–विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) पर केजीएमयू के रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग में लगाये गये 50 से अधिक पेड़
–एक पेड़ मां के नाम : पत्नी प्रीति के साथ डॉ. सूर्यकान्त ने किया वृक्षारोपण

सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में अपने विभाग में स्थित रोटरी रेस्पिरेटरी हर्बल पार्क में विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त की अध्यक्षता में 50 से अधिक औषधीय, फलदार एवं छायादार पौधों का रोपण कर पर्यावरण दिवस मनाया।
रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने पर्यावरण संरक्षण जागरूकता कार्यक्रम में बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘‘एक पेड़ माँ के नाम’’ अभियान को पुनः गति प्रदान की गई है। इस अभियान का उद्देश्य देशभर में हरित आवरण को बढ़ाना तथा जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना है। उन्होंने प्रत्येक परिवार को इस अभियान से जुड़ने तथा पौधा रोपण हेतु प्रेरित किया। उन्होंने ख़ुद भी पत्नी प्रीति के साथ पौधारोपण किया , साथ ही यह भी कहा कि पेड़ लगाने के बाद उसका समुचित संरक्षण और देखभाल भी अनिवार्य है।

ऑर्गेनाइजेशन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ एनवायरनमेंट एंड नेचर (ओशन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने कहा कि यदि हम अपनी जीवनशैली में कुछ आदतों को सुधार लें, तो इस सुंदर धरती को बचाया जा सकता है। धरती हमारी माँ है और हम इसकी संतान। उन्होंने बताया कि एक सामान्य प्लास्टिक बैग अपने वजन से 2000 गुना अधिक भार उठा सकता है, जिससे यह मानव जीवन की सुविधा का हिस्सा बन गया है। परंतु यही सुविधा आज मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और जीव-जंतुओं के जीवन के लिए संकट बन चुकी है। भारत में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष लगभग 11 किलोग्राम प्लास्टिक का उपयोग होता है, जबकि वैश्विक औसत 28 किलोग्राम है।
प्लास्टिक धीरे-धीरे विषैले रसायन छोड़ता है, जो जल, वायु और मिट्टी को प्रदूषित करता है। इसकी विघटन प्रक्रिया में 500 से 1000 वर्ष तक लग सकते हैं। इसे जलाने पर भी यह जहरीली गैसें छोड़ता है, जिससे वायु प्रदूषण और अनेक बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के चलते प्रति मिनट दो लोगों की मृत्यु होती है।
चिंताजनक तथ्य यह है कि प्लास्टिक की 90% से अधिक वस्तुएँ केवल एक बार उपयोग में लाई जाती हैं और फिर फेंक दी जाती हैं। यह कचरा नदियों और नालों के माध्यम से समुद्र तक पहुँचता है, जिससे जलचरों का जीवन संकट में पड़ जाता है। यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिवर्ष लगभग 10 करोड़ समुद्री जीव प्लास्टिक निगलने या उसमें फँसने के कारण मारे जाते हैं। पशुओं की आँतों में प्लास्टिक बैग पाए गए हैं, जिससे उनकी अकाल मृत्यु हो रही है।
प्लास्टिक प्रदूषण न केवल वर्तमान पीढ़ी के स्वास्थ्य के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए भी एक गंभीर संकट है। अतः अब समय आ गया है कि हम कपड़े, जूट और कागज जैसे पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों को अपनाएँ और एकल उपयोग प्लास्टिक का पूर्णतः बहिष्कार करें। पर्यावरण संरक्षण केवल सरकार की नहीं, बल्कि हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
इस कार्यक्रम में रोटरी क्लब ऑफ लखनऊ के पूर्व सचिव अशोक टंडन सहित विभाग से डॉ.संतोष कुमार, डॉ. अजय वर्मा, डॉ. दर्शन बजाज, डॉ. ज्योति बाजपेई, डॉ. अंकित कुमार, समस्त रेज़िडेंट डॉक्टर्स, स्टाफ नर्सें एवं स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित रहे।

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