Wednesday , June 25 2025

कहीं यह कर्मचारी-शिक्षक संगठनों को समाप्त करने की तैयारी तो नहीं ?

-मुख्य सचिव के आदेश के बावजूद संगठन के पदाधिकारियों के सचिवालय पास नहीं बन रहे, न मांगें पूरी हो रहीं, न ही बात हो रही

-मांगों पर यूपी के सभी जनपदों में कर्मचारियों-शिक्षकों ने की भूख हड़ताल, डीएम के माध्यम से भेजा मुख्यमंत्री को ज्ञापन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। राज्य सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध स्वरूप कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर प्रदेश के 75 जनपदों में गांधीवादी नीति के तहत सत्याग्रह करते हुए सभी पदाधिकारियों-कर्मचारियों ने भूख हड़ताल करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया। पदाधिकारियों में इस बात पर जबरदस्त आक्रोश है कि कर्मचारी संगठनों के अध्यक्ष महामंत्री के सचिवालय प्रवेश पत्र भी बनाया जाना बंद हो गया है। ऐेसे में शासन में बैठे अधिकारियों से मिलकर अपनी बात कहने और मांगों पर प्रगति जानने का रास्ता भी बंद हो गया है। आज के आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन लखनऊ में नगर निगम पर एकत्र होकर बी0एन0 सिंह प्रतिमा पर भूख हड़ताल करते हुए पुलिस आयुक्त के माध्यम से सौपा गया।

मोर्चा के महासचिव शशि कुमार मिश्रा एवं संयोजक सतीश कुमार पांडे ने बताया कि इस कार्यक्रम के अध्यक्षता वी पी मिश्र ने की, वे स्वयं भूख हड़ताल पर हैं। बैठक को संबोधित करते हुए मोर्चा के अध्यक्ष वी पी मिश्रा ने बताया कि 8 वर्ष से भाजपा एनडीए सरकार प्रदेश में है, परंतु खेद का विषय है कि मुख्यमंत्री ने एक बार भी कर्मचारियों-शिक्षकों की मांगों पर बैठक नहीं की जिसके कारण महत्वपूर्ण कई मामले लंबित पड़े हैं। मुख्य सचिव स्तर पर भी बैठक 18 नवंबर 2024 को बैठक हुई थी परंतु उसमें लिए गए निर्णय का कार्यवृत्त नहीं जारी किया गया। इस कारण प्रदेश के कर्मचारी-शिक्षक आक्रोशित हैं और आंदोलन करने का दबाव बना रहे हैं। इसी के तहत यह कार्यक्रम किया जा रहा है।

महासचिव शशि कुमार मिश्रा ने कहा कि भावी चुनावों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा तथा सातवें वेतन आयोग और संवर्गों का पुनर्गठन, सेवा नियमावलियां, वेतन विसंगतियां, आउटसोर्स कर्मचारी की सेवा सुरक्षा, न्यूनतम वेतन, रिक्त पदों पर नियुक्तियों में वरीयता, रोडवेज सहित सभी राजकीय निगमों ,विकास प्राधिकरणों ,शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की मांगों ,शिक्षकों की मांगों पर सार्थक निर्णय नहीं हो पा रहे हैं।

सतीश पांडे संयोजक ने कहा कि संगठनों के सचिवालय प्रवेश पत्र न बनने से संवाद बंद हो गया है। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव के आदेश के बावजूद मोर्चा के पदाधिकारी के प्रवेश पत्र नहीं बन पाए हैं। फाइल प्रमुख सचिव कार्मिक के पास लंबित पड़ी है। संवादहीनता के कारण कर्मचारियों में तीव्र आक्रोश व्याप्त है। शासन स्तर पर अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पता है उन्होंने कहा कि लगता है कि सरकार कर्मचारी, शिक्षक संगठनों को समाप्त करने का कार्य कर रही है।

मोर्चा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश कुमार मिश्रा, राजकीय निगम महासंघ के अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा, डीके यादव, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश कुमार रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा, माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष, फॉरेस्ट कर्मचारी फैडरेशन के अध्यक्ष आशीष पांडे, फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव, राम कुमार धानुक, जिला अध्यक्ष सुभाष, मण्डल अध्यक्ष डी सी राव, दिलीप यादव एक्स रे एसोसिएशन आदि लोग उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में प्रस्ताव रखा गया कि आंदोलन को आगे और बढ़ाया जाए जिसमें प्रदेश भर के शिक्षक, कर्मचारी भाग लेंगे। विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष संजय कुमार शुक्ला ने मोर्चा के आंदोलन को पूरा सहयोग देने का बयान दिया। कार्यक्रम में कर्मचारियों से मोर्चा ने आग्रह किया कि सरकार का ध्यान आकर्षण करने के लिए आंदोलन को आगे बढ़ाया जाए वरना सरकार संगठनों को समाप्त कर देगी।

प्रमुख मांगें

1. पुरानी पेंशन बहाली की जाये।
2. 7वें वेतन आयोग के संस्तुतियों के उपरान्त व्याप्त विसंगतियां दूर करते हुए वेतन समिति की रिपोर्ट को प्रकाशित कर उसके पूर्ण लाभ प्रदेश के राज्य कर्मचारी, स्थानीय निकाय, सार्वजनिक निगम, परिवहन निगम, प्राधिकरण, शिक्षकों, शिक्षणेत्तर एवं स्वयं सेवी संस्थाओं आदि के कर्मचारियों पर सामान्य रूप से लागू किया जाय तथा प्रदेश के सभी विभागों के कर्मचारियों को समय से वेतन/भत्ते/पेंशन आदि दिया जाना सुनिश्चित किया जाय।
3. प्रदेश सरकार द्वारा दिनांक 01 जनवरी, 2020 से दिनांक 31 जुलाई, 2021 तक फ्रीज महंगाई भत्ते का एरियर भी अनुमन्य किया जाय एवं परिवार नियोजन, सी0सी0ए0 सहित बन्द किये गये अन्य समस्त भत्तों की बहाली आदि मांगों को पूरा किया जाये।

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