-फैकल्टी सदस्य, सीनियर-जूनियर रेज़िडेंट्स तथा नर्सिंग स्टाफ के लिए फार्माकोविजिलेंस प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित
सेहत टाइम्स
लखनऊ। सुरक्षित और साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने तथा रोगी-केंद्रित देखभाल सुनिश्चित करने के अपने मिशन के अनुरूप, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस), लखनऊ द्वारा प्रतिकूल औषधि प्रतिक्रिया (एडीआर) निगरानी और मानक सावधानियों पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए आज 19 जुलाई को एक स्थल-आधारित प्रशिक्षण सत्र नवजात शिशु वार्ड (प्रथम तल, पीएमएसएसवाई भवन) में आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण का आयोजन भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा वर्ष 2010 में प्रारंभ किए गए फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम (PVPI) के तहत किया गया।
ज्ञात हो फार्माकोविजिलेंस दवाओं के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है।इसके तहत दवाओं के उपयोग के बाद उनकी सुरक्षा की निगरानी करने और प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं (ADRs) की पहचान करने, उनका आकलन करने, समझने और रोकथाम करना सुनिश्चित किया जाता है।
संस्थान के मीडिया सेल द्वारा जारी विज्ञप्ति में प्रशिक्षण सत्र के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया है कि यह पहल संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस) के अस्पताल प्रशासन विभाग के अंतर्गत कार्यरत हॉस्पिटल इंफेक्शन कंट्रोल सेल (HICC) एवं एडीआर मॉनिटरिंग सेल (ADR) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई। एसजीपीजीआई ने वर्ष 2015 में अपनी फार्माकोविजिलेंस समिति की स्थापना की थी।
इस सत्र का उद्देश्य बहु-विषयी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के समूह, जिसमें फैकल्टी सदस्य, सीनियर रेज़िडेंट्स, जूनियर रेज़िडेंट्स तथा नर्सिंग स्टाफ शामिल थे, को फार्माकोविजिलेंस के महत्व, एडीआर की व्यवस्थित रिपोर्टिंग एवं मानक सावधानियों के बारे में प्रशिक्षित करना और उन्हें संवेदनशील बनाना था।

इस प्रशिक्षण में एडीआर (प्रतिकूल औषधि प्रतिक्रिया) की समय पर, पूर्ण और सटीक प्रलेखन (डॉक्यूमेंटेशन) के महत्व तथा PvPI द्वारा अनुशंसित एडीआर रिपोर्टिंग फॉर्म और मोबाइल एप्लिकेशन के सही उपयोग पर विशेष जोर दिया गया। इसके अतिरिक्त मानक सावधानियाँ, जैसे कि हाथों की स्वच्छता, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) का उपयोग और श्वसन शिष्टाचार के बारे में जानकारी दी गयी।
इसके अतिरिक्त व्यावहारिक समझ और तत्परता बढ़ाने के लिए वास्तविक मामलों (रीयल-वर्ल्ड केस) पर आधारित चर्चाएँ, और विषय विशेषज्ञों द्वारा जानकारीपूर्ण और रोचक प्रस्तुतियाँ दी गईं। ऑडियो-विजुअल आधारित इंटरएक्टिव सत्र में डॉ. शालिनी त्रिवेदी, सीनियर रेज़िडेंट ने “मानक सावधानियाँ”- डॉ. अनमोल जैन, सीनियर रेज़िडेंट, ने “हमें फार्माकोविजिलेंस की आवश्यकता क्यों है?” तथा पीजी छात्रा डॉ. वैष्णवी आनंद, डॉ. अक्षिता बंसल, डॉ. बीना कुमारी, डॉ. अंकिता सेंगर ने “पूर्व-मूल्यांकन प्रश्नावली, उपस्थिति, फीडबैक फॉर्म एवं फ़ोटोग्राफ़” तथा अंकित कुमार ने “एडीआर रिपोर्टिंग के उपकरण” विषय पर प्रस्तुति दी। सत्र के दौरान प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से चर्चा में भाग लिया, प्रश्न पूछे तथा औषधि सुरक्षा से संबंधित घटनाओं के अपने अनुभव साझा किए। प्रशिक्षकों ने संस्थान के सभी विभागों में पारदर्शिता, जवाबदेही और सक्रिय रिपोर्टिंग की संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रोफेसर (डॉ.) आर. हर्षवर्धन ने अपने संबोधन में संस्थान की इस प्रतिबद्धता को दोहराया कि फार्माकोविजिलेंस को सुदृढ़ करने के लिए संरचित प्रशिक्षण और संस्थागत सहयोग के माध्यम से पेशेवर प्रशिक्षण एवं रोगी सुरक्षा को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि समय पर और सटीक एडीआर रिपोर्टिंग तथा मानक सावधानियों का पालन न केवल एक नैदानिक दायित्व है, बल्कि यह एक नैतिक कर्तव्य भी है। यह न केवल एक पेशेवर ज़िम्मेदारी है, बल्कि रोगी कल्याण सुनिश्चित करने और उपचारात्मक परिणामों में सुधार लाने के लिए एक नैतिक उत्तरदायित्व भी है। यह सत्र एडीआर मॉनिटरिंग सेल और हॉस्पिटल इंफेक्शन कंट्रोल सेल द्वारा संचालित निरंतर क्षमता-विकास पहलों की शृंखला में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण सत्र संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर (डॉ.) आर. के. धीमन के नेतृत्व, मार्गदर्शन एवं समर्थन में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम को प्रोफेसर देवेंद्र गुप्ता, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस), एसजीपीजीआईएमएस तथा प्रोफेसर (डॉ.) आर. हर्षवर्धन, चिकित्सा अधीक्षक, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, अस्पताल प्रशासन विभाग, एडीआर मॉनिटरिंग सेल के कार्यक्रम समन्वयक एवं हॉस्पिटल इंफेक्शन कंट्रोल सेल के सदस्य सचिव, एसजीपीजीआईएमएस द्वारा भी सक्रिय रूप से समर्थन प्रदान किया गया।

