·अस्पताली कचरे का बेहतर प्रबंधन कर हरियाली देते हुए कर रहा कमाई भी
लखनऊ. सामान्यतः अस्पतालों से निकलने वाला कचरा वातावरण को दूषित करने की एक बड़ी वजह होती है, इसका कारण बहुत साफ़ है कि अस्पताल में आने वाले मरीजों के इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं से विभिन्न प्रकार की बीमारियों के कीटाणुग्रस्त होकर निकला कूड़ा कितना नुकसान कर सकता है इसे समझना बहुत मुश्किल नहीं है लेकिन इसके बावजूद किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी का पर्यावरण विभाग कूड़े को ठिकाने लगाकर ‘आम के आम गुठलियों के दाम’ वाली कहावत चरितार्थ कर रहा है यह दूसरे संस्थानों के लिए प्रेरणादायक हो सकता है.
विभाग के इस कार्य की तारीफ आज विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर केजीएमयू के सेल्बी हॉल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लखनऊ के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा भी किये बिना नहीं रह सके. जिलाधिकारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि केजीएमयू के एनवायरमेंट विभाग द्वारा बहुत अच्छा कचरा प्रबंधन किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से निकलने वाले संक्रमित कचरे को विभाग द्वारा बहुत अच्छे तरीके से आटो क्लेव कर के उसका निस्तारण किया जाता है। वर्मी कंपोस्ट से बनने वाली खाद फसलों के लिए बहुत लाभदायक तथा पर्यावरण का हितैषी होती है। संस्थान से निकले हुए कचरे को वर्मी कम्पोस्ट के रूप में परिवर्तित किया जा रहा जिससे यहां पर पौधरोपण की जरूरतों को पूरा किया जाता है। चूँकि चिकित्सा विश्वविद्यालय एक प्रोफेशनल संस्थान है इसी प्रकार यहा प्रोफेशनल तरीके से कचरे का प्रबंधन किया जाता है। संस्थान का सारा का सारा कचरा संस्थान के अंदर ही हाईजिन का खयाल रखते हुए कम्पोस्ट के रूप में बदला जा रहा है जो कि काबिले तारीफ है। संस्थान द्वारा कचरा प्रबंधन पर जितना खर्च किया जा रहा है, संस्थान उसको पुनः उसी कचरे से कम्पोस्ट खाद बनाकर एवं अन्य माध्यमों से वापस भी पा रहा है। श्री शर्मा ने डॉ. परवेज का नाम लेते हुए कहा कि डॉ. परवेज द्वारा लोगों के घरो से दान लिए गये वेस्ट के माध्यम से रेवेन्यू पैदा किया जा रहा है जिसका उपयोग मरीजों के उपचार मे किया जाता है यह एक बहुत ही अच्छी शुरुआत है। चिकित्सा विश्वविद्यालय 100 वर्षो से ज्यादा पुराना संस्थान है अगर यहां पर ग्रीन बेल्ट थोड़ा और बढ़ जाएं तो इसकी खूबसूरती मे चार चांद लग जाएंगे। मेरी आप सब लोगों से अपील है कि आप लोग आज के दिन स्थान देखकर दो पेड़ लगाए। हमारे यहां विभिन्न प्रकार के कार्य करने के लिए विभिन्न प्रकार के विभाग है किन्तु विदेशों में ऐसा नही है। विदेशो में जो लोग रोड बनाते है वही उस रोड की हरियाली का भी खयाल रखते है। हमें रोड के किनारे दोनो तरफ पौधरोपण करना चाहिए।
कार्यक्रम में कुलपति प्रो0 मदनलाल ब्रह्म भट्ट ने कहा कि चिकित्सा विश्वविद्यालय परिसर में सफाई और बायोमेडिकल वेस्ट में बहुत ही सार्थक कार्य किया जा रहा है। चिकित्सा विश्वविद्यालय में वर्ष 2009 में पर्यावरण इकाई की शुरूआत की गई जो अब विभाग बन गया है। इस विभाग के द्वारा किए जा रहे कार्यो की वजह से चिकित्सा विश्वविद्यालय बहुत ही साफ-सुथरा हो गया है। इसके लिए यूनिवर्सिटी एनवायरमेंट डिपार्टमेंट और हार्टीकल्चर इकाई बधाई के पात्र हैं। आज विश्व में मानव की औसत आयु 70 से 75 वर्ष है भारत में भी औसत आयु वर्तमान समय में 70 वर्ष हो गई है ये केवल दो चीजों पर निर्भर है और वो है स्वच्छता और खाद्य पदार्थो की उपलब्धता। पहले गंदगी की वजह से विभिन्न प्रकार की महामारियों का प्रकोप होता था जिसकी वजह से मानव असमय काल के गाल में समा जाता था। सन् 1910 में भारत की औसत आयु मात्र 26 वर्ष थी जो आज बढ़ कर 70 वर्ष हो गई है। हमे एक आदत डालनी पड़ेगी की जहां भी हमे रास्ते में कूड़ा मिले उसे उठाकर सही जगह डाल दे और ऐसा करने के लिए हमे दूसरों को भी प्रेरित करना होगा। आज के समय में प्लास्टिक प्रदूषण स्वच्छता के लिए अभिशाप बन गया है। हम सब को मिलकर प्लास्टिक को ना कहना होगा।
