-पीसीओएस होने का एक बड़ा कारण है किसी न किसी बात से मन को चोट पहुंचना
-आयुष मंत्रालय की मदद से हुए शोध में सिद्ध हो चुका है सफल होम्योपैथिक उपचार
पिछले समाचार बढ़ते पीसीओएस का एक बड़ा कारण है लड़कियों का लड़का ‘बनना’ से आगे

धर्मेन्द्र सक्सेना/सेहत टाइम्स
लखनऊ। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (polycystic ovary syndrome) पीसीओएस जागरूकता माह (सितम्बर) में इस बीमारी के प्रति जागरूकता को लेकर ‘सेहत टाइम्स’ के साथ विशेष वार्ता करते हुए गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) के चीफ कन्सल्टेंट वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता बताते हैं कि पीसीओएस होने के कारणों में एक बड़ा कारण मन:स्थिति है।
प्रत्येक केस में उस मरीज विशेष के लिए सर्वाधिक अनुकूल दवा का चुनाव करने के लिए शारीरिक ओर मन:स्थिति की हिस्ट्री लेते समय मन को प्रभावित करने वाली विभिन्न प्रकार की घटनाओं के बारे में मरीज जानकारी देता है, इन्हीं में एक खास बात यह पता चली कि बहुत बार हम देखते हैं कि फलां व्यक्ति पर बड़ी-बड़ी घटनाओं का असर नहीं होता है, न वह रोता है, न ही किसी के साथ अपना दुख बांटता है, यूं लगता है कि उसे उस घटना का कोई अफसोस नहीं है, लेकिन सच तो यह है कि दु:ख का अहसास उसे भी होता है, लेकिन चाहे परिस्थितियोंवश या दूसरों के सामने दु:ख व्यक्त न करने के अपने स्वभाव के चलते वह अपनी फीलिंग उजागर नहीं करता है, और वह अपने आंसू आंखों से बाहर नहीं आने देता है, इसका असर यह होता है कि उस दु:ख की फीलिंग जो आंसू बनकर आंख के रास्ते शरीर से बाहर निकल सकती थी, नहीं निकल पाती है, परिणामस्वरूप यह फीलिंग शरीर के दूसरे अंगों पर असर डालती है। इसीलिए कहा गया है कि when your eyes do not weep then internal organ will weep यानी जब आपकी आंखें नहीं रोएंगी तो आंतरिक अंग रोएंगे। पीसीओएस बीमारी में यह बात लागू होती है। अत्यधिक चिंता, डिप्रेशन, झगड़ा, प्रताड़ना, वित्तीय हानि, प्यार-मोहब्बत में धोखा, अपमान, इच्छाओं की पूर्ति न होना जैसे कारणों से हार्मोन्स अनियंत्रित हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में इस बीमारी की स्थिति पैदा हो जाती है।

डॉ गुप्ता बताते हैं कि मेडिकल की पढ़ाई के दौरान से ही शोध उनका पसंदीदा विषय रहा है, पीसीओएस पर एक शोध के बारे में जानकारी देते हुए डॉ गिरीश गुप्ता ने बताया कि यह शोध कार्य वर्ष 2015 से 2017 तक आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्राप्त वित्ती्य सहायता से किया गया। इस शोध परियोजना का उद्घाटन जून 2015 में लखनऊ के तत्कालीन महापौर व पूर्व उप मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार डॉ० दिनेश शर्मा, तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन द्वारा पूर्व महापौर डॉ०एस०सी० राय की उपस्थिति में गौरांग क्लीनिक एवं होम्योपैथिक अनुसंधान केंद्र के परिसर में किया गया था।
यह शोध पीसीओएस से पीड़ित 34 महिलाओं (23 अविवाहित तथा 11 विवाहित) पर 2 वर्ष की अवधि में किया गया जिसके परिणाम अत्यंत उत्साहवर्धक रहे। इन 34 महिलाओं में से 16 में आशातीत लाभ प्राप्त हुआ, 12 में यथास्थिति बनी रही तथा 6 में कोई लाभ नहीं हुआ। इस शोध का प्रकाशन इंडियन जर्नल ऑफ रिसर्च इन होम्योपैथी”(IJRH) के जनवरी-मार्च 2021 अंक में हुआ है। यह साक्ष्य आधारित शोध “महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) का होम्योपैथिक इलाज : एक संभावित अवलोकनात्मक अध्ययन” नामक शीर्षक से प्रकाशित किया गया है।
होम्योपैथी में समग्र दृष्टिकोण (holistic approach) से यानी शरीर और मन दोनों को एक मानते हुए लक्षणों के हिसाब से दवाओं का चुनाव किया जाता है जो साइको न्यूरो हार्मोनल एक्सिस पर कार्य करते हुए ओवरी को स्वस्थ कर देता है, इसके साथ ही जो महिलायें योग व व्यायाम द्वारा इन सभी कारकों को नियंत्रित कर लेती हैं तथा अपना वजन घटा लेती हैं उनका पीसीओएस ठीक हो जाता है। उनकी ओवरी में वापस अंडे बनना शुरू हो जाते हैं तथा गर्भधारण का मार्ग प्रशस्त हो जाता है, इसलिये महिलाओं को अपनी दिनचर्या को सही रखना चाहिए, खेल में भाग लेना चाहिये और योग व व्यायाम करना चाहिये। कोल्डड्रिंक, फास्ट फूड एवं जंक फूड से बचना चाहिए एवं हरी पत्तेदार सब्जियों तथा फलों का सेवन अधिक करना चाहिये।


