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प्राकृतिक सेंधा नमक 48 तरह के रोगों को रखता है दूर, कम्‍पनियों में बनने वाला समुद्री नमक दे रहा अनेक बीमारियां

जो समुद्री नमक 56 देशों में बैन, वह भारत में धड़़ल्‍ले से बेचकर देशवासियों को खिलाया जा रहा  

 

लखनऊ। सेंधा नमक गुणों की खान है। सेंधा नमक भारत से कैसे गायब कर दिया गया, शरीर के लिए Best Alkalizer है, यह हृदय के लिए उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है, इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अच्‍छा होगा कि आप काला नमक, सेंधा नमक प्रयोग करें, क्यूंकि ये प्रकृति, ईश्‍वर का बनाया हुआ है।

 

यह कहना है वरिष्‍ठ आयुर्वेद चिकित्‍सा अधिकारी डॉ देवेश कुमार श्रीवास्‍तव का। ‘सेहत टाइम्‍स’ से विशेष बातचीत में डॉ देवेश ने बताया कि सेंधा नमक के गुण प्रकृति से ही मिले हुए हैं क्‍यों‍कि सेंधा नमक बनता नहीं है, पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है। जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ हैं, सुरंगे हैं, वहाँ से यह नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है, आजकल पि‍सा हुआ भी आने लगा है। उन्‍होंने बताया कि आइये आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्य कितने प्रकार होते हैं। एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock salt)। सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता।

 

 

1930 से पहले भारत में सभी खाते थे सिर्फ सेंधा नमक

 

डॉ देवेश बताते हैं कि भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनि‍यां भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई हैं, उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली-भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है। उन्‍होंने बताया कि जब ग्लोबलाइजेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों ने नमक बेचना शुरू किया तब यह सारा खेल शुरू हुआ। खेल यह था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ, आयोडीन युक्त नमक खाओ। आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। यह सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि-आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था। उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।

 

उन्‍होंने बताया कि सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हर नमक मे होता है, सेंधा नमक मे भी आयोडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्रकृति द्वारा, भगवान द्वारा बनाया आयोडीन होता है इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरबी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है। बेहतर होगा कि आप इस समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकलें।

 

दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बैन  कर दिया। अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों?  उनकी सरकार ने कहा हमने मे आयोडीन युक्त नमक खिलाया (1940 से 1956 तक) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए। जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया। उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनों मे जब हमारे देश मे यह आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत मे बिक नहीं सकता। वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया तब यह बैन हटाया गया।

 

सेंधा नमक के फ़ायदे

 

डॉ देवेश कुमार श्रीवास्‍तव

सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है । क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अम्‍ल में मिलती है तो वो न्यूट्रल हो जाता है और रक्त अम्‍लता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं।

 

यह नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है, और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास, व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते हैं, तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ?

शरीर मे  97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है सेंधा नमक

सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है, इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis)  का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।

 

यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्‍कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।

 

समुद्री नमक के भयंकर नुकसान

 

उन्‍होंने बताया कि यह जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार यह तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है। क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आयोडीन डाल रही हैं। अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक में होता है। दूसरा होता है “industrial iodine”  ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल कर पूरे देश को बेच रही हैं। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरियां हम लोगों को आ रही है। यह नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है।

 

आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है, जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अम्लता बढ़ने से ये सब 48 रोग आते है। यह नमक पानी में कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है।

 

यह नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते हैं लेकिन बीमारियां जरूर साथ मे मिल जाती हैं। रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और ऑक्सीजन जाने मे परेशानी होती है। जोड़ों का दर्द और गठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है। 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।

 

डॉ देवेश बताते हैं कि पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है, जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।