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लम्बे समय तक बनी रहने वाली छोटी-छोटी वजहें बन जाती हैं स्पाइन की गंभीर समस्या

-कोई विकल्प न होने पर ही की जाती है सर्जरी, एडवांस तरीके से की गयी सर्जरी के बाद अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ की गयी सर्जरी देती है गुणवत्तापूर्ण जीवन

-हेल्थ सिटी विस्तार सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी एंड स्पाइन हेड डॉ हिमांशु कृष्णा से ‘सेहत टाइम्स’ की विशेष वार्ता

सेहत टाइम्स

लखनऊ। पीठ दर्द आजकल एक आम समस्या बन चुकी है, जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। यह दर्द हल्का, तेज या फिर लगातार बना रह सकता है। रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर की मुख्य संरचना है, जो हमें खड़ा रहने, झुकने और चलने में सहायता करती है। जब रीढ़ की हड्डी में गंभीर समस्याएं जैसे स्लिप डिस्क, स्पाइनल स्टेनोसिस, डिस्क डीजेनेरेशन, या नसों पर दबाव आदि होता है, और दवाओं या फिजियोथेरेपी से राहत नहीं मिलती है तो डॉक्टर स्पाइन सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। अगर आपरेशन की सलाह दी जाती है तो इसमें घबराने की जरूरत नहीं है, स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में तमाम आमूल-चूल बदलाव हुए हैं और अब अत्याधुनिक उपकरणों और सुविधाओं की मदद से सर्जरी का मतलब ठीक होने की गारंटी भी माना जाता है।

यह कहना है हेल्थ सिटी विस्तार सुपर स्पशियलिटी हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी एंड स्पाइन विभाग के हेड चीफ कन्सल्टेंट डॉ हिमांशु कृष्णा का। ‘सेहत टाइम्स’ के साथ एक विशेष वार्ता में उन्होंने बताया कि पीठ दर्द और रीढ़ में परेशानी अब आम हो गयी है। खासतौर पर महिलाओं को इन परेशानियों से ज्यादा रूबरू होना पड़ता है, इसकी मुख्य वजह उनकी दिनचर्या है। सुबह से लेकर शाम तक महिलाओं का ज्यादा समय किचन में ही वह भी खड़े रहकर ही बीतता है, जिसकी वजह से पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को रीढ़ और पीठ में दर्द की समस्या अधिक रहती है। पीठ दर्द के कई कारण हो सकते हैं जैसे गलत मुद्रा (पोश्चर), भारी सामान उठाना, लंबे समय तक बैठना, कमजोर मांसपेशियों, तनाव या फिर रीढ़ की हड्डी से संबंधित कोई समस्या का होना मुख्य कारण है। इसकी कुछ अन्य प्रमुख वजहों में अत्यधिक मोबाइल या कंप्यूटर का उपयोग करने, मांसपेशियों में खिंचाव आने और गठिया, स्लिप डिस्क जैसी चिकित्सीय स्थितियाँ होना शामिल है। इसके अतिरिक्त खराब गुणवत्ता वाली कुर्सी, कंप्यूटर या कीबोर्ड की स्थिति, पेट की कमजोर मांसपेशियां भी आपकी रीढ़ की मुद्रा को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे आपको रीढ़ की हड्डी के साथ ही गर्दन में दर्द हो सकता है।

डॉ हिमांशु ने बताया दरअसल गर्दन या सर्वाइकल स्पाइन जोड़ों, हड्डियों, मांसपेशियों और तत्रिकाओं का एक जटिल नेटवर्क है। आपकी गर्दन में, सर्वाइकल डिस्क ग्रीवा हड्डियों या कशेरुकाओं (Vertebra) को क्षति पहुँचाने वाली ताकत की तीव्रता को कम करती है। चूँकि गर्दन सिर को सहारा देती है और अन्य कार्य करने में मदद करती है, इसीलिए गर्दन का दर्द परेशानी का कारण बन सकता है। लापरवाही के कारण कई बार तनाव की वजह से भी मांसपेशियों पर असर होता है जिससे गर्दन के ऑपरेशन की भी नौबत आ सकती है।

उन्होंने बताया कि लगातार और तीव्र पीठ या गर्दन में दर्द होने, नसों में दबाव के कारण हाथ-पैर में कमजोरी या सुन्नपन आने, स्लिप डिस्क या हर्निएटेड डिस्क में दिक्कत आने, रीढ़ की हड्डी में चोट लगने या फ्रैक्चर होने, चलने-फिरने में कठिनाई होने पर स्पाइन सर्जरी कराना अनिवार्य हो जाता है। उन्होंने बताया कि स्पाइन सर्जरी के चार प्रकार की होती है। स्लिप डिस्क के इलाज के लिए माइक्रोडिस्केक्टॉमी, नसों पर से दबाव हटाने के लिए लैमिनेक्टॉमी, दो या अधिक कशेरुकाओं को स्थिर करने के लिए स्पाइनल फ्यूजन और कम चीरा और कम रिकवरी टाइम वाली मिनिमली इनवेसिव सर्जरी आधुनिक तकनीक से की जाती है। नए जमाने की तकनीकों से मरीज जल्दी ठीक होता है और अस्पताल में कम समय बिताना पड़ता है।

अन्य सर्जरी की भांति ही जोखिम हैं स्पाइन सर्जरी में भी

डॉ हिमांशु बताते हैं कि स्पाइन सर्जरी को लेकर लोगों में काफी डर बैठा रहता है, लेकिन इसमें डरने की कोई बात नहीं है, जिस प्रकार कोई भी सर्जरी आप कराते हैं तो उसमें कुछ न कुछ जोखिम होता है, उसी प्रकार स्पाइन सर्जरी के भी कुछ जोखिम हो सकते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि सर्जरी से पहले विशेषज्ञ डॉक्टर से पूरी सलाह ली जाए और सभी विकल्पों को समझा जाए।

उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद लंबे समय से चले आ रहे पीठ या गर्दन के दर्द से मुक्ति मिलती है, साथ ही मूवमेंट बेहतर हो जाता है और चलने-फिरने, झुकने और काम करने में आसानी होती है। न्यूरोलॉजिकल सुधार की वजह से नसों के दबाव से जो कमजोरी या सुन्नपन होता है, उसमें सुधार आता है। इस तरह से जीवन की गुणवत्ता में सुधार होने से मरीज पहले की तरह सामान्य जीवन जी सकता है।

दर्द में इस तरह पा सकते हैं आराम

गर्म या ठंडी सिंकाई बर्फ या गर्म पानी की बोतल से सेक करने पर सूजन और दर्द में राहत मिलती है। हल्की स्ट्रेचिंग और योग भुजंगासन, मार्जरी आसन और बालासन जैसे योगासन पीठ दर्द में लाभदायक होते हैं। सही मुद्रा अपनाएँ- बैठते समय पीठ को सीधा रखें और कुर्सी पर कमर को सहारा दें। पर्याप्त नींद लें-शरीर को पूरा आराम देना जरूरी है, ताकि मांसपेशियों ठीक हो सकें। आयुर्वेदिक तेलों से मालिश करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है। डॉक्टर की सलाह से पेन किलर्स, मांसपेशियों को ढीला करने वाली दवाएं और फिजियोथेरेपी ली जा सकती है। यदि पीठ दर्द लम्बे समय तक बना रहे या बहुत ज्यादा तेज हो, तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

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