशेषज्ञों द्वारा महत्‍वपूर्ण जानकारी दी गयी। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रदेश भर के चिकित्‍सक आये हैं। एक दिन की सीएमई के सत्र में जिन रोगों के बारे में जानकारी दी गयी उनमें न्‍यूरो, हेड इंजरी, हृदय रोग, मनोरोग, कैंसर, पल्‍मोनरी, टीबी, गैस्‍ट्रो, मातृ एवं बाल स्‍वास्‍थ्‍य, बांझपन, दर्द, विभिन्‍न प्रकार के डिस्‍ऑर्डर के बारे में पैनल डिस्‍कशन का आयोजन कर उपस्थित चिकित्‍सकों को जानकारी दी गयी। इस तरह से इतने कम समय में अनेक रोगों के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी देकर गागर में सागर भरने की कोशिश की गयी।

 

कार्यक्रम की जानकारी देने के लिए एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया‍ जिसमें आईएमए के प्रदेश अध्‍यक्ष डॉ सुधीर ढाकरे, सचिव डॉ राजेश सिंह, आईएमए लखनऊ के अध्‍यक्ष डॉ सूर्यकांत, सचिव डॉ जेडी रावत, आईएमए लखनऊ के पूर्व अध्‍यक्ष डॉ पीके गुप्‍ता, डॉ रवीन्‍द्र भदौरिया उपस्थित थे।

 

डॉ ढाकरे ने जहां समाज में चुनौतियों और आईएमए की भूमिका के बारे में बताते हुए कहा कि आईएमए हमेशा समाज की सहायता के लिए सरकार के साथ खड़ा है। उन्‍होंने बताया कि विश्‍व में डॉक्‍टरों की सबसे पुरानी और बड़ी एसोसिएशन आईएमए है। उन्‍होंने बताया कि चिकित्‍सक के बारे में यह धारणा बना दी गयी है कि वह गांव में काम नहीं करना चाहता है। उन्‍होंने कहा कि इस बारे में आपको बता दें‍ कि समझने वाली बात है कि ऐसा क्‍यों नहीं है, ऐसा इसलिए है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्‍चों के पढ़ने-लिखने सहित अनेक ऐसी सुविधाएं नहीं हैं जो कि परिवार के साथ रहने में जरूरत पड़ती है। ऐसे में चिकित्‍सकों को दोष देना ठीक नहीं है। उन्‍होंने कहा कि लोगों का नजरिया है कि चिकित्‍सक को भगवान का रूप माना गया है लेकिन चिकित्‍सक व्‍यवसायी हो गया है, इस पर हमारा कहना है कि आखिर इस चिकित्‍सा पेशे को कन्‍ज्‍यूमर प्रोटेक्‍शन एक्‍ट के तहत लाने का फैसला सरकार की ओर से लिया गया था,  चिकित्‍सकों ने इसकी मांग नहीं की थी। ऐसे में जब मरीज को उपभोक्‍ता बना दिया गया तो डॉक्‍टर तो व्‍यवसायी बन ही गया।

 

लखनऊ के प्रतिष्ठित चिकित्सक डा0 अशोक निराला ने सिर की चोट के इलाज के ऊपर प्रकाश डाला। उन्होनें कहा कि अधिकतम सिर की चोट रोड ट्राफिक एक्सीडेंट की वजह से होती है। उन्‍होंने कहा कि यदि ट्राफिक का इंतजाम ठीक से किया जाय तो इससे होने वाली मृत्यु में कमी आएगी।

 

अजंता अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डा0 अभिषेक शुक्ला ने हृदयाघात के ऊपर प्रकाश डाला। लखनऊ इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डा0 राकेश सिंह ने हार्ट फेलियर के इलाज के बारे में चिकित्सकों को अवगत कराया। मनोचिकित्सक डा0 अलीम सिद्दीकी ने अवसाद में प्रयोग की जाने वाली दवाईयों के ऊपर चिकित्सकों को अवगत कराया।

 

ऑन्‍कोलॉजी के सेशन में केजीएमयू के डा0 आनन्द श्रीवास्तव, डा0 शैलेन्द्र यादव,, डा0 सरिता सिंह के साथ ही डा0 मनोज श्रीवास्तव ने कैंसर के विभिन्न बिन्दुओं पर एवं उनके नवीनतम उपचार विधियों से समस्त चिकित्सकों का ज्ञान वर्धन किया। डॉ मनोज कुमार श्रीवास्‍तव ने बताया कि उत्‍तर भारत में सबसे ज्‍यादा पाया जाने वाला कैंसर मुख का कैंसर है, इसके प्रमुख कारण तम्‍बाकू, पान मसाला, सिगरेट है। इसके लक्षणों के बारे में उन्‍होंने बताया कि मुख के अंदर किसी भी भाग में छाला जो बढ़ता जा रहा हो व सामान्‍य दवाओं से ठीक न हो रहा हो, जीभ, गाल, मसूढ़े, होठ, तालू, गर्दन में कोई भी गांठ जो बढ़ रही हो, आवाज में लम्‍बे समय से भारीपन, खाना निगलने में परेशानी होने पर इसकी जांच करायी जाती है। जांच के लिए सीटी स्‍कैन या एमआरआई के साथ ही उस छाला या गांठ की बायप्‍सी से कैंसर कन्‍फर्म किया जाता है।

 

मिडलैण्ड हेल्थकेयर के निदेशक डा0 बी0पी0 सिंह ने दमा एवं श्वास रोगों एवं उनके उपचार के विषय में जानकारी दी। पेट एवं पित्त रोग (गैस्ट्रो) विशेषज्ञ डा0 दीपक अग्रवाल ने लम्बे समय तक चलने वाले डायरिया (क्रॉनिक डायरिया) के नवीनतम उपचार से समस्त चिकित्सकों को अवगत कराया। अजंता अस्पताल की निदेशक एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डा0 गीता खन्ना नें निःसंतान दम्पति और उनकी समस्याओं एवं उपचार के बारे में बताया।

 

कार्यक्रम के अध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त, जो कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश टास्क फोर्स फॉर टीबी के अध्यक्ष भी है, उन्होंने प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी ”2025 तक टी0बी0 समाप्त“ की योजना के बारे में अवगत कराया। उन्होनें कहा कि टी0बी0 एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या है, जिसका सबसे महत्वपूर्ण वजह एक-तिहाई रोगियों का न मिलना हैं। उन्‍होंने बताया कि हमारे लिए सबसे बड़ी समस्‍या एमडीआर (मल्‍टी ड्रग रेजिस्‍टेंस) रोगी हैं। उन्होंने बताया कि सरकार की योजना से घर-घर पहुंच कर सरकार की टीमें निःशुल्क एक्स रे एवं बलगम  की जांच तथा सभी रोगियों तक निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराएगी ताकि देश को टीबी मुक्त किया जा सके।

कार्यक्रम का संचालन निर्वाण हॉस्पिटल के निदेशक डॉ प्रांजल अग्रवाल ने किया।