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गठिया, घुटने, कमर, गर्दन के दर्द से पीडि़तों के लिए वरदान साबित हो रही है प्लाज्मा थेरेपी

-एक सप्ताह में दिखने लगता है परिणाम, एक माह में पूरा हो जाता है उपचार,  एसजीपीजीआई में उपलब्ध है यह सुविधा

-संजय गांधी पीजीआई में एनेस्थीसियोलॉजिस्ट्स का दो दिवसीय सम्मेलन ISPCCON 2025 प्रारम्भ

सेहत टाइम्स

लखनऊ। एनेस्थीसियोलॉजी विभाग, एसजीपीजीआईएमएस, लखनऊ और इंडियन सोसाइटी ऑफ पेन क्लिनिशियंस की लखनऊ शाखा द्वारा ISPCCON 2025 के पहले दिन “डीनर्वेशन टू रेजेनरेशन” थीम पर केंद्रित इस सम्मेलन के उद्घाटन के बाद दर्द प्रबंधन, रेजेनरेटिव थेरपी, और न्यूनतम इनवेसिव स्पाइन केयर में हुई प्रगति पर चर्चा की गई।

आयोजन सचिव डॉ संदीप खुबा ने बताया कि वैज्ञानिक सत्रों में लाइव प्रदर्शन और प्लेटलेट रिच प्लाज्मा थेरेपी, रेजेनरेटिव मेडिसिन, उन्नत डीनर्वेशन तकनीकों, ट्रिजेमिनल इंटरवेंशन्स और अल्ट्रासाउंड-गाइडेड प्रक्रियाओं पर व्याख्यान शामिल थे। उन्होंने बताया कि पीआरपी थेरेपी से उपचार शुरू करने के एक सप्ताह बाद से असर दिखने लगता है, और एक माह में उपचार पूरा हो जाता है। यह सुविधा एसजीपीजीआई में उपलब्ध है।

आईएमएस बीएचयू वाराणसी से आयीं डॉ निमिषा वर्मा ने अपने प्रेजेन्टेशन में रीजेनरेटिव मेडिसिन से सफल उपचार के बारे बताया कि गठिया, घुटने, कमर आदि के दर्द के उपचार में प्लाज्मा थैरेपी कारगर सिद्ध हो रही है, उन्होंने बताया कि इस नयी थैरेपी में नस को काटने की जरूरत नहीं पड़ती है, बल्कि नस को रिपेयर कर दिया जाता है, जिससे दर्द दूर हो जाता है। इस बारे में डॉ निमिषा ने ‘सेहत टाइम्स’ को बताया कि घुटने, कमर आदि में घिसाव, चोट आदि के चलते दर्द हो जाता है, जो कि नसों से होकर गुजरता है, इस दर्द को ठीक करने के लिए पहले नस को काट कर ब्लॉक कर दिया जाता था, लेकिन अब नयी प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) थैरेपी से उपचार में शरीर से ही प्लाज्मा निकालकर उसमें मोडीफिकेशन करके उसे दर्द वाली जगह पर डाल दिया जाता है, इससे नस रिपेयर हो जाती है, और दर्द ठीक हो जाता है।

उन्होंने बताया कि गठिया, कंधे का दर्द, कमर से पैरों में जाने वाला दर्द जैसे पेन में प्लाज्मा मेडिसिन से उपचार में सफलता मिल रही है। उन्होंने अपने प्रेजेन्टेशन में बताया कि इस थैरेपी के बारे में लिटरेचर में क्या लिखा है, और अब जिस प्रकार से प्रक्रिया हो रही है, वह सही दिशा में है, और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने एवीेडेंस बेस्ड एप्लीकेशंस के बारे में स्पष्ट करते हुए बताया कि क्लीनिकल एक्सपीरियेंस, मरीज की प्राथमिकता और इस बारे में किये गये शोध में एकरूपता पायी गयी है, साथ ही मरीजों ने जो फीड बैक दिया है, इन सबसे प्लाज्मा थैरेपी से उपचार की सफलता सिद्ध हो रही है। इसके अतिरिक्त पीआरपी थेरेपी से एड़ी के दर्द के उपचार पर भी व्याख्यान दिया गया।

इससे पूर्व सम्पन्न उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि प्रो. पी. के. सिंह, पूर्व निदेशक पटना (एम्स, पटना) और पूर्व कुलपति यूपी रूरल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़, सैफई, और विशिष्ट अतिथि प्रो. शालीन कुमार, डीन एसजीपीजीआई लखनऊ ने भाग लिया।

प्रो. पी. के. सिंह ने एसजीपीजीआई में दर्द चिकित्सा के विकास पर प्रकाश डाला और पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल अग्रवाल की भूमिका की सराहना की। प्रो. शालीन कुमार ने पेन मेडिसिन यूनिट की कठिन दर्द स्थितियों के प्रबंधन और कैंसर रोगियों को सहानुभूतिपूर्ण देखभाल प्रदान करने के लिए प्रशंसा की।

आईएसपीसी अध्यक्ष डॉ. सुजीत गौतम ने दर्द चिकित्सा में मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों और संरचित प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल दिया, जबकि आईएसपीसी सचिव डॉ. अजीत कुमार ने डीएम पेन मेडिसिन कार्यक्रम शुरू करने के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रो. वीरेंद्र रस्तोगी ने “पेन मेडिसिन इन इंडिया – पास्ट, प्रेजेंट एंड फ्यूचर” पर प्रो. अनिल अग्रवाल ओरेशन दिया।

रविवार 16 नवम्बर को आईएसपीसीसीओएन 2025 का दूसरा दिन प्रोलोथेरेपी, हाइब्रिड डीनर्वेशन तकनीकों, रेजेनरेटिव इंटरवेंशन्स, और उन्नत न्यूनतम इनवेसिव स्पाइन तकनीकों पर केंद्रित होगा।

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