स्टेट कॉफ्रेंस ऑफ इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की 39वीं राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न
लखनऊ। बच्चों की मृत्यु के बड़े कारण के रूप में पिछले कई सालों से सिरदर्द बनी रही जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) से बचाव के लिए अब सिर्फ एक बार वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी जबकि अभी तक दो बार टीका लगवाना पड़ता है। यह जानकारी यहां साइंटिफिक कन्वेन्शन सेंटर में स्टेट कॉफ्रेंस ऑफ इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की 39 वी राष्ट्रीय कार्यशाला के तीसरे व अंतिम दिन डॉ.अनूप बाजपेई द्वारा दी गयी। इसके अलावा पीजीआई के डॉ.एस के याचा ने आंत की यानि बच्चों के पेट से जुड़ी बीमारियों पर चर्चा की उन्हें लाइफ टाइम अवार्ड से सम्मानित किया गया।
डॉ बाजपेई ने बताया कि जापानी बुखार से बचाव के लिए चिंता करने की जरूरत नही है, क्योंकि अब जीयू नई वैक्सीन आ गई है जिसका सिंगल डोज लेने के बाद जेई के खतरे को टाला जा सकता है, जबकि अभी तक जेई की रोकथाम के लिए उपलब्ध वैक्सीन की दो डोज एक नियमित समय की अंतराल पर लगानी पड़ती हैं।
यूपीपेडिकॉन के आयोजक डॉ आशुतोष वर्मा ने बताया कि बेतरतीब दवाओं के सेवन से बच्चों की किडनी भी खराब हो जाती हैं, बच्चों में डायबिटीज को रोकने का प्रयास करना चाहिये, बच्चों की डायबिटीज का इलाज क्या है, इसके लिए बालरोग विशेषज्ञों को इलाज की गाइड लाइन का उपयोग करना चाहिये। डॉ. दिनेश पांडेय ने बताया कि बच्चों के इलाज में आ रही नई-नई वैक्सीन्स कौन सी हैं ? उनका प्रभाव क्या है, पुरानी वैक्सीन की जगह पर नई वैक्सीन का क्या एडवांटेज है, कौन सी वैक्सीन मौजूदा दौर में सबसे ज्यादा चलन में है और उन वैक्सीन का इस्तेमाल किस तरह करना है आदि के बारें में बताया गया। बच्चों की पेट से सम्बंधित बीमारीयों, बच्चों में होने वाले कैंसर पर बाल रोग विशेषज्ञों ने अपने लेक्चर्स दिए।