कार्यक्रम में अचार्य नरेंद्र देव विश्वविद्यालय फैजाबाद की प्रो0 कुमुद सिंह द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि पहला सुख निरोगी काया दूसरा सुख धर्म और माया है। किन्तु हम आज शारीरिक रूप से सुखी नही रह गये है इसका सबसे बड़ कारण हमारा खराब पर्यावरण है। मानव ने वर्तमान समय में अपना पूरा का पूरा इकोसिस्टम को ब्रेक कर दिया है, पेड़ों को काट डाला है, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है। आज विश्व में 1 मिनट में 1 मिलियन प्लास्टिक की पानी की बोतल खरीदी जा रही है। बहुत से घरो में इसका पुनः इस्तेमाल भी किया जाता है किन्तु प्लास्टिक की बोतल का दोबारा प्रयोग नही करना चाहिए। इनसे विभिन्न प्रकार के रोग के पैदा होने का खतरा रहता है। आप सब को अपने आस पास पौध रोपण करना चाहिए। पौधों से एक साकारात्मक ऊर्जा निकलती है। आप सभी लोग यह प्रतिज्ञा करें की रोड पर कचरा फेकने वालों को हम प्यार से समझाएंगे और अपने समाज को स्वच्छ तथा सुंदर बनाएंगे।
कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी एनवायरमेंट डिपार्टमेंट की विभागध्यक्ष प्रो0 कीर्ति श्रीवास्तव ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस का भारत विश्वस्तरीय मेजबान है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के यू आई डी विभाग द्वारा संस्थान में पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न कार्यो किया जा रहा है। चिकित्सा विश्वविद्यालय में बिजली की आपूर्ति के लिए 400 किलो वाट का सोलर प्लांट लगया गया है जिससे जनरेटर से निकले वाले धुएं को कम किया गया एवं बिजली के बिल में भी कमी हो गई है। सोलर पैराबोलम का इस्तेमाल स्टीम बनाने और खाना बनाने में किया जा रहा है। संस्थान में एल0ई0डी0 बल्ब लगाए जा रहे है जिससे ऊर्जा की बचत की जा सके। विभाग में कम्पोस्ट मशीन को लगाया गया है। विभाग द्वारा संस्थान में पेस्ट कंट्रोल ऑफ़ इंडिया के माध्यम से पेस्ट कंट्रोल का कार्य किया जा रहा है, संस्थान के सभी कर्मचारियों को हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण कराया जा चुका है। संस्थान में पौध रोपण किया जा रहा है एवं हर्बल गार्डेन को विकसित किया जा रहा है. कुलपति द्वारा टी0जी0 हॉस्टल में किआर्स मशीन का कल उद्घाटन किया गया जिसमें सूखे कूड़े को एकत्रित किया जायेगा। विभाग द्वारा विभिन्न स्कूलों में विद्यार्थियों को कूड़ा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
कार्यक्रम में डॉ. डी हिमांशु द्वारा विद्यार्थियों के लिए वेस्ट मैनेजमेंट और स्वच्छता के संदर्भ में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। डॉ. हिमांशु ने बताया कि हम साफ-सफाई और स्वच्छता को अपना कर विभिन्न प्रकार के महामरियों से बच सकते हैं। उन्होनें कहा कि मादा एनाफिलीज नामक मच्छर जिससे डेंगी की बीमारी होती है वो अपने अण्डे कुड़े के ढेर पर दे देती है और जरा से भी पानी मिल जाने पर उनके अण्डे लारवा में तब्दील होने लगते है। सबसे ज्यादा डेंगू के मच्छर घरो के अंदर ही पाये जाते हैं इस प्रकार हमे उचित साफ-सफाई और हाइजीन का ध्यान रखना चाहिए।
कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रो0 एस0पी0 जैसवार,चिकित्सा अधीक्षक, क्वीन मैरी अस्पताल, केजीएमयू के स्वागत सम्बोधन से हुआ। इस अवसर पर यूआईडी विभाग में एक कम्पोस्ट मशीन का उद्घाटन भी जिलाधिकरी कौशल राज शर्मा एवं कुलपति प्रो0 एम0एल0बी0 भट्ट द्वारा किया गया तथा कुलपति कार्यालय के लॉन में वृक्षारोपण किया गया।