विश्व ऑर्थराइटिस दिवस पर हेल्थ सिटी हॉस्पिटल में ऑर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊ आयोजित कर रहा कई कार्यक्रम
लखनऊ। गठिया आज की तारीख में लाइलाज बीमारी है, चूंकि इसका कोई इलाज अब तक नहीं खोजा जा सका है इसीलिए चिकित्सक अपने-अपने हिसाब से अलग-अलग पैथी में इसके ठीक होने के दावे करते हैं। इसलिए आवश्यक यह है कि बिना साइंटिफिक तरीके से हुए इलाज के चक्कर में न पड़ें। क्योंकि देखा यही गया है कि अंत में घुटना प्रत्यारोपण ही कराने की स्थिति आती है। यह तो हुई ऑस्टियो ऑर्थराइटिस यानी गठिया की बात लेकिन अगर कुछ ऐसा किया जाये कि यह बीमारी होए ही नहीं तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है। तो इसके लिए लोगों को अपनी दिनचर्या को नियमित करना होगा। वरना जो स्थितियां हैं उनमें 2025 तक लगभग 7 मिलियन लोग भारत में ऑस्टियो ऑर्थराइटिस से प्रभावित हो सकते हैं और यह इस बात का संकेत है की भारत दुनिया में इस बीमारी का कैपिटल बन सकता है।
यह बात वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ संदीप कपूर और डॉ संदीप गर्ग ने आज यहां गोमती नगर स्थित होटल हयात में विश्व ऑर्थराइटिस डे के अवसर पर हेल्थ सिटी हॉस्पिटल में 12 अक्टूबर को आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजित एक प्रेस वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि यह रोग पतले-दुबले लोगों को नहीं होता है ज्यादातर ज्यादा वजन वाले लोगों को ही यह रोग होता है। विशेषज्ञद्वय ने बताया कि आज आपाधापी वाली जिन्दगी में व्यक्ति मशीन बनकर रह गया है, इसी वजह से उसकी दिनचर्या भी बहुत प्रभावित हुई है। न खाने का नियत समय है न सोने का। यही वजह है कि ऑस्टियो ऑर्थराइटिस बीमारी भारत में महामारी की तरह फैल रही है। चूंकि इस बीमारी के वृहद होने पर उपचार के नाम पर घुटना प्रत्यारोपण ही होता है जो कि काफी खर्चीला है इसलिए इस उपचार का बोझ लोगों पर कम करने की दिशा में कार्य करने के लिए ऑर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊ नामक संस्था की स्थापना हम लोगों ने 2010 में की थी। इस फाउंडेशन के तहत हम लोग विश्व ऑर्थराइटिस दिवस के मौके पर पूरे सप्ताह तक रोगियों को फ्री में देख्ते हैं, तथा दो कमजोर आर्थिक स्थिति वाले लोगों का घुटना प्रत्यारोपण भी फ्री करते हैं।
उन्होंने बताया कि इस फाउंडेशन के बैनर तले हम लोग पिछले दो सालों से विश्व ऑर्थराइटिस दिवस मनाया जा ऱहा है। इसी क्रम में कल सुबह साढ़े छह बजे गोमती नगर में हेल्थ सिटी अस्पताल के पीछे मछली पार्क में ऑस्टियो ऑर्थराइटिस के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, इनमें साइकिलोथॉन, योगा और वॉक शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि अगर सिर्फ लखनऊ की ही बात करें तो यहां लगभग 5 लाख लोग 60 वर्ष के ऊपर वाले हैं। इनमें 70 फीसदी लोगों को ऑर्थराइटिस की शिकायत है जबकि इनमें से 25 प्रतिशत लोगों को सर्जरी की आवश्यकता है।
डॉ कपूर ने बताया कि ऑस्टियो ऑर्थराइटिस भारतीयों में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला ऑर्थराइटिस है। भारत में करीब 15 मिलियन लोग ऑस्टियो ऑर्थराइटिस से पीड़ित हैं। विशेषकर महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित रहती हैं। डॉ गर्ग ने बताया कि भारत में लगभग भारत में लगभग 15 मिलियन लोग ऑस्टियो आर्थराइटिस से प्रभावित हैं। उन्होने बताया कि विशेष तौर से महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित रहती हैं। ऐसा पाया गया है कि 65 वर्ष की आयु से ऊपर की 45% महिलाओं में इसके लक्षण देखने को मिलते हैं और जांच करने पर पता चला कि लगभग 70% महिलाएं जो कि 65 वर्ष से ऊपर आयु की हैं उनमें ऑस्टियो आर्थराइटिस के लक्षण हैं।
डॉ गर्ग ने बताया कि जोड़ों की समस्या बढ़ने का एक कारण औसत आयु का बढ़ना भी है। जोड़ों के दर्द या अन्य लक्षणों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और हर व्यक्ति को यह देखना चाहिए कि वह जोड़ों के दर्द को नजरअंदाज न करें। कुल मिलाकर यदि ‘जॉइंट्स हेल्दी’ रहेंगे तो शरीर भी हेल्दी रहेगा।
डॉ कपूर ने बताया कि सुबह होने वाली साइकिलथॉन गोमती नगर स्थित हेल्थ सिटी ट्रॉमासेंटर एंड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल 6.30 बजे शुरू होगी। कार्यक्रम में योग अभ्यास का भी आयोजन किया गया है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से महापौर और जिलाधिकारी सहित शहर के गणमान्य लोग, डाक्टर व प्रबुद्ध लोग शामिल होंगे। इनमें बुजुर्गों के साथ साथ युवा भी प्रतिभाग करेंगे।
ऑस्टियो आर्थराइटिस के कारक-
- मोटापा,2.उम्र 3. गम्भीर चोट 4. जमीन पर बैठनेकी आदत 5. धूम्रपान व शराब का सेवन 6. सीढ़ियों का अत्यधिक इस्तेमाल 7. भारतीय प्रसाधन।
ऑस्टियो आर्थराइटिस से बचाव –
- सही/संतुलितवजन 2. सीढ़ियों का जरूरत पर इस्तेमाल 3. शराब व धूम्रपान न करना 4. जमीन पर न बैठना