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जटिल ब्रेन सर्जरी कर पहली बार मां बनने जा रही महिला की खुशियों को लौटाया

-आंख चलाने वाली दिमाग की नसों व विशेष धमनियों को जकड़ लिया था ट्यूमर ने

-एसजीपीजीआई के न्यूरो सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने एक बार फिर की चुनौतीपूर्ण सर्जरी

सेहत टाइम्स

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई के न्यूरो सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने आठ माह की गर्भवती महिला के ब्रेन का जटिल ऑपरेशन करके पहली बार मां बनने जा रही उसकी खुशी का रास्ता सहज कर दिया है। दरअसल ट्यूमर ने महिला की आंख चलाने वाली दिमाग की नसों व विशेष धमनियों को जकड़ लिया था जिसकी वजह से वह आंख नहीं चला पा रही थी तथा उसे सामान्य तरीके से दिख भी नहीं रहा था, जिस वजह से वह अपना और होने वाले बच्चे का ध्यान भी नहीं रख पा रही थी, यही नहीं धीरे-धीरे जटिलताएं बढ़ रही थीं।

संस्थान द्वारा यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि 8 माह की गर्भवती महिला चलने फिरने तथा देखने में असमर्थता होने पर बहुत ही खराब स्थिति में संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग में उपचार के लिए पहुंची। वह अपना एवं अपने गर्भ में पल रहे शिशु का ध्यान नहीं रख पा रही थी। उनके ब्रेन में एक जटिल स्थान पर एक बड़े ट्यूमर का वजह से उनकी यह स्थिति बनी हुयी थी।

न्यूरो सर्जरी विभाग द्वारा भर्ती कर न्यूरो सर्जन प्रो0 अरुण कुमार श्रीवास्तव व डॉ0 शुभम ने उनका सफल ऑपरेशन किया। डॉ अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि यह ट्यूमर दिमाग की आंखों को चलाने वाली नसों को एवं दिमाग की विशेष धमनियों को जकड़े हुए था, जिसे ऑपरेशन करके पूर्ण रूप से निकाल दिया गया। यह ऑपरेशन न्यूरो एनस्थीसिस्ट की कुशल देखरेख में सम्भव हो सका है। प्रो0 देवेन्द्र गुप्ता, डॉ0 नेहा, डॉ0 सुमित व डॉ रुद्राशीष की टीम ने जच्चा-बच्चा की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा। इस तरह का ऑपरेशन गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यन्त खतरनाक होता है। डॉ0 अनुप्रिया एवं मैटरनलवरी प्रोडॅक्टिव हैल्थ ( MRH) की टीम ने ऑपरेशन की टीम का सहयोग किया। ऑपरेशन में नर्सिंग स्टाफ वन्दना एवं राम अवतार ने अपने अनुभव से सहयोग दिया। एसजीपीजीआई न्यूरोसर्जरी विभाग द्वारा पूर्व में इस तरह की करीब 12 ऑपरेशन किए जा चुके हैं।

एक प्रश्न के उत्तर में डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि मीरजापुर की रहने वाली 27 वर्षीया इस महिला के ट्यूमर की शिकायत गर्भधारण करने से पूर्व से थी, लेकिन इसे इसकी जानकारी नहीं थी, क्योंकि आंखों में होने वाली हल्की-फुल्की परेशानियों को इस महिला ने अनदेखा कर दिया था, जब परेशानी ज्यादा बढ़ी तब इसके चिकित्सक को दिखाया और फिर इसे एसजीपीजीआई रेफर किया गया।

